चीन से पैसा खाने के बाद पाकिस्तान की नई तैयारी, डॉलर के लिए अमेरिका को देगा सैन्य अड्डा ?
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिका को सैन्य अड्डा देने से साफ इनकार कर दिया है लेकिन व्हाइट हाउस ने कहा है कि उसे पाकिस्तान से सैन्य अड्डा मिल रहा है।
नई दिल्ली, मई 29: अफगानिस्तान से सैनिकों को बाहर निकाल रहा अमेरिका अफगानिस्तान से अपना नियंत्रण कम नहीं करना चाहता है, भले ही अमेरिका तालिबान से समझौता कर चुका है। लिहाजा, अमेरिका ने पाकिस्तान से सैन्य अड्डा माांगा है कि पाकिस्तान की मीडिया का कहना है कि बलोचिस्तान में अमेरिका को पाकिस्तान अपना सैन्य अड्डा दे सकता है। लेकिन, इसके साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान के लिए अमेरिका को सैन्य अड्डा देने का फैसला लेना आसान होगा या फिर चीन और अमेरिका के बीच पाकिस्तान फंस चुका है? दूसरा सवाल ये है कि तालिबान को लगातार समर्थन देने वाला पाकिस्तान अब जबकि जान रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान मजबूत होगा, तो क्या वो अमेरिका को सैन्य अड्डा देने का खतरा मोल लेगा? और भारत के संदर्भ में देखें तो क्या पाकिस्तान और अमेरिका के फिर से एक दूसरे के नजदीक आने से भारत को नुकसान होगा?
अमेरिका को सैन्य अड्डा देगा पाकिस्तान?
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिका को सैन्य अड्डा देने से साफ इनकार कर दिया है लेकिन व्हाइट हाउस ने कहा है कि उसे पाकिस्तान से सैन्य अड्डा मिल रहा है। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर झूठ कौन बोल रहा है? वहीं, पाकिस्तानी मीडिया ने भी दावा किया है कि अमेरिका को सैन्य अड्डा देने के लिए पाकिस्तान तैयार हो गया है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या चीन से बगैर पूछे पाकिस्तान ने अमेरिका को सैन्य अड्डा दे दिया है या फिर चीन की तरफ से मंजूरी मिल गई है? ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन की सरकार मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने अपनी संपादकीय में पाकिस्तान को अमेरिका को सैन्य अड्डा देने पर चेतावनी दी थी और चीन को क्रॉस करना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान चीन और अमेरिका नाम की दो महाशक्तियों के बीच पिस रहा है? इंटरनेशनल रिलेशन एंड इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन, नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. मनन द्विवेदी कहते हैं कि 'मेरा मानना है कि अगर पाकिस्तान चीन को हवाई अड्डा देने का फैसला करता है तो बगैर चीन की मंजूरी वो ऐसा कदम नहीं उठाएगा। हालांकि, पाकिस्तान को अमेरिका से मुफ्त में मदद मिलने का लालच जरूर होगा लेकिन पाकिस्तान ये भी जानता है कि एक ऑटोक्रेट देश चीन से बैर मोल लेना पाकिस्तान के वश की बात नहीं है। और अमेरिका के नजदीक दोबारा आने का मौका चीन गंवाना नहीं चाहेगा। ऐसे में पाकिस्तान के लिए सैन्य अड्डा अमेरिका को देने का फैसला आसान नहीं होने वाला है।'
तालिबान को नाराज करेगा पाकिस्तान?
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी कई बार कह चुके हैं कि तालिबान को पाकिस्तान मदद दे रहा है और अफगानिस्तान की शांति बिगड़ने के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। तालिबान और पाकिस्तान के बीच का संबंध किसे से छिपा नहीं है और अभी भी तालिबान के बड़े नेता पाकिस्तान में ही छिपे हुए है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या अमेरिका को सैन्य अड्डा देकर पाकिस्तान तालिबान को नाराज करना चाहेगा? क्योकि विश्लेषकों की माने तो आने वाले वक्त में अफगानिस्तान में तालिबान का राज कामय हो सकता है और ऐसे में जब पेड़ के फल देने का मौका आ जाए, तो क्या पाकिस्तान उस पेड़ से बैर मोल लेगा? पाकिस्तान के लिए ये फैसला करना आसान नहीं होने वाला है। क्योंकि अमेरिकन फौज जब तक पाकिस्तान में है, तबतक तालिबान शांति से नहीं बैठ पाएगी। ऐसे में पाकिस्तान के पास तालिबान और अमेरिका के बीच का फैसला करना भी आसान नहीं होने वाला है। वहीं, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच 2001 में जीएलओसी समझौता हुआ था, जिसके तहत पाकिस्तान में अमेरिका को हवाई अड्डा बनाने की इजाजत मिली थी। तो सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान इस समझौते को तोड़ने की कोशिश करेगा? अगर ऐसा करता है तो पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंध और खराब होंगे!
अमेरिका के नजदीक आने का मौका
पिछले कुछ सालों में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच की दूरी काफी बढ़ गई है। 20 जनवरी को अमेरिका में राष्ट्रपति पद संभालने वाले जो बाइडेन ने अभी तक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को फोन नहीं किया है। ऐसे में समझा जा सकता है कि दोनों देशों कितने दूर जा चुके हैं। अब एक बार फिर से अमेरिका एक तरह से पाकिस्तान को करीब आने का मौका दे रहा है और पिछले हफ्ते अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से फोन पर बात की थी। पाकिस्तान मीडिया अटकलें लगा रहा है कि उसी बातचीत के दौरान पाकिस्तान अमेरिका को सैन्य अड्डा देने के लिए तैयार हो गया है। पाकिस्तानी मीडिया का आंकलन है कि पाकिस्तान अमेरिका के करीब इसलिए जाना चाहेगा, क्योंकि अमेरिका की करीबी होने पर उसे यूरोपीयन देशों से नरमी देखने को मिलेगी। यूरोपीयन यूनियन पाकिस्तान से काफी नाराज है। वहीं, इंटरनेशनल रिलेशन एंड इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन, नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. मनन द्विवेदी कहते हैं कि अमेरिका एक बार फिर से भारत और पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्ते को शुरू करवा सकता है, जिससे पाकिस्तान को काफी ज्यादा फायदा होगा। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अमेरिका की पकड़ का भी फायदा पाकिस्तान उठा सकता है। हालांकि, डॉ. द्विवेदी ये भी मानते हैं कि पाकिस्तान और अमेरिका के नजदीक होने से अफगानिस्तान को लेकर भारत को थोड़ा नुकसान हो सकता है और रिजनल रणनीति को लेकर भारत को थोड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है! 11 सितंबर तक अमेरिका को अपनी सेना अफगानिस्तान से हटानी है और एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले ही पाकिस्तान के लिए चीन और अमेरिका जैसी महाशक्तियों के बीच पिसने की नौबत आ जाए, मगर पाकिस्तान के लिए अमेरिका को इनकार करना आसान नहीं होने वाला है।