उत्तर और दक्षिण कोरिया में तलवारें क्यों खिंचीं?
आख़िर उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच संघर्ष ख़त्म होकर भी ख़त्म क्यों नहीं हुआ?
दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपित मून जे-इन ने शपथ ले ली है. राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने अपने पहले भाषण में अर्थव्यवस्था और उत्तर कोरिया से संबंधों पर बात की. उत्तर कोरिया से बढ़ते तनाव के बीच मून ने कहा कि वह प्योंगयांग जाना चाहेंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि ठीक परिस्थिति में वह उत्तर कोरिया की यात्रा करना चाहेंगे.
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कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव अब भी कायम है. उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमरीका लगातार चेतावनी दे रहा है. हालांकि उत्तर कोरिया पर इसका ख़ास असर नहीं दिखा रहा है.
आख़िर उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच विवाद क्या है? उत्तर कोरिया के हर क़दम पर दक्षिण की नज़र क्यों रहती है? दोनों देशों के बीच ऐसी दुश्मनी क्यों है?
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दूसरे विश्व युद्ध के बाद दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया दो अलग देश बने. इस विभाजन के बाद से दोनों देशों ने अपनी अलग-अलग राह चुनी. कोरिया पर 1910 से जापान का तब तक शासन रहा जब तक 1945 के दूसरे विश्व युद्ध में जापानियों ने हथियार नहीं डाल दिया.
इसके बाद सोवियत की सेना ने कोरिया के उत्तरी भाग को अपने कब्ज़े में लिया और दक्षिणी हिस्से को अमरीका ने. इसके बाद उत्तरी और दक्षिणी में लोकतंत्र और साम्यवाद के बीच लेकर संघर्ष शुरू हुआ.
आज की तारीख़ में दक्षिण कोरिया काफ़ी संपन्न राष्ट्र है जबकि उत्तर कोरिया किम राजवंश के शासन में लगातार दुनिया से अलग-थलग होता गया. 20वीं सदी का यह विभाजन आज भी दुनिया के लिए बड़े विवाद के रूप में कायम है.
1945 तक कोरिया पर जापान का शासन था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना के हथियार डालने के बाद कोरिया जापान के शासन से मुक्त हुआ. 1947 में अमरीका ने संयुक्त राष्ट्र के ज़रिए कोरिया को एक सिंगल राष्ट्र बनाने की पहल की.
इसके बाद यूएन के आयोग की निगरानी में चुनाव कराने का फ़ैसला लिया गया. मई 1948 में कोरिया प्रायद्वीप के दक्षिण हिस्से में चुनाव हुआ. इस चुनाव के साथ ही 15 अगस्त को रिपब्लिक ऑफ कोरिया (दक्षिणी कोरिया) बनाने की घोषणा की गई.
इस बीच सोवियत यूनियन के नियंत्रण वाले उत्तर हिस्से में सुप्रीम पीपल्स असेंबली का चुनाव हुआ. इस चुनाव के साथ ही डेमोक्रेटिक पीप्लस रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके) की सितंबर 1948 में घोषणा की गई.
इसके बावजूद दोनों के बीच सैन्य और राजनीतिक विरोधभास बना रहा. यह संघर्ष लोकतंत्र बनाम कम्युनिस्ट स्टेट के रूप में भी दिखा.
इसका नतीजा यह हुआ कि 1950 के दशक में दोनों के बीच एक युद्ध हुआ. दोनों देशों के बीच जून, 1950 में संघर्ष शुरू हो गया. अमरीकी आर्म्स फोर्सेज के साथ 15 अन्य देश दक्षिण कोरिया का साथ आए और डीपीआरके का साथ रूसी और चीनी सेना ने दिया. 1953 में यह युद्ध ख़त्म हुआ और दो स्वतंत्र राष्ट्र बने.
विभाजन के वक़्त दोनों दोनों तरफ़ काफी ग़रीबी थी. दक्षिण कोरिया को भारी अमरीकी मदद मिली. जनरल पार्क चुंग-ही ने एक सैन्य तख़्तापट के तहत दक्षिण कोरिया की सत्ता पर कब्ज़ा किया. पार्क इस तख़्तापलट में कामयाब रहे लेकिन 1979 में उनकी हत्या हो गई.
उत्तर कोरियाई नेता किम इल-सुंग ने तानाशाही की राह को अख्तियार किया. दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया ने अमरीकी मदद से इंडस्ट्री को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया. दक्षिण कोरिया इस युद्ध के उबकर एक संपन्न राष्ट्र के रूप में उभरा. यहां तक कि उसने 1988 में ओलंपिक खेलों की भी मेजबानी की.
दूसरी तरफ़ उत्तर कोरिया किम राजवंश के शासन में लगातार नीचे लुढ़कता रहा. यहां ग़रीबी और अकाल की हालत बद से बदतर होती गई. उत्तरी और दक्षिण कोरिया के विभाजन की दरार अभी ख़त्म नहीं हुई है.
विभाजन के बाद तनाव क्यों है?
1968 में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की हत्या की नाकाम कोशिश की थी. 1983 में म्यांमार में एक धमाके का मामला सामने आया. इसमें 17 दक्षिण कोरियाई नागरिक मारे गए थे. इस धमाके के तार उत्तर कोरिया से जोड़े गए.
उत्तर कोरिया पर दक्षिण कोरिया के एयरप्लेन पर बम बरसाने के आरोप लगे. दोनों देशों के बीच संघर्ष ख़त्म होकर भी ख़त्म नहीं हुआ. दोनों देश अपनी सरकार के साथ प्रायद्वीप को एकजुट करने की कोशिश में लगे रहते हैं.