चमत्कार! 3 हफ्ते पहले जिस महिला की हुई कोरोना से मौत, उसने फोन कर कहा- मैं ठीक हूं, मुझे ले जाओ
चमत्कार! कोरोना से मौत के बाद जिस महिला का किया अंतिम संस्कार, वो 3 हफ्ते बाद मिली जिंदा...
नई दिल्ली। जानलेवा कोरोना वायरस इस समय पूरी दुनिया के लिए एक आफत बना हुआ है। दुनिया की महाशक्ति कहे जाने वाले कई देश आज इस वायरस के सामने घुटने टेकते हुए नजर आ रहे हैं। दुनिया के अलग-अलग देशों में कोरोना वायरस अभी तक 2 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। वहीं, 30 लाख से ज्यादा लोग अभी भी कोरोना वायरस की महामारी की चपेट में हैं। कोरोना वायरस के संकट के बीच कुछ हैरान कर देने वाली घटनाएं भी सामने आ रही हैं। एक चौंका देने वाला मामला उस वक्त सामने आया, जब कोरोना वायरस के कारण एक महिला की मौत हो गई और अंतिम संस्कार के कुछ दिन बाद वही महिला अस्पताल में जिंदा मिली।
क्या है पूरा मामला
मामला इक्वाडोर का है, जहां अल्बा मारुरी नाम की एक 74 वर्षीय महिला को बीते महीने यानी मार्च के आखिर में कोरोना वायरस जैसे लक्षण दिखने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान महिला की हालत बिगड़ी तो अस्पताल ने उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया। इलाज चल ही रहा था कि दो दिन बाद अस्पताल की तरफ से अल्बा की बहन ऑरा मारुरी के पास फोन आया और उन्हें बताया कि अल्बा की मौत हो चुकी है।
ये भी पढ़ें- कोरोना का असर! समुद्री लहरों से उठी नीले रंग की दुर्लभ रोशनी, 60 साल में दिखा ऐसा नजारा
महिला की भतीजी ने की शव की पहचान लेकिन...
अल्बा की मौत की खबर सुनकर उनके परिजन शव लेने अस्पताल पहुंचे। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए उन्हें शव से दूरी बनानी होगी और परिवार का कोई एक सदस्य शव को देखकर उनकी पहचान कर सकता है। इसके बाद अल्बा की भतीजी जेमी मोरला ने शव को देखकर अपनी आंटी के तौर पर पहचान की। शव की पहचान होने के बाद अल्बा का अंतिम संस्कार कर दिया गया और उनके परिजन अस्थियां लेकर वापस अपने घर लौट आए।
3 हफ्ते बाद खुद अल्बा ने किया घर पर फोन
अल्बा की मौत को तीन हफ्ते बीत चुके थे और परिजन अब अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त हो गए थे कि अचानक एक दिन घर में उसी अस्पताल से एक फोन आया। फोन पर बात की तो परिजनों के पैरों तले से जमीन खिसक कई। दरअसल, फोन करने वाली महिला कोई और नहीं, बल्कि खुद अल्बा थी। अल्बा ने फोन पर बताया कि अब वो पूरी तरह ठीक है और वो लोग उसे लेने अस्पताल आ जाएं। ये सुनकर अल्बा के परिजन हैरानी में पड़ गए, लेकिन जब वो अस्पताल पहुंचे तो उन्हें हकीकत का पता चला।
'किसी चमत्कार से कम नहीं अल्बा का जिंदा होना'
दरअसल, अस्पताल प्रशासन की गलती से किसी और महिला के शव को अल्बा का शव बताकर परिजनों को सौंप दिया गया था। शव की पहचान को लेकर जब अल्बा की भतीजी से पूछा गया, तो उन्होंने बताया, 'मैं काफी डरी हुई थी और करीब डेढ़ मीटर की दूरी से मैंने वो शव देखा था। इतनी दूर से मुझे बालों और स्किन को देखकर लगा कि वो मेरी आंटी का ही शव है।' वहीं अल्बा की बहन का कहना है कि हम लोगों के लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं है। हम जिसे मरा हुआ मान चुके थे, आज वो हमारे बीच जिंदा है।
जिसका अंतिम संस्कार हुआ, वो महिला कौन थी?
इस बारे में अस्पताल प्रशासन का कहना है, 'तीन हफ्ते तक अल्बा कॉमा में थी और जो शव उनके परिजनों को गलती से सौंपा गया, वो किसी और महिला का था। अल्बा को जब होश आया तो उन्होंने अपने परिजनों से फोन पर बात करने की इच्छा जाहिर की।' वहीं अल्बा के परिजन अब इस बात को लेकर परेशान हैं कि जिस महिला का उन्होंने अंतिम संस्कार किया और जिसकी अस्थियां घर में रखी हुईं है, वो कौन थी? अल्बा के परिजनों का कहना है कि वो उस महिला का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उसके परिजनों को उसकी अस्थियां सौंप सकें।