जूलियन असांजे को यूके कोर्ट ने दी राहत, अमेरिका प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा
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नई दिल्ली। ब्रिटेन की एक अदालत ने सोमवार को अहम फैसला देते हुए कहा है कि विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को अमेरिका प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा। लंदन स्थित डिस्ट्रिक्ट ओल्ड बैले कोर्ट की जज वैनिसा बैरियेस्टर ने ये फैसला सुनाया है। सेना के गोपनीय दस्तावेजों और कूटनीतिक संदेशों को सार्वजनिक करने के मामले में अमेरिका असांजे के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। इस मामले पर तीन हफ्ते से कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, जिसमें सोमवार को फैसला आया। ये भी जानकारी सामने आई है कि असांजे के वकील बुधवार सुबह जमानत की अर्जी अदालत में दाखिल करेंगे।
असांजे के वकीलों ने अदालत में दलील दी कि वह पत्रकार के तौर पर काम कर रहे थे, इसलिए वह दस्तावेजों को प्रकाशित करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत संरक्षण के हकदार हैं। जो दस्तावेज उन्होंने प्रकाशित किए, उनमें अमेरिकी सैनिकों के इराक और अफगानिस्तान में किए कामों की जानकारी है। एक पत्रकार को ये छापने का हक है। वहीं अमेरिकी सरकार के वकीलों ने अदालत में कहा कि उन पर सैन्य फाइलों को चुराने में अवैध संलिप्तता का मामला है। ऐसे में उनको अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया जाना चाहिए।
असांजे पर एक दशक पहले अमेरिकी सेना के गोपनीय दस्तावेज प्रकाशित करने को लेकर जासूसी का आरोप है। अमेरिकी सरकार औऱ दूतावासों के बीच खुफिया संदेशों के लीक होने से दुनिया भर में भूचाल आ गया था। उस पर मित्र देशों के नेताओं की जासूसी कराने का भी आरोप इसके बाद लगा था।
असांजे को 2010 में स्वीडन के आग्रह पर लंदन में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। स्वीडन दो महिलाओं द्वारा लगाए गए रेप और यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर असांजे से पूछताछ करना चाहता था। स्वीडन भेजे जाने से बचने के लिए असांजे 2012 में लंदन स्थित इक्वेडोर के दूतावास में शरण ली थी।
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