क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अफ़ग़ानिस्तान में ख़त्म होगी 18 साल पुरानी लड़ाई?

अफ़ग़ानिस्तान तालिबान ने कहा है कि क़तर में अमरीका के साथ चल रही बातचीत अंतिम दौर में है और जल्द ही अच्छी ख़बर आ सकती है. अगर अमरीका और तालिबान के बीच शांति वार्ता सफल हुई तो अफ़ग़ानिस्तान में 18 साल से चले आ रहे अस्थिर हालात ख़त्म हो सकते हैं. ये अफ़ग़ान शांति वार्ता का पहला चरण है और इसके बाद दूसरा चरण शुरू होगा.

By दाउद आज़मी, बीबीसी पश्तो सेवा
Google Oneindia News
अफ़ग़ानिस्तान
EPA
अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान तालिबान ने कहा है कि क़तर में अमरीका के साथ चल रही बातचीत अंतिम दौर में है और जल्द ही अच्छी ख़बर आ सकती है.

अगर अमरीका और तालिबान के बीच शांति वार्ता सफल हुई तो अफ़ग़ानिस्तान में 18 साल से चले आ रहे अस्थिर हालात ख़त्म हो सकते हैं.

ये अफ़ग़ान शांति वार्ता का पहला चरण है और इसके बाद दूसरा चरण शुरू होगा.

इसका नतीजा ये होगा कि अमरीकी सुरक्षा बल अफ़ग़ानिस्तान से निकलने की अपनी एक योजना सामने रखेंगे. दोनों पक्ष मिलकर तय करने वाले हैं कि अमरीकी सेनाएं वहां से कब वापस लौटेंगी.

इसके अलावा तालिबान ये गारंटी देगे कि अफ़ग़ानिस्तान भविष्य में अन्य देशों के लिए ख़तरे पैदा नहीं करेगा और न ही अलक़ायदा जैसे चरमपंथी गुटों के साथ रिश्ता नहीं रखेंगे.

अफ़ग़ानिस्तान में सैनिक
Reuters
अफ़ग़ानिस्तान में सैनिक

इन दो बिंदुओं पर बीते क़रीब एक साल से तालिबान और अमरीका के बीच शांति वार्ता चल रही है और अब बातचीत का नौवां राउंड चल रहा है. उम्मीद है कि इन दो मसलों पर आने वाले कुछ दिनों में एक समझौता हो जाएगा.

इसके बाद तालिबान और दूसरे अफ़ग़ान आपस में बैठेंगे और अफ़ग़ान शांति वार्ता का दूसरा चरण शुरू होगा.

दूसरे चरण की बातचीत में अफ़ग़ान सरकार भी शामिल होगी. एक टीम तालिबान की होगी और दूसरी टीम क़ाबुल से आएगी. काबुल की टीम में मौजूदा सरकार के सदस्यों के अलावा सिविल सोसाइटी और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी होंगे. यह एक क़िस्म का समावेशी प्रतिनिधिमंडल होगा.

अफ़ग़ानिस्तान
Reuters
अफ़ग़ानिस्तान

यह अभी साफ़ नहीं है कि इन दोनों पक्षों के लिए बातचीत कितने समय में पूरो हो सकेगी. यह एक मुश्किल मामला होगा क्योंकि दोनों पक्ष इस पर बात करेंगे कि अफ़ग़ानिस्तान का भविष्य का सिस्टम किस तरह का होगा, चुनावों की कोई भूमिका होगी या नहीं. इसके अलावा औरतों के हक़, मीडिया की आज़ादी और दूसरी नागरिक आज़ादियों पर फ़ैसले लिए जाएंगे.

दूसरे दौर की बातचीत में अमरीका का रोल इतना अहम नहीं होगा क्योंकि वह सिर्फ़ एक प्रेक्षक की भूमिका में होगा.

पिछले 18 साल में ये पहली बार है कि सभी पक्ष इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान मसले का सैन्य हल संभव नहीं है और बातचीत से ही इसे सुलझाया जा सकता है.

तो अब असल चुनौती ये है कि किस तरह स्थानीय देश और क्षेत्रीय शक्तियों का सहयोग और समर्थन हासिल किया जाए. क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में ये लड़ाई सिर्फ़ अफ़ग़ानो के दरम्यान नहीं है बल्कि इसका एक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयाम भी है.

पढ़ें:

चुनाव में 'धांधली' की जांच न होने पर महिलाओं ने होंठ सी लिए

अफ़ग़ानिस्तान में मंत्रालय की इमारत पर हमला

तालिबान से बातचीत शांति लाएगी या हालात बिगाड़ेगी?

अब असल चुनौती ये होगी कि किस हद तक ये पक्ष समझौते को तैयार होते हैं. तालिबान के लिए बड़ा मसला अफ़ग़ानिस्तान पर विदेशी सुरक्षा बलों की मौजूदगी है. जब ये मसला हल हो जाएगा तो अफ़ग़ानिस्तान के भीतर एक घरेलू संवाद का दरवाज़ा खुल जाएगा.

उसमें ये सब मसले बहस में होंगे कि सिस्टम किस तरह का होगा, अधिकार कैसे होंगे और तालिबान की भूमिका क्या होगी.

(बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा से बातचीत पर आधारित)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Will 18-year-old war end in Afghanistan?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X