#worldEconomicForum2018: संस्कृत में श्लोक पढ़कर मोदी ने दिया दुनिया को संदेश
दावोस में विश्व में आर्थिक क्षेत्र की महान हस्तियों के सम्मेलन के संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने संस्कृत के श्लोकों का सहारा लेते हुए भारतीय परंपरा और विचारधारा को लोगों के सामने रखा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषण देने के खासे अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उनका हर अंदाज सबसे अलग होता है, सबसे खास होता है। उनका यही अंदाज भीड़ में भी उनकी शख्सियत को सबसे ऊपर उभार देता है। फिर चाहे वो ड्रेसिंग स्टाइल हो या अपनी बात रखने का तरीका। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मनीषियों ने विश्व को समावेशी विचार दिए और संस्कृत में कहे श्लोक का मतलब समझाया। उन्होंने भारतीय परम्परा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में सबको बताया।
संस्कृत के श्लोकों का सहारा लेते हुए भारतीय परंपरा और विचारधारा को लोगों के सामने रखा
दावोस में विश्व में आर्थिक क्षेत्र की महान हस्तियों के सम्मेलन के संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने संस्कृत के श्लोकों का सहारा लेते हुए भारतीय परंपरा और विचारधारा को लोगों के सामने रखा। पीएम ने दावोस संस्कृत के श्लोकों को पढ़ा और उसका मतलब भी बताया। पीएम मोदी ने भारतीय परम्परा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में बताया। पीएम ने कहा कि हजारो साल पहले हमारे शास्त्रों में मनुष्यमात्र को बताया गया- 'भूमि माता, पुत्रो अहम् पृथ्व्या' इसके अलावा पीएम मोदी ने दुनिया के कष्टों को दूर करने की बात कही।
पीएम ने कहा 'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया'
इसके अलावा दावोस में पीएम ने कहा 'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत' यानि 'सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मङ्गलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हजारों साल पहले हमारे मनीषियों ने इसी विचार को आत्मसात कर विश्व को राह दिखाने का काम किया और आज हम भी उसी विचार मानने वाले हैं। प्रकृति से प्यार करने की सीख हमारे ग्रंथों में, हमारी जीवन शैली में शामिल है। पूरे विश्व को परिवार मानने की सीख हमारे मनीषियों ने दी।
उदार हृदय वाले लोगों की तो पूरी धरती ही परिवार है
पीएम मोदी ने कहा कि इसी सोच का नतीजा है कि भारत ने कभी किसी के भूभाग और संसाधन का दोहन खुद के लिए नहीं किया। वहीं नरेंद्र मोदी ने वसुधैव कुटुंबकम की बात कही। जिसका अर्थ है- धरती ही परिवार है। इसका पूरा श्लोक कुछ इस प्रकार है। अयं बन्धुरयं नेतिगणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ अर्थ यह कि - यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं ,उदार हृदय वाले लोगों की तो पूरी धरती ही परिवार है।