एलियंस के गुप्त राज खोलेगा दुनिया का सबसे विशालकाय चायनीज टेलीस्कोप? अहम संकेत हाथ लगे
दुनिया के सबसे विशालकाय चीनी टेलीस्कोप को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। पता चला है कि चीनी टेलीस्कोप एलियंस के बारे में पता लगाने में सक्षम है और टेलीस्कोप को कई अहम संकेत मिले हैं।
बीजिंग अक्टूबर 23: विश्व भर के वैज्ञानिक एलियंस को लेकर अलग अलग दावे करते रहते हैं, लेकिन उन दावों की हकीकत क्या है, इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन, पहली बार चीन द्वारा बनाए गये विश्व के सबसे बड़े टेलीस्कोप को कुछ ऐसे संकेत मिले हैं, जिसको लेकर वैज्ञानिकों ने दावे किए हैं कि, उन संकेतों से एलियंस के बारे में बड़ी जानकारियां हमारे हाथ लग सकती है। चीन के FAST टेलीस्कोप को लेकर प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि, ये टेलीस्कोप अलौकिक शक्तियों को लेकर बड़े राज खोल सकता है।
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चीन खोलेगा एलियंस के राज
वैज्ञानिकों का मानना है कि, यदि एलियंस सभ्यताएं मौजूद हैं, तो हो सकता है कि चायनीज टेलीस्कोप ने भानुमती का पिटारा खोल दिया हो। हालांकि, यह दूर की कौड़ी लग सकता है, लेकिन एक एलियन सभ्यता से संपर्क औक उनकी जांच हमारे जैसे अल्पविकसित समाजों के लिए एक गंभीर उपद्रव का कारण बन सकती है। चीन का नया विशाल रेडियो टेलीस्कोप एलियंस का पता लगाने में सक्षम हो सकता है, जिसे वॉन न्यूमैन जांच भी कहा जाता है, हाल ही में साझा किए गए एक अध्ययन में इसका खुलासा किया गया है।
विशालकाय है चीन का टेलीस्कोप
चीन ने अंतरिक्ष की जानकारियां हासिल करने के लिए विश्व का सबसे विशालकाय टेलीस्कोप तैयार किया है, जो 500 मीटर का है और इस विशालकाय टेलीस्कोप का पूरा नाम अपर्चर स्फेरिकल रेडियो टेलीस्कोप है। इस टेलीस्कोप की क्षमता भी काफी विशाल है, लिहाजा खास ऑब्जर्वेशन के जरिए उस टेलीस्कोप की मदद से एलियंस के बारे में पता लगाया जा सकता है। हालांकि, कुछ वैत्रानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि, चीन के वैज्ञानिकों को ऐसी सभ्यताओं से संपर्क करने की कोशिश बिल्कुल नहीं करनी चाहिए, जिनके बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं हैं, क्योंकि हो सकता है वो मानवसभ्यता के लिए विनाशकारी हों।
टेलीस्कोप की विशाल क्षमता
चीन के इस टेलीस्कोप को लेकर दावा किया जाता है कि, ये 400 मिलियन प्रकाशवर्ष तक के अंदर मौजूद चीजों को देख सकता है। यानि, इस टेलीस्कोप की मदद से 400 मिलियन प्रकाशवर्ष के अंदर मौजूद अलग अलग सभ्यतां, टाइप-3 गैलेक्टिक स्तर की टेक्नोलॉजी जैसे समूहों का पता लगा सकता है। जिसके बाद विशेषज्ञों का मानना है कि, चीन के इस टेलीस्कोप की मदद से एलिसंय का पता लगाया जा सकता है। जॉर्जिया फ्री यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉक्टर जाजा ओसमानोवा का कहना है कि टेलीस्कोप के रेडियो स्पैक्ट्रल बैंड के जरिए हमारी दुनिया से ज्यादा उन्नत सभ्यताओं के बारे में, जिन्हें हम आम तौर पर एलियंस कहते हैं, उनके बारे में पता लगाया जा सकता है।
एलियंस को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद
एलियंस को लेकर दुनियभार के वैज्ञानिकों में मतभेद है और अलग अलग अलग वैज्ञानिकों की अलग अलग राय है। कुछ वैज्ञानिक चाहते हैं कि एलियंस से किसी भी हालत में इंसानों को संपर्क करना चाहिए तो कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि एलियंस से संपर्क साधने का मतलब इंसानों की बर्बादी है। जॉर्जिया फ्री यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉक्टर जाजा ओसमानोवा का कहना है कि अगर एलियंस भी प्रजनन करते होंगे, तो फिर वो इंसानों के लिए काफी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं, क्योंकि वो अपनी संख्या बढ़ाने के लिए धरती पर मौजूद संसाधनों का खुलेआम इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे, जो इंसानों के लिए ठीक नहीं होगा। लिहाजा, उनका मानना है कि, भविष्य में अगर इंसानों को एलियंस के खतरे से बचना है, तो फिर अभी एलियंस के बारे में पता लगा लेना चाहिए और उस मुताबिक हमें तैयारी भी शुरू कर देनी चाहिए।
5 साल में बना चीनी टेलीस्कोप
चीन की सरकार की तरफ से दावा किया गया है कि फास्ट टेलीस्कोप दुनिया का सबसे उन्नत टेलीस्कोप है और इस टेलीस्कोप को बनाने में सरकार को 5 सालों का वक्त लगा था। इस टेलीस्कोप को चीन ने देश के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत गुउझोउ के डाओडांग में स्थापित किया गया है। साल 2020 के जनवरी महीने से ये टेलीस्कोप काम कर रहा है। चीन की सरकार ने पिछले दिनों दावा किया था, कि इस टेलीस्कोप की मदद से देश को अविश्वसनीय जानकारियां मिली हैं।
हुआ था सनसनीखेज दावा
आपको बता दें कि, एळियंस को लेकर अमेरिकी वायुसेना के पूर्व अधिकारी ने बड़ा खुलासा किया था। अमेरिका के पूर्व एयरफोर्स ऑफिसर रॉबर्ट सालास 24 मार्च 1967 को मोनटाना के माल्मस्ट्रोम एयरफोर्स बेस पर मौजूद थे। उस वक्त वो वहां पर एक अंडरग्राउंड लॉन्च कंट्रोल फैसेलिटी के ऑन ड्यूटी कमांडर थे। उन्होंने दावा किया है कि उनके कंट्रोल में मौजूद दसों इंटरकॉन्टिनेन्टल बैलेस्टिक मिसाइलें डीएक्टिवेट हो गईं। सालास ने दावा किया कि 8 दिन पहले यानी 16 मार्च 1967 को भी ऐसा ही हुआ था और एक दूसरी मिसाइल लॉन्च कंट्रोल फैसेलिटी की मिसाइलों ने काम करना बंद कर दिया था।
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