यूक्रेन को मिलने वाला ये टैंक क्या रूस के ख़िलाफ़ लड़ाई का रुख़ बदल देगा
यूक्रेन लगातार इस टैंक की मांग कर रहा है. उसने पश्चिमी देशों से ये टैंक मांगा है ताकि इसकी मदद से रूस को हराया जा सके. क्या ख़ास है इसमें.
यूरोपीय देशों पर पिछले कुछ वक्त से यूक्रेन को अपना लेपर्ड-2 टैंक देने का काफ़ी दबाव था. अब जर्मनी की विदेश मंत्री अन्ना बेयरबॉक ने कहा है कि अगर पोलैंड यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देना चाहता है तो वो रास्ते में नहीं आएंगी.
यूक्रेन लगातार इस टैंक की मांग कर रहा है. उसने पश्चिमी देशों से जर्मनी में बना ये टैंक मांगा है ताकि इसकी मदद से रूस को हराया जा सके.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्री कुलेबा ने बीबीसी से कहा है कि जर्मनी के पास वो ताक़त है जिससे कई यूक्रेनी सैनिकों की जान बचाई जा सकती है.
लेकिन जर्मनी अभी तक इसके लिए राज़ी नहीं हुआ. इससे जुड़े निर्यात नियमों की वजह से पोलैंड अभी तक यूक्रेन को ये टैंक नहीं दे पाया है.
सोमवार को बेयरबॉक ने कहा कि पोलैंड ने अब तक इस टैंक के निर्यात की अनुमति नहीं मांगी है.
बेयरबॉक ने फ़्रांस के एलसीआई टीवी से कहा, ''फ़िलहाल तो पोलैंड ने यह अनुमति नहीं मांगी है, लेकिन अगर वो यूक्रेन को ये टैंक देना चाहते हैं तो हम अड़चन नहीं बनेंगे.''
पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेउस मोरावेत्सिकी ने कहा कि उनकी सरकार इसके लिए जर्मनी से अनुमति मांगेगी. लेकिन अनुमति नहीं मिली तो भी यूक्रेन को ये टैंक दिए जाएंगे.
मोरावेत्सिकी ने कहा, ''अगर हमें अनुमति नहीं भी मिली तो हम एक छोटे गठबंधन के फ़्रेमवर्क के तहत अपने और कुछ दूसरे देशों के टैंक यूक्रेन को सौंपेंगे.''
यूरोपियन यूनियन के फ़ॉरेन पॉलिसी चीफ़ जोसेफ बोरेल ने कहा कि जर्मनी यूरोपीय संघ के दूसरे सदस्य देशों को लेपर्ड-2 टैंक निर्यात करने से नहीं रोकेगा.
'पोलैंड यूक्रेन को 14 लेपर्ड-2 टैंक भेजेगा'
बोरेल ने कहा कि यूक्रेन को मदद देने की बात सिर्फ़ टैंकों के इर्द-गिर्द ही नहीं होनी चाहिए.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्री कुलेबा ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उनके देश को ये टैंक देने के इच्छुक सभी देशों से अपील करते हुए कहा, ''ये देश यूक्रेन को टैंक देने के लिए तुरंत जर्मनी को आधिकारिक अनुरोध भेजें.''
उन्होंने कहा,'' ये वो क़दम है जिससे सारे हालात स्पष्ट हो जाएंगे. हम देखेंगे इस पर जर्मनी का क्या रुख़ रहता है. आधिकारिक अनुरोध करने की ज़रूरत है. इसके बाद सारी चीज़ें साफ़ हो जाएंगी.''
कुलेबा ने राष्ट्रीय टीवी पर कहा, ''हमें पूरा विश्वास है कि जर्मनी टैंक भेजने की अनुमति ज़रूर देगा. हमें ब्रिटेन से चैलेंजर टैंक मिल चुके हैं. ये हो ही नहीं सकता कि जर्मनी लेपर्ड टैंक भेजने की अनुमति ना दे. ऐसे मामलों में हर बार हम जो चाहते थे वैसा ही हुआ है. इस बार भी टैंक ज़रूर मिलेंगे.''
जर्मन सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि जर्मनी को अभी तक लेपर्ड-2 टैंक भेजने का कोई आधिकारिक अनुरोध नहीं मिला है. पिछले साल मोरावेत्सिकी ने कहा था कि पोलैंड यूक्रेन को 14 लेपर्ड-2 टैंक भेजने के लिए तैयार है.
सोमवार को पोलैंड के राष्ट्रपति के विदेश नीति सलाहकार मार्सिन प्रेजिडेक ने बेयरबॉक के बयान का स्वागत किया. बयान में उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक दिए जाने की राह में वो नहीं आएंगी.
उन्होंने पॉलिश रेडियो से कहा, ''पोलैंड बातचीत और राजनयिक विचार-विमर्श के ज़रिये लेपर्ड-2 टैंक के मुद्दे पर जर्मनी का रुख़ बदलने में सफल रहा है.''
हालांकि पोलैंड ये चाहता है कि जर्मनी और नेटो के सदस्य देश भी अपने-अपने लेपर्ड टैंक यूक्रेन को भेजें क्योंकि पोलैंड के सरकारी अधिकारियों का मानना है कि 14 टैंकों के सहारे यूक्रेन की युद्ध क्षमता में कोई ख़ास मज़बूती नहीं आएगी.
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रूस की चेतावनी
इस बीच रूसी संसद ड्यूमा के स्पीकर वायेस्चलाव वोलोदिन ने चेताया है कि अगर अमेरिका और नेटो ने यूक्रेन की मदद की तो 'भीषण युद्ध' भड़क सकता है.
उन्होंने कहा, ''अगर यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई होती रही तो यूक्रेन शहरों में रह रहे नागरिकों पर हमले कर हमारे क्षेत्र पर क़ब्ज़ा कर सकता है. इससे रूस और ज़्यादा घातक हथियारों से पलटवार कर सकता है.''
लपेर्ड-2 टैंक रूसी टी-90 टैंक का मुकाबला करने के लिए बनाया गया है. रूस इस हमले में अपने इस टैंक का ख़ूब इस्तेमाल कर रहा है.
माना जाता है दुनिया भर में दो हज़ार लेपर्ड-2 टैंक हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि उन्हें ऐसे 300 टैंक मिल जाएंगे तो रूस की हार निश्चित है.
जर्मनी इस टैंक को यूक्रेन को देने पर सहमत नहीं था. इससे नेटो और सहयोगी देशों के बीच बड़ी निराशा थी.
मौजूदा नियमों के मुताबिक़, यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देने से पहले जर्मनी की अनुमति की ज़रूरत होगी.
अगर पोलैंड से ये टैंक भेजे जाने हैं तो भी जर्मनी की अनुमति लेनी होगी.
शुक्रवार को 50 सहयोगी देशों की बैठक के बाद भी जर्मनी ने इन टैंकों को यूक्रेन को देने का कोई वादा नहीं किया था और न ही एक्सपोर्ट लाइसेंस जारी किया था.
लेकिन उसने कहा था कि वो टैंक की सप्लाई की राह में एकतरफ़ा रोड़ा नहीं अटकाएगा.
एस्टोनिया, लात्विया और लिथुआनिया के विदेश मंत्रियों के एक संयुक्त बयान में जर्मनी से मांग की गई कि वो तुरंत यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक मुहैया कराए.
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लेपर्ड-2 टैंक की इतनी मांग क्यों है?
क्रिस पैरट्रिज, बीबीसी के हथियार विश्लेषक
लेपर्ड-2 टैंक विश्वस्तरीय टैंक है. एक दर्जन से ज़्यादा देश इसका इस्तेमाल करते हैं.
यूक्रेन मानता है कि रूस के ख़िलाफ़ लड़ाई में टैंकों की अहम भूमिका है. लेपर्ड टैंक अफ़ग़ानिस्तान और सीरिया की लड़ाई में अपना कमाल दिखा चुके हैं.
यूक्रेन लेपर्ड टैंक लेने कि इसलिए भी बेताब है क्योंकि दो तिहाई टैंकों का निर्माण यूरोप में ही हुआ है.
इसलिए लेपर्ड टैंकों की डिलीवरी उसके लिए काफ़ी आसान होगी और वो इससे रूस से आमने-सामने की लड़ाई और कारगर ढंग से लड़ सकेगा.
यूरोप में बने होने की वजह से यूक्रेन के लिए इन टैंकों की रिपेयरिंग और रख-रखाव भी आसान होगा.
टैंकों को इस्तेमाल करते वक्त रिपेयरिंग और रखरखाव का ख़ासा ध्यान रखना होता है.
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यूक्रेन को कई देश दे रहे हैं टैंक
जर्मनी आईआरआईएस-टी और ज़मीन से हवा में मार करने वाली पेट्रियट मिसाइल जैसे एयर डिफ़ेंस सिस्टम दे रहा है.
इसके अलावा जर्मनी यूक्रेन को बख़्तरबंद गाड़ियां भी दे रहा है.
जर्मन चासंलर ओलाफ़ स्कोल्ज़ शस्त्र संघर्ष से दूरी बनाए रखने के पक्ष में हैं. वो रूस की ओर से युद्ध को और भड़काने के प्रति भी चिंतित दिखे हैं.
हाल में उन्होंने फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात कर युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य गठबंधन को मज़बूत बनाने पर ज़ोर दिया.
फ़्रांस पहले ही यूक्रेन को हल्के टैंक भेज चुका है. फ़्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश यूक्रेन को अपने देश में बने लेकलर्क हैवी टैंक भी दे सकता है.
इसके अलावा ब्रिटेन समेत कई देशों ने यूक्रेन को टैंक देने का वादा किया है.
ब्रिटेन यूक्रेन को जल्द ही अपने 14 चैलेंजर 2एस टैंक भेजेगा.
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