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क्या सऊदी अरब के तेल का खेल भी बिगाड़ेगा अमरीका

सऊदी और अमरीका के बीच मुख्य व्यापार तेल और हथियार का है. ओबामा प्रशासन ने सऊदी को 95 अरब डॉलर का हथियार बेचा था. सऊदी अरब के साथ अमरीका के मतभेद भी कई मुद्दों पर हैं. सीरिया, ईरान, इसराइल-फ़लस्तीनी संघर्ष और मिस्र में लोकतंत्र के आने को लेकर दोनों देशों में मतभेद रहे हैं.

By BBC News हिन्दी
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सऊदी अरब
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सऊदी अरब

पिछले हफ़्ते अमरीका तेल का निर्यातक देश बन गया. ऐसा पिछले 75 सालों में पहली बार हुआ है क्योंकि अमरीका अब तक तेल के लिए विदेशों से आयात पर ही निर्भर रहा है. राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अमरीका को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की बात कई बार कह चुके हैं.

अमरीका में तेल उत्पादन नाटकीय रूप से बढ़ा है. टेक्सस के पेरमिअन इलाक़े में, न्यू मेक्सिको, उत्तरी डकोटा के बैकन और पेन्सोवेनिया के मर्सेलस में तेल के हज़ारों कुंओं से तेल निकाले जा रहे हैं.

इन तेल के कुंओं पर अमरीका वर्षों से काम कर रहा था. पिछले हफ़्ते जो डेटा आया उससे पता चलता है कि अमरीका के तेल में आयात में भारी गिरावट आई और निर्यात में भारी उछाल दर्ज किया गया. हो सकता है कि अमरीका तेल का छोटा आयातक हमेशा रहे लेकिन अब पहले वाली बात नहीं रह गई कि वो विदेशी तेल पर ही निर्भर रहेगा.

अमरीका के रणनीतिक ऊर्जा और आर्थिक शोध के प्रमुख माइकल लिंच ने ब्लूमबर्ग से कहा है, ''हमलोग दुनिया के ताक़तवर ऊर्जा उत्पादक देश बन गए हैं.''

पिछले 50 सालों से ओपेक दुनिया भर में तेल की राजनीति का केंद्र रहा है लेकिन रूस और अमरीका में तेल के बढ़ते उप्पादनों से ओपेक की बादशाहत को चुनौती मिलना तय है.

ओपेक देश नीतियों, क़ीमतों और उत्पादन की सीमा को लेकर जूझ रहे हैं. पिछले हफ़्ते वियना में ओपेक और साथियों की एक बैठक हुई थी. ओपेक को डर है कि अमरीका तेल का उत्पादन बढ़ाता है तो उसके बाज़ार पर सीधा असर पड़ेगा.

ट्रंप और सऊदी
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ट्रंप और सऊदी

क्या करेगा ओपेक

सीआईए की पूर्व एनलिस्ट और आरबीसी मार्केट्स एलएलसी में कमोडिटिज स्ट्रैटिजिस्ट हेलिमा क्रोफ़्ट का कहना है, ''ओपेक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. क़तर इस समूह से अलग होने जा रहा है. इसके बाद सऊदी और अमरीका के बीच वियना में एक गोपनीय बैठक हुई है. इसके बाद ओपेक की एक प्रस्तावित प्रेस कॉन्फ़्रेंस रद्द हो गई. अब पिछले हफ़्ते ये ख़बर आई कि अमरीका ने तेल निर्यात करना शुरू कर दिया है.''

अमरीकी ऊर्जा सूचना प्रशासन यानी ईआईए के मुताबिक़ अमरीका पिछले हफ़्ते से हर दिन दो लाख 11 हज़ार बैरल कच्चा तेल और रिफाइन्ड उत्पाद विदेशों में बेच रहा है. इनमें डीज़ल और गैसोलीन अहम हैं. इसकी तुलना में अमरीका ने 2018 में औसत हर दिन 30 लाख बैरल तेल का आयात किया था.

ईआईए का कहना है कि 1991 से पहले अमरीका में तेल आयात का डेटा साप्ताहिक आता था और मासिक डेटा जारी करना 1973 में शुरू हुआ था. अमरीकी पेट्रोलियम इंस्टिट्यूट का कहना है कि अमरीका ने 1940 के दशक से तेल आयात करना शुरू किया था. अब आज की तारीख़ में अमरीका तेल के मामले में आत्मनिर्भर देश बन गया है. अमरीकी सरकारों के लिए तेल के मामले आत्मनिर्भर बनना शुरू से ही सपना रहा है.

अमरीका तेल के कम से कम नौ और टर्मिनल्स पर काम कर रहा है. दिसंबर के आख़िरी महीने से अमरीका से तेल के निर्यात और बढ़ने की संभावना है.

डेलवेयर बेसिन से तेल निकालने का काम अब भी बड़े पैमाने पर शुरू नहीं हो पाया है. डेलवेयर बेसिन के बारे में अनुमान है कि तेल का भंडार मिडलैंड बेसिन से दोगुना है.

ट्रंप और सऊदी
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ट्रंप और सऊदी

अब अमरीका तेल बेच रहा है

नए आंकड़ों के मुताबिक़ अमरीका अब तेल ख़रीदने से ज़्यादा बेच रहा है. यूएस जियोलॉजिकल सर्विस ने गुरुवार को कहा है कि अमरीका दुनिया भर से हर दिन 70 लाख बैरल से ज़्यादा कच्चा तेल अपने रिफ़ाइनरी के लिए आयात करता है.

इन रिफ़ाइनरियों को हर दिन एक करोड़ 70 लाख बैरल कच्चे तेल की ज़रूरत पड़ती है. ऐसे में अमरीका दुनिया का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश बन जाता है. अमरीका तेल के बाज़ार में अब एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर गया है.

अमरीका में तेल उत्पादन हर साल 20 फ़ीसदी की दर से बढ़ रहा है. पिछले एक सदी में अमरीका का तेल उत्पादन सबसे तेज़ गति से बढ़ा है. इस साल की शुरुआत में तो अमरीका ने तेल उत्पादन के मामले में सऊदी और रूस को भी पीछे छोड़ दिया था. सऊदी और रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देश हैं.

2016 में रिस्ताद एनर्जी की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि अमरीका के पास 264 अरब बैरल तेल भंडार है. इसमें मौजूदा तेल भंडार, नए प्रोजेक्ट, हाल में खोजे गए तेल भंडार और जिन तेल कुंओं को खोजा जाना बाक़ी है, वे सब शामिल हैं.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस और सऊदी से ज़्यादा अमरीका के पास तेल भंडार है. रिस्ताद एनर्जी के अनुमान के मुताबिक़ रूस में तेल 256 अरब बैरल, सऊदी में 212 अरब बैरल, कनाडा में 167 अरब बैरल, ईरान में 143 और ब्राज़ील में 120 अरब बैरल तेल है.

सऊदी अरब
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सऊदी अरब

सऊदी के पास कितना तेल

तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) को सऊदी की सरकार ने जो अनुमानित भंडार की जानकारी दी है उसके मुताबिक़ प्रमाणित तेल भंडार 266 अरब बैरल्स है. ओपेक ने 2015 में अपनी वार्षिक बुलेटिन में इसकी जानकारी दी थी.

अगर ये नंबर सही है तो औसत 1.2 करोड़ बैरल प्रतिदिन उत्पादन के हिसाब से सऊदी का तेल भंडार अगले 70 सालों में ख़त्म हो जाएगा. लेकिन आधिकारिक आंकड़ों को लेकर पर्याप्त संदेह हैं. इसकी वजह यह है कि 1987 में सऊदी ने अपना तेल भंडार 170 अरब बैरल्स बताया था, जिसे 1989 में बढ़ाकर 260 अरब बैरल्स कर दिया था.

स्टटिस्टिकल रिव्यू ऑफ़ वर्ल्ड एनर्जी 2016 की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी 94 अरब बैरल्स तेल बेच चुका है या खर्च कर चुका है, फिर भी आधिकारिक रूप से उसका भंडार 260 से 265 अरब बैरल्स ही है.

अगर सरकार का डेटा सही है तो इसका मतलब यह हुआ कि सऊदी ने तेल के नए ठिकाने खोजे हैं या फिर अनुमानित भंडार को ही बढ़ा दिया है.

अनुमानित भंडार को बढ़ाने का एक आधार यह हो सकता है कि जिन ठिकानों से तेल का उत्पादन हो रहा है वहीं और तेल है या फिर अब तक जितने तेल निकाले गए हैं उसकी आपूर्ति फिर से हो गई है.

क्राउन प्रिंस सलमान
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क्राउन प्रिंस सलमान

लेकिन सऊदी में 1936 से 1970 के बीच ही तेल भंडार के विशाल और बेशुमार ठिकानों की खोज की गई है. इसके बाद इसकी तुलना में सऊदी में तेल के नए ठिकानों की खोज नहीं की गई है.

समस्या यह है कि जहां-जहां तेल उत्पादन हो रहा है उसका लेखा-जोखा और अनुमानित भंडार सरकार काफ़ी गोपनीय रखती है. इसकी जानकारी भीतर के एक गिने-चुने लोगों की होती है.

ऐसे में किसी भी तथ्य की पुष्टि करना असंभव सा लगता है. तेल विश्लेषकों की विश्वसनीयता पर भी यह सवालिया निशान है कि वो इस बात को बताने की हालत में नहीं हैं कि सऊदी में तेल उत्पादन कब गिरना शुरू होगा.

सऊदी अभी सबसे ज़्यादा तेल का उत्पादन कर रहा है. इससे उस भविष्यवाणी को झटका लगा है जिसमें बताया गया था कि सऊदी का तेल उत्पादन शिखर पर जाने के बाद नीचे आ जाएगा.

सऊदी अरब
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सऊदी अरब

सऊदी और अमरीका के संबंध किस क़दर बदल जाएंगे

सऊदी अरब तेल उत्पादक देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) का सबसे बड़ा तेल उत्पादक और अहम देश है. ओपेक दुनिया के 40 फ़ीसदी तेलों को नियंत्रित करता है.

अमरीका हाल के वर्षों तक दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश रहा है और इसलिए सऊदी के साथ उसकी दोस्ती और प्रासंगिक हो जाती है. लेकिन जब अमरीका तेल आयातक देश ही नहीं रहेगा तो सऊदी उसके लिए क्यों अहम रहेगा? क्या सऊदी मध्य-पूर्व में सऊदी का साथ छोड़ सकता है? ज़ाहिर डिप्लोमैसी और विदेशी संबंध पारस्परिक हितों पर टिका होता है.

हाल के वर्षों में अमरीका ने अपनी ज़मीन से तेल का उत्पादन शुरू किया है. कहा जा रहा है कि आने वाले वक़्त में अमरीका के लिए सऊदी ज़रूरी नहीं रह जाएगा. अमरीका हर दिन 90 लाख बैरल तेल का उत्पादन कर रहा है जो कि सऊदी के लगभग बराबर है.

अमरीका को 80 फ़ीसदी तेल उत्तरी और दक्षिणी अमरीका से मिलेगा और 2035 तक ये ज़रूरतें पूरी हो जाएंगी. उत्तरी अमरीका में तेल उत्पादन का यह बूम रहा तो वैश्विक राजनीति में बड़ी तब्दीली आएगी.

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सऊदी अरब

सऊदी और अमरीका के बीच मुख्य व्यापार तेल और हथियार का है. ओबामा प्रशासन ने सऊदी को 95 अरब डॉलर का हथियार बेचा था. सऊदी अरब के साथ अमरीका के मतभेद भी कई मुद्दों पर हैं. सीरिया, ईरान, इसराइल-फ़लस्तीनी संघर्ष और मिस्र में लोकतंत्र के आने को लेकर दोनों देशों में मतभेद रहे हैं.

सऊदी नहीं चाहता था कि अमरीका ईरान के साथ परमाणु समझौता करे, लेकिन ओबामा प्रशासन ने किया था. हालांकि ट्रंप ने आख़िरकार इस समझौते को तोड़ दिया.

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English summary
Will Saudi Arabia also lose the game of oil
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