कोरोना महामारी के बीच 17 फीसदी तक कम हुआ कार्बन प्रदूषण, लॉकडाउन से पर्यावरण को मिली राहत
इंग्लैड। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए दुनिया के लगभग हर देश में लॉकडाउन लगाया गया। जिसका सकारात्मक असर हमारे पर्यावरण पर भी साफ पड़ा। बीते महीने पूरी दुनिया में रोजाना होने वाले कार्बन उत्सर्जन में 17 फीसदी तक की कमी देखी गई है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने कार्बन डाइऑक्साइड पर अपने शोध में पाया है कि प्रदूषण का स्तर अब फिर से वापस लौटने लगा है, लेकिन बीते साल के मुकाबले ये 4 से 7 फीसदी के बीच रहेगा।
वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि जलवायु परिवर्तन के मामले में प्रदूषण में थोड़े समय के लिए आई कमी समुद्र में एक बूंद के समान होती है। अगर पूरी दुनिया में साल भर सख्ती से लॉकडाउन लगाया जाता है कि तो प्रदूषण का स्तर 7 फीसदी तक रहेगा और अगर पाबंदियां हटा ली जाती हैं तो 4 फीसदी तक रहेगा। वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद कार्बन उत्सर्जन में यह सबसे बड़ी वार्षिक गिरावट है। इस शोध को नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इसके मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देश चीन ने फरवरी में कार्बन डाइऑक्साइड में एक चौथाई की कटौती की है। अमेरिका ने अप्रैल माह में करीब एक तिहाई की कटौती की है। भारत में 26 फीसदी की कटौती और यूरोप में 27 फीसदी की कटौती देखी गई है। इस शोध के मुख्य लेखक कोरिन्ने ले क्वेरे हैं, जो यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया में जलवायु वैज्ञानिक भी हैं। उन्होंने कहा कि अगर दुनिया दोबारा प्रदूषण के स्तर पर लौट आती है, तो ये गिरावट समुद्र में एक बूंद के बराबर ही होगी।
उन्होंने कहा कि 'इसे बिल्कुल वैसा ही माना जाएगा, जैसे कि आपके पास पानी से भरा एक बाथ टब है और आपने केवल 10 सेकेंड के लिए नल बंद कर दिया है।' इससे साफ पता चलता है कि अगर कार्बन उत्सर्जन को कम करना है, तो उसके लिए पूरी दुनिया को कितनी कोशिशों को करने की जरूरत है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर पूरी दुनिया बिना किसी महामारी के ही कार्बन उत्सर्जन में कमी कर लेती है तो धरती के तापमान को एक डिग्री गर्म होने से बचाया जा सकता है। उत्सर्जन में कमी के पीछे ट्रक और कार जैसे परिवहन का कम चलना भी एक कारण है।