सऊदी अरब की नाराज़गी दूर कर पाएंगे पाक सेना प्रमुख?
दोनों देशों के बीच स्थिति उस वक़्त तनावपूर्ण हो गई थी जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने पाँच अगस्त को कश्मीर मुद्दे पर एक टीवी इंटरव्यू में सऊदी अरब की तीखी आलोचना की.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पाकिस्तान के सेना प्रमुख क़मर जावेद बाजवा सऊदी अरब की नाराज़गी दूर करने रियाद जा रहे हैं. बाजवा की यात्रा का प्रमुख मक़सद सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए ताज़ा तनाव को कम करना होगा.
दोनों देशों के बीच स्थिति उस वक़्त तनावपूर्ण हो गई थी जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने पाँच अगस्त को कश्मीर मुद्दे पर एक टीवी इंटरव्यू में सऊदी अरब की तीखी आलोचना की.
क़ुरैशी ने कहा था कि भारत ने जब जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किया तब सऊदी अरब ने इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी.
शाह महमूद क़ुरैशी ने धमकी भरे अंदाज़ में कहा था कि पाकिस्तान अब ख़ुद ही इस संबंध में ओआईसी (ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कॉन्फ़्रेंस) की बैठक बुलाएगा. क़ुरैशी के इस बयान को ओआईसी में सऊदी अरब के नेतृत्व को चुनौती देने की तरह देखा गया.
क़ुरैशी ने इस इंटरव्यू में कहा था, "पाकिस्तान आपसे वो भूमिका अदा करने को कह रहा है जिसकी मुसलमान आपसे उम्मीद करते हैं. मैं जानता हूं कि मैं जो कह कर रहा हूं उससे तनाव पैदा होगा लेकिन कश्मीरियों को मारा जा रहा है."
ग़ुस्से में सऊदी अरब, रोकेगा आर्थिक मदद?
इन सबसे पाकिस्तान के सहयोगी देश सऊदी अरब में काफ़ी ग़ुस्सा देखा गया. सऊदी अरब पाकिस्तान को सबसे ज़्यादा कर्ज़ और आर्थिक मदद देने वाले देशों में से एक है.
हालांकि पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस पूरे मामले को ठंडा करने की कोशिश की है.
पाकिस्तानी सूचना मंत्री शिबली फ़राज़ ने 11 अगस्त को एक प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा, "सऊदी अरब मुश्किल वक़्त में हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा है और हम इसके लिए उसके शुक्रगुज़ार हैं."
अब सैन्य प्रमुख बाजवा का ये दौरा ये कोशिश करेगा कि ऐतिहासिक रूप से क़रीब रहे पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्तों में आए तनाव को कुछ कम किया जा सके.
हालांकि सऊदी अरब ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयानों पर आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन स्थानीय रिपोर्ट्स क मुताबिक़ सऊदी अरब पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाने के बारे में सोच रहा है.
पाकिस्तान पर संकट के बादल
पाकिस्तानी अख़बार द ट्रिब्यून ने इस महीने की शुरुआत में लिखा था कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान की उस गुज़ारिश पर अब तक कोई फ़ैसला नहीं लिया है जिसमें 2018 से जारी उस सुविधा को जारी रखने का अनुरोध किया गया था जिसकी अवधि इस साल नौ जुलाई को ख़त्म हो गई थी.
अब तक पाकिस्तान को साल भर में 3.2 अरब डॉलर की क़ीमत वाले तेल के लिए देरी से भुगतान करने की सुविधा थी. विशेषज्ञों का कहना है कि आम तौर पर ये सुविधा कर्ज़ लेने वाले देश की दरख़्वास्त से पहले ही रिन्यू कर दी जाती है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के पद पर आने के बाद इमरान ख़ान ने सबसे पहले सऊदी अरब का ही दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने इससे पांच अरब डॉलर का कर्ज़ लिया था.
'रिश्ते की क़द्र करे पाकिस्तान'
सऊदी सरकार के करीबी माने जाने वाले राजनीतिक विश्लेषक अली शिहाबी ने ट्वीट किया है, "पाकिस्तानी नेतृत्व को सऊदी अरब की मदद को हल्के में लेने की बुरी आदत है जबकि उनकी दशकों से मदद करते आ रहा है. अब ये स्थिति ख़त्म हो गई है और पाकिस्तान के लिए इस रिश्ते को महत्व देने का समय आ गया है. अब ये रिश्ता एकतरफ़ा नहीं रह गया है."
Pakistani elites have a bad habit of taking Saudi support for granted given what Saudi has done for Pakistan over the decades. Well the party is over and Pakistan needs to deliver value to this relationship. Its no longer a free lunch or a one way street. https://t.co/tReWBoNXku
— Ali Shihabi (@aliShihabi) August 13, 2020
पिछली बार पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्तों में तनाव साल 2015 में तब आया था जब पाकिस्तान ने यमन में सऊदी समर्थित सैन्यबलों की मदद के लिए अपने सैनिक भेजने से इनकार कर दिया था. हालांकि इमरान ख़ान के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के रिश्ते सुधर गए थे.
एक तरफ़ जहां पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच मजहबी रिश्ते हैं, वहीं भारत का सऊदी के साथ व्यापार पाकिस्तान के मुकाबले 11 गुना ज़्यादा है. भारत दुनिया में तेल का सबसे ज़्यादा आयात करने वाले देशों में से भी एक है. इतना ही नहीं, सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको, भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ में 15 फ़ीसदी हिस्सेदारी खरीदने की डील पर भी काम कर रही है.