तेहरान में महिलाओं को 'इस्लामिक ड्रेस कोड' से मिली आजादी लेकिन...
धीरे-धीरे मुस्लिम देशों में महिलाओं को उनके खोए अधिकार मिल रहे हैं। सऊदी अरब के बाद अब ईरान ने भी महिलाओं के लिए अपना कानून लचीला किया है। तेहरान की पुलिस ने घोषणा कि है कि अब महिलाओं को देश के इस्लामिक ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
तेहरान। धीरे-धीरे मुस्लिम देशों में महिलाओं को उनके खोए अधिकार मिल रहे हैं। सऊदी अरब के बाद अब ईरान ने भी महिलाओं के लिए अपना कानून लचीला किया है। तेहरान की पुलिस ने घोषणा कि है कि अब महिलाओं को देश के इस्लामिक ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। ये कदम महिलाओं के लिए काफी अहम माना जा रहा है लेकिन ये पूरी तरह से उनके हक में नहीं है।
इस्लामिक ड्रेस कोड के बिना बाहर निकलने की थी मनाही
ईरान में पिछले 40 सालों से महिलाएं इस्लामिक ड्रेस कोड को फॉलो कर रही हैं। वहां महिलाएं बिना सिर ढंके घर से बाहर नहीं निकल सकतीं। उन्हें टाइट कपड़े पहनने की भी मनाही। घर से बाहर निकलते वक्त उन्हें खास ध्यान रखना होता था कि उनके कपड़े ढीलें हों और सिर ढंका हो।
नेल पॉलिश और मेकअप लगाना भी था बैन
इस्लामिक ड्रेस कोड में अब तक महिलाओं को नेल पॉलिश और मेकअप लगाना भी बैन था। अब तेहरान पुलिस ने इस ड्रेस कोड से महिलाओं को आजादी दे दी है। महिलाएं अब नेल पॉलिश और मेकअप लगाकर, और बिना सिर ढंके घर से बाहर निकल सकेंगी। इस घोषणा पर वाहवाही लूट रही तेहरान पुलिस ने इसमें अपना ही फायदा देखा है।
अब महिलाओं को 'इस्लामिक क्लास' ले जाएगी पुलिस
तेहरान पुलिस अब ऐसी महिलाओं को गिरफ्तार नहीं करेगी, बल्कि उन्हें पुलिस द्वारा चलाई जा रही 'इस्लामिक क्लास' में ले जाएगी ताकि वो अगली बार बिना विरोध किए इस्लामिक ड्रेस कोड को मान लें। अगर कोई भी महिला 'इस्लामिक क्लास' लेने के बावजूद बार-बार इस्लामिक ड्रेस कोड का उल्लंघन कर रही है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाई की जाएगी।
सालों से अपने हकों के लिए लड़ रही हैं महिलाएं
ईरान में महिलाएं सालों से इस्लामिक ड्रेस कोड के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। जहां आज की लड़कियां ऐसे ड्रेस कोड को दकियानूसी मानती हैं वहीं मुस्लिम धर्म गुरू महिलाओं को मिल रही आजादी के खिलाफ हैं। मुस्लिम देशों में महिलाएं न जाने कितने सालों से अपना हक मांग रही हैं। सऊदी अरब में अब जाकर महिलाओं को ड्राइविंग कि इजाजत मिली है। वहां महिलाएं न जाने कितने वर्षों से इस हक के लिए लड़ रहीं थीं।