क्या दोबारा पुराने जैसा बन पाएगा नॉट्र डाम चर्च?
जहां एक तरफ आग लगने के कारणों को तलाशा जा रहा है वहीं दूसरी तरफ इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि आस्था के इस केंद्र की मरम्मत कैसे की जा सकती है.
पेरिस का 850 साल पुराना मशहूर नॉट्र डाम कैथेड्रल सोमवार को आग की चपेट में आकर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया.
जहां एक तरफ आग लगने के कारणों को तलाशा जा रहा है वहीं दूसरी तरफ इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि आस्था के इस केंद्र की मरम्मत कैसे की जा सकती है.
कई कंपनियों और उद्योगपतियों ने इसके पुनर्निर्माण पर आगे आए हैं, अब तक सैकड़ों मिलियन यूरो इकट्ठा भी हो गए हैं.
तो क्या यह प्रसिद्ध इमारत दोबारा अपने पुराने अस्तित्व में लौट सकेगी?
रिकॉर्डिंग, सर्वे, मरम्मत
1984 में बिजली गिरने से लगी आग में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए इंग्लैंड के यॉर्क मिनिस्टर कैथेड्रल के पुनर्निर्माण में काम करने वाले जॉन डेविड नॉट्र डाम कैथेड्रल की मरम्मत को लेकर बात करने के लिए सबसे उपयुक्त लोगों में से हैं.
वो कहते हैं, "जब हम भीतर गए तो हमें वहां जली हुई लकड़ियों के ढेर, राख और कालिख जमी दिखी. पूरी इमारत धू-धू कर जल रही थी. तब भी पूरी टीम को इस बात को लेकर विश्वास था कि हम उसकी मरम्मत कर सकते हैं और आज भी वो नॉट्र डाम के लिए ठीक वैसा ही सकारात्मक नज़रिया रखते हैं."
डेविड कहते हैं, "यह दिखाने का अवसर है कि यह काम आज भी किया जा सकता है."
वो कहते हैं कि मरम्मत करने से पहले टीम को इस चर्च के बाहर के मचान को हटाना होगा. जब आग लगी थी तब यहां व्यापक रूप से मरम्मत का काम पहले से चल रहा था. ऐसे में इसके बाहरी हिस्से को एक काफी बड़े मंचनुमा ढांचे ने कवर कर रखा था.
वो कहते हैं कि हवा और बारिश से बचाने के लिए चर्च के ऊपरी हिस्से को भी कवर किया जाना होगा.
डेविड कहते हैं, "चर्च के अंदर गिरी हुई लकड़ी और अन्य मलबे को साफ़ करना होगा."
यूनिवर्सिटी ऑफ़ यॉर्क के पुरातत्व विभाग के डॉ. केट जाइल्स कहती हैं, "किसी भी लकड़ी, पत्थर और कलाकृतियों के बचे हुए टुकड़ों को हटाने से पहले उनकी पुरातात्विक रिकॉर्डिंग करनी होगी."
वो कहती हैं, "इससे नॉट्र डाम टीम को पहले से इमारत में लगी चीज़ों की डिजाइन को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी."
नुकसान का आंकलन
विशेषज्ञों का कहना है कि कैथेड्रल के साफ़ हो जाने के बाद इसका सर्वे करना ज़रूरी होगा ताकि हुई क्षति को मापा जा सके और यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें प्रवेश करना अब सुरक्षित है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ लिंकन में प्राध्यापक डॉ. अमीरा एल्नोकलि कहते हैं, "सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण विषय है, ढहने या मलबा गिरने के किसी भी जोखिम से बचने के लिए बहुत अच्छे से मुआयना किया जाना चाहिए.
इसके बाद चर्च की छत पर नक्काशी के काम का सर्वे किया जाएगा.
केम्बिज यूनिवर्सिटी के मध्यकालीन कला विभाग में प्रोफ़ेसर पॉल बिंस्की कहते हैं, "ऊपरी नक्काशी, मेहराब, और दरीचा (खिड़की) काफी गरम हो गए होंगे और अधिक तापमान ने यहां लगे पत्थरों को कमजोर कर दिया होगा.
वो कहते हैं, "सबसे पहले पत्थर का सर्वे करना होगा. पूरी इमारत के चारों तरफ मचान बनाना पड़ेगा और बहुत बारीकी से पूरी स्थिति पर नज़र बनाए रखना पड़ेगा.
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा इसलिए कि जब लकड़ी से बनी ऊपरी छत आग से नष्ट होती है तो पत्थर से बने भीतरी छत पर आग का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है."
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा इसलिए क्योंकि पत्थर की छत गिरने का सबसे अधिक असर तब होगा, जब लकड़ी की छत टूट गई होगी.
19वीं सदी की मीनार पर बनी छत यदि पत्थर के बने मेहराब पर गिरी होंगी, जो 108 फ़ीट की ऊंचाई पर हैं, तो क्या होगा.
"मेहराब होने की वजह से ऊपर लगी आग से चर्च की बाकी कई चीज़ें नुकसान होने से बच गई होंगी, निश्चित ही, इसने कई चीज़ों को बचाने में अहम किरदार निभाया होगा."
जो तस्वीरें आ रही हैं उनसे यह लगता है कि मंच, बैठने की जगहें और वो टेबल जिस पर यीशु को चढ़ाने की चीज़ें रखी जाती हैं काफी हद तक बच गई हैं.
कैथेड्रल के अंदर की तस्वीर दिखाती हैं कि कम-से-कम इसके गुंबद में लगी प्रसिद्ध गोलकार खिड़की बच गई है, हालांकि कुछ अन्य शीशे की खिड़कियों को लेकर चिंताएं बरकार हैं.
तो आखिर विशेषज्ञ इसकी दोबारा मरम्मत कैसे करेंगे?
शीशे, खिड़कियों की सफ़ाई की चुनौती
शीशे की खिड़कियों की विशेषज्ञ सारा ब्राउन कहती हैं, "शुरू में एक सर्वे किया जाएगा, जिसमें यह तय किया जाएगा कि ऐतिहासिक और कलात्मक रूप से प्राथमिकताएं क्या हैं."
वो कहती हैं, "मुझे लगता है कि खिड़कियों पर खास ध्यान देने की आवश्यकता होगी जैसी आग लगी थी उससे बहुत ऊंचा धुंआ उठा था. यदि खिड़कियां ठीक होती हैं तो भी निश्चित रूप से उनकी सफ़ाई करनी होगी."
ब्राउन कहती हैं, "आग की वजह से गर्म और फिर तेज़ी से ठंडे हुए शीशों को पानी की धार से साफ़ करना सहसे बड़ी समस्या होगी."
कितना नुक़सान हुआ है इसे जानने के लिए विशेषज्ञों को अभी तक साइट पर जाने की अनुमति नहीं दी गई है. हालांकि अग्निशमन कर्मचारी नुकसान का अंदाज़ा लाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
आगे क्या?
गर्मी और पानी की बौछार की वजह से क्या-क्या ख़राब हुआ है, ये भी अभी देखा जाना है.
फ्रैंच चैरिटी फ़ाउंडेशन के बरट्रैंड दी फेयदू का कहना है कि गिरिजाघर का अट्ठारहवीं सदी में बना हिस्सा जला नहीं है लेकिन अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि इस पर पानी का कुछ असर हुआ है या नहीं.
बहुत से लोग नॉट्र डाम को बचाने के लिए आगे आए हैं. कुछ लोगों ने निजी स्तर पर आगे बढ़कर मदद की पेशकश की है तो कुछ लोग समूहों में आगे आए हैं.
एयर फ्रांस ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि जो कोई भी इस इमारत के पुनर्निर्माण के काम में सहयोग के लिए आगे आएगा, उसे कंपनी मुफ़्त में सेवा देगी.
केरिंग ग्रुप के सीईओ और चेयरमैन अरबपति फ्रांकोइस हेनरी पिनॉल्ट ने 113 मिलियन डॉलर की सहायता का वादा किया है.
इसके अलावा बर्नार्ड अर्नाल्ट के परिवार और उनकी कंपनी ने भी मदद का वादा किया है.
लॉरियल और दूसरी कंपनियां भी मदद के लिए आगे आई हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा है कि वो इस बात से बहुत ही संतोष का अनुभव कर रहे हैं कि उन्होंने इमारत को दोबारा खड़ा करने में सहयोग दिया.
उन्होंने विशेषज्ञों की एक टीम को फ्रांस भेजा है.
ब्रिटेन की सरकार भी मदद के लिए खड़ी है. इसके अलावा स्पेन भी अपनी तरफ़ से हर संभव मदद देना चाहता है.
चर्च की क़ीमती चीज़ों का क्या?
आग बुझने के बाद घटनास्थल पर पहुंची आपातकालीन सेवा के अधिकारियों ने बहुत सी क़ीमती चीज़ों को बचा लिया है. इनमें से कुछ धार्मिक चीज़ें भी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इन क़ीमती चीज़ों में वो कांटों वाला मुकुट भी शामिल है जो ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने से पहले पहनाया गया था.
उस ट्यूनिक को भी सुरक्षित रख लिया गया है जो किंग लुइस IX ने उस वक़्त पहना था जब वो कांटों वाले इस ताज को पेरिस लेकर आए थे.
इतिहासकार कैमिल पास्कल ने फ्रेंच ब्रॉडकास्टर बीएफ़एमटीवी से बातचीत में कहा कि इस आग ने अमूल्य धरोहर को नष्ट कर दिया.
उन्होंने कहा, "आज नॉट्र डाम में जो कुछ भी हुआ वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन जिस तरह कुछ चीज़ों को बचा लिया गया वो खुशी देने वाला है. आज हमने अपनी आंखों से जो कुछ देखा वो बहुत तक़लीफ़ देने वाला था."
एक तस्वीर जो हो रही है वायरल
इस दुर्घटना की दुनियाभर में चर्चा हो रही है लेकिन इसके साथ ही एक तस्वीर भी वायरल हो रही है. इस वायरल हो रही तस्वीर में एक गिरिजाघर के बाहर एक शख़्स एक बच्ची के साथ नज़र आ रहा है. ये तस्वीर आग लगने के कुछ मिनट पहले की है.
पर्यटक ब्रूक विंडसर का कहना है कि उन्होंने यह तस्वीर आग लगने के लगभग एक घंटे पहले ही ली थी. अब वो संभवत: पिता-पुत्री की इस जोड़ी को खोज रही हैं. उन्होंने ट्विटर पर उन्हें खोजने की मुहिम चला रखी है.
उन्होंने लिखा है, "'ट्विटर अगर तुम में कोई जादू है तो उन लोगों को खोजने में हमारी मदद करो."