तो चीन को जवाब देने के लिए अपने पुराने दुश्मन के घर में किम जोंग उन से मिल रहे हैं ट्रंप
हनोई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरियाई सुप्रीम लीडर किम जोंग उन के बीच एक बार फिर मुलाकात होने जा रही है। दशकों पहले अमेरिका का दुश्मन रहा वामपंथी देश वियतनाम अब ट्रंप और किम की अगुवाई करने जा रहा है। बीते दशकों में वियतनाम और अमेरिका के बीच रिश्तों में काफी सुधार देखने को मिला है। एशिया में आर्थिक रूप से तेजी के साथ आगे बढ़ रहा वियतनाम पिछले कुछ सालों में अमेरिका का करीबी साझेदार राष्ट्र बनकर उभरा है। पिछले साल ट्रंप और किम के बीच सिंगापुर में ऐतिहासिक मुलाकात हुई थी, इस बार हनोई में दोनों देशों के नेताओं के बीच 27-28 फरवरी को एक बार फिर महत्वपूर्ण चर्चा होने जा रही है। एक नजर डालते हैं आखिर क्यों ट्रंप-किम समिट के लिए वियतनाम को चुना गया।
सरी समिट के लिए क्यों वियतनाम को चुना गया?
ट्रंप और किम की मुलाकात के लिए वियतनाम को चुनने के बहुत कारण हो सकते हैं। नॉर्थ कोरिया से वियतनाम की दूरी बहुत कम होने की वजह से किम जोंग उन प्योंगयांग से जल्दी ही हनोई पहुंच जाएंगे, जो ज्यादातर ट्रेन में सफर करते हैं। साथ ही वियतनाम में दोनों देशों के दूतावास हैं और इसी वजह से अमेरिका और नॉर्थ कोरियाई अधिकारी मीटिंग की तैयारी में जुट गए हैं। अमेरिका और नॉर्थ कोरिया दोनों ही देशों के साथ वियतनाम से रिश्ते बेहतर हैं और एक तटस्थ राष्ट्र के रूप में जाना जाता है। फिलहाल, इन दो बड़े नेताओं की चर्चा पर पूरी दुनिया की नजर रहने वाली है, इसलिए वियतनाम में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। ग्लोबल मीडिया को मैनेज करने के लिए भी वियतनाम सरकार कदम उठाने जा रही है।
किम ने क्यों चुना वियतनाम?
किम राजवंश के लिए वियतनाम हमेशा खास और अच्छा साझेदार राष्ट्र रहा है। हनोई और प्योंगप्यांग के बीच 1950 से ही अच्छे कूटनीति संबंध है। पूरी दुनिया को पता है कि जब 1950 में वियतनाम में युद्ध चल रहा था, तब नॉर्थ कोरिया ने मदद करने के लिए अपनी सेना भेजी थी। 1961 में नॉर्थ कोरिया की तरफ से आखिरी बार किम के दादा किम इल सुंग ने वियतनाम का दौरा किया था। हालांकि, दोनों देशों के अधिकारी कई बार एक-दूसरे की यात्रा कर चुके हैं। किम जोंग उन की यह पहली वियतनाम यात्रा होगी। इस दौरान दोनों देश युद्ध के बाद एक बार फिर अपने रिश्तों में ऐतिहासिक परिवर्तन के लिए काम कर सकते हैं।
अमेरिका ने क्यों चुना वियतनाम?
एशिया में अमेरिका के लिए वियतनाम एक रणनीतिक देश की तरह है, जिसके चीन के साथ व्यापार फिलहाल बंद है, लेकिन नॉर्थ कोरिया का करीबी साझेदार देश है। सियोल में असन इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज में रिसर्च फेलो चोन सेउंग वुन के अनुसार, 'ट्रंप ने वियतनाम को इसलिए चुना है क्योंकि कहीं न कहीं चीन को यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि नॉर्थ कोरिया शी जिनपिंग के हाथ में नहीं है। इस क्षेत्र (एशिया) में चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिका ने स्ट्रेटेजिक रूप से वियतनाम को चुना है।' साथ ही वॉशिंगटन यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वियतनाम से उनके रिश्तें कितने बेहतर हैं।