कोरोना महामारी के चलते 6 करोड़ लोग हो सकते हैं बेहद गरीब: विश्व बैंक
नई दिल्ली। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी है और इससे दुनियाभर के कई देश प्रभावित हुए है। जिस तरह से कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत चीन से हुई और यह पूरी दुनिया में फैला उसने तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से चौपट कर दिया है। आलम यह है कि इस संक्रमण से बचने के लिए जहां देश लॉकडाउन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बंद अर्थव्यवस्था उनकी आर्थिक मोर्चे पर कमर तोड़ रहा है। यह आर्थिक नुकसान कितना बड़ा हो सकता है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी वजह से तकरीबन 6 करोड़ लोग बेहद गरीब हो जाएंगे। विश्व बैंक ने चेताया है कि पिछले तीन सालों में जो आर्थिक वृद्धि हुई थी वह पूरी तरह से इस वायरस की वजह से खत्म हो सकती है और तकरीबन 60 मिलियन यानि 6 करोड़ लोग बेहद गरीब हो सकते हैं।
100 देशों को आर्थिक मदद दे रहा विश्व बैंक
विश्व बैंक का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते हम तकरीबन 100 देश आर्थिक मदद पहुंचा रहे हैं। विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा कि अगले 15 महीनों तक हम इन देशों को 160 बिलियन डॉलर की मदद पहुंचाएंगे। यह दुनिया की 70 प्रतिशत आबादी का घर है। यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था में तकरीबन 5 फीसदी की गिरावट आ सकती है, इसका सबसे अधिक असर गरीब देशों पर होगा।
60 मिलियन लोग हो सकते हैं बेहद गरीब
विश्व बैंक के मुखिया ने कहा कि हमारा अनुमान है कि तकरीबन 60 मिलियन लोग इस स्थिति में बेहद गरीब हो सकते हैं, पिछले तीन वर्षों में उन्होंने जो भी विकास किया है वह पूरी तरह से खत्म हो सकता है, हमारा आंकलन है कि आने वाले समय में बहुत बड़ी आर्थिक मंदी आ सकती है। बता दें कि कोरोना वायरस से अबतक तकरीबन 50 लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं, जबकि तकरीबन 3 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में इस वायरस ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है और यहां मरने वालों की संख्या एक लाख तक पहुंचने वाली है।
अकेले विश्व बैंक का प्रयास काफी नहीं
अभी तक विश्व बैंक ने गरीब देशों में कुल 5.5 बिलियन डॉलर स्वास्थ्य सेवाओं, अर्थव्यवस्था, समाज सेवा पर खर्च कर दिए हैं। लेकिन विश्व बैंक के मुखिया का मानना है कि अकेले विश्व बैंक द्वारा किए जा रहे प्रयास काफी नहीं हैं, उन्होंने दान देने वाले देशों से अपील की है कि वह अपनी दान राशि को बढ़ाएं ताकि गरीब देशों की और मदद की जा सके। पिछले महीने जी-20 की बैठक में कम विकसित देशों के कर्ज को एक वर्ष का मोरेटोरियम देने पर सहमति बनी थी। मालपास का कहना है कि इसपर 14 देशों की सहमति बन चुकी है कि वह कर्ज के भुगतान को फिलहाल एक वर्ष के लिए टाल रहे हैं, 23 अन्य देशों से अपील की जा रही है, जबकि 17 देश इसपर गंभीर विचार कर रहे हैं।
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