नरेंद्र मोदी को इमरान ख़ान के फ़ोन कॉल से सुधरेंगे भारत-पाकिस्तान के रिश्ते?
पाकिस्तान ये भी जानता है कि अगर चीन मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने के लिए राज़ी हुआ है तो उसकी क़ीमत वो कहीं न कहीं से वसूलेगा. फिर चाहे वो 'वन बेल्ट वन रोड' के रूप में वसूले या चाबहार बंदरगाह के निर्माण में भारत की परियोजना में देरी के रूप में वसूले. इसलिए ये सब बातें जानते हुए पाकिस्तान उदार होने की कोशिश ज़रूर करेगा.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन करके उन्हें लोकसभा चुनाव में भारी जीत की बधाई दी है. इस साल कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले के बाद ये पहली बार है जब दोनों राष्ट्राध्यक्षों में सीधी बातचीत हुई है.
चुनाव के नतीजे आने से पहले भी इमरान ख़ान ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा था कि नरेंद्र मोदी का दोबारा प्रधानमंत्री बनना पाकिस्तान के लिए अच्छा होगा. चुनाव के नतीजे वाले दिन 23 मई को भी उन्होंने ट्वीट करके मोदी को बधाई दी थी.
I congratulate Prime Minister Modi on the electoral victory of BJP and allies. Look forward to working with him for peace, progress and prosperity in South Asia
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) 23 May 2019
फ़िलहाल अभी इमरान ख़ान और नरेंद्र मोदी की बातचीत को भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के लिहाज़ से अहम माना जा रहा है.
दोनों राष्ट्राध्यक्षों की इस बातचीत के क्या मायने हैं, ये समझने के लिए बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर ने बात की अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार पुष्पेश पंत से बात की.
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पुष्पेश पंत का विश्लेषण
ये बहुत अच्छी बात है कि इमरान ख़ान ने औपचारिक शिष्टाचार निभाते हुए नरेंद्र मोदी को फ़ोन किया. अगर पड़ोसी देश का प्रधानमंत्री दोबारा निर्वाचित होता है तो ये स्वाभाविक है कि दूसरा प्रधानमंत्री उसे बधाई दे.
हाल के दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध असाधारण रूप से तनावग्रस्त रहे हैं और दोनों देश ये कोशिश करते रहे कि ये तनाव विस्फोटक रूप न ले. उस लिहाज़ से भी देखें तो इस कदम के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं हो सकता था. ये नहीं हो सकता था कि दुनिया भर के नेता नरेंद्र मोदी को बधाई दें और पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री चुप रहें.
अगर बात भारतीय सेना के विंग कमांडर अभिनंदन की करें तो उस वक़्त चुनावी माहौल था और नरेंद्र मोदी के आलोचकों ने इसे पाकिस्तान के अपहरण के तौर पर पेश करने की कोशिश की थी लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ था. इससे पहले भी पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों को लौटाया है. हां, ये बाद ज़रूर है कि उस समय पाकिस्तान के अभिनंदन को सुरक्षित लौटाने के कदम को एक सद्भावना संदेश के तौर पर देखा गया.
इसके अलावा मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र ने जिस तरह चीन के समर्थन से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया, उसका ज़्यादा नहीं भले नहीं मगर थोड़ा असर पाकिस्तान पर ज़रूर पड़ा है.
इससे पहले पाकिस्तान का मसूद अज़हर को लेकर जो रुख था, वो कुछ ऐसा था कि मसूद अंतरराष्ट्रीय आंतकवादी नहीं और उसे अपने 'राजनीतिक काम' करने की आज़ादी है. अब ये सारी बातें थोड़ी रुक गई हैं.
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'भारत-पाकिस्तान की कोई तुलना नहीं'
एक बात और जो ध्यान में रखी जानी चाहिए वो ये कि भारत और पाकिस्तान की कोई तुलना नहीं है.
पाकिस्तान अगर भारत के साथ मुठभेड़ और संघर्ष का दुस्साहस करता है तो उसकी वजह ये है कि उसके सिर पर चीन और अमरीका का वरदहस्त है. उसके दिवालियापन के बावजूद उसे सऊदी अरब से भी आर्थिक मदद मिलती रहती है. ऐसा लगता है कि अपने सामरिक हितों की रक्षा के लिए अमरीका का पाकिस्तान साथ छोड़ने वाला नहीं है.
इधर चीन ने 1962 से पाकिस्तान से जैसी धुरी बनाई है वो आसानी से टूटने वाली नहीं है. इसलिए एक तरह से पाकिस्तान आश्वस्त है कि उसे भारत के विरुद्ध चीन, अमरीका और सऊदी अरब जैसे देशों का राजनायिक समर्थन मिलता रहेगा.
दूसरी तरफ़, इस वक़्त अमरीका के निशाने पर ईरान है, इसलिए पाकिस्तान ये भी जानता है कि डोनल्ड ट्रंप को नाराज़ न करने के लिए भारत ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों का पालन करेगा. एक सीमा तक भारत ईरान से दूर हो भी चुका है.
पाकिस्तान ये भी जानता है कि अगर चीन मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने के लिए राज़ी हुआ है तो उसकी क़ीमत वो कहीं न कहीं से वसूलेगा. फिर चाहे वो 'वन बेल्ट वन रोड' के रूप में वसूले या चाबहार बंदरगाह के निर्माण में भारत की परियोजना में देरी के रूप में वसूले. इसलिए ये सब बातें जानते हुए पाकिस्तान उदार होने की कोशिश ज़रूर करेगा.
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मोदी के शपथ ग्रहण में आएंगे इमरान ख़ान?
दोनों नेताओं के बीच फ़ोन पर हुई सीधी बातचीत के बात संभावना जताई जा रही है कि इमरान ख़ान को नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया जाएगा. नरेंद्र मोदी 30 मई को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे.
साल 2014 में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक़ हुए थे.
2014 में चुनाव जीतने के बाद शपथ ग्रहण समारोह में मोदी ने दक्षिण एशियाई देशों के राष्ट्र प्रमुखों को आमंत्रित किया था लेकिन इस बार किन देशों के राष्ट्र प्रमुखों को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया जाएगा, ये अभी साफ़ नहीं है.