
पुतिन के परमाणु किले पर NATO का शिकंजा, भड़क गया रूस, लिथुआनिया को दे दी धमकी
मास्को, 23 जून : रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला किया था। जंग अब भी जारी है। वहीं, यूरोप और अमेरिका ने मास्को पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अब खबर है कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो-NATO) सदस्य देश लिथुआनिया से मांग की है कि वह कैलिनिनग्राड पर खुलेआम लगाए गए शत्रुतापूर्ण प्रतिबंधों को तत्काल हटा दे। रूस की यह चेतावनी ऐसे समय पर आई जब लिथुआनिया ने नाटो देशों से चौतरफा घिरे रूस के परमाणु सैन्य किले कैलिनिनग्राड को रेल के जरिए जाने वाले सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया है।


रूस को उकसा रहा है लिथुआनिया
यूरोपीय संघ और नाटो देशों पोलैंड तथा लिथुआनिया के बीच बसा रूस का कैलिनिनग्राड शहर रेल के जरिए रूस से सामान मंगाता है। यही नहीं कैलिनिनग्राड के गैस की सप्लाइ भी लिथुआनिया के जरिए होती है। बाल्टिक देश लिथुआनिया ने पिछले सप्ताह ऐलान किया था कि वह रूप पर लगे यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों की सूची में शामिल सामानों को रेल के जरिए कैलिनिनग्राड भेजे जाने को प्रतिबंधित करने जा रहा है।

कैलिनिनग्राड का इतिहास
कैलिनिनग्राड क्षेत्र पहले पूर्वी प्रशिया के जर्मन प्रांत का हिस्सा था, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ द्वारा मित्र देशों की शक्तियों के बीच 1945 के पॉट्सडैम समझौते के अनुरूप ले लिया गया था। ईस्ट प्रशिया की राजधानी कोनिग्सबर्ग का नाम बदलकर कालिनिनग्राड कर दिया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम महीनों में अनुमानित 2 मिलियन जर्मन इस क्षेत्र से भाग गए, और जो लोग रुके थे, उन्हें शत्रुता समाप्त होने के बाद जबरन निष्कासित कर दिया गया था। सोवियत अधिकारियों ने कैलिनिनग्राड को मछली पकड़ने के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया, जो अन्य क्षेत्रों के लोगों को इस क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित करता है। शीत युद्ध के आरंभ के बाद से, कलिनग्राद ने रूस के बाल्टिक बेड़े के एक प्रमुख आधार के रूप में भी कार्य किया है।

कैलिनिनग्राड नाटो देशों से घिर गया
लेकिन सोवियत संघ के पतन और बाल्टिक देशों की स्वतंत्रता के बाद से, कैलिनिनग्राड लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया से अलग हो गया और पोलैंड और कई नाटो सदस्य देशों से घिर गया।

कैलिनिनग्राड में रूस की सैन्य भूमिका बढ़ी
जैसा कि पश्चिम के साथ रूस के संबंधों में खटास आने के बाद से कैलिनिनग्राड में रूस की सैन्य भूमिका बढ़ी है। क्रेमलिन ने व्यवस्थित रूप से वहां अपने सैन्य बलों को मजबूत किया है, उन्हें अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया है, जिसमें सटीक-निर्देशित इस्कंदर मिसाइलें और वायु रक्षा प्रणालियों का जखीरा शामिल है।

लिथुआनिया ने रूस के इन सामानों पर बैन लगाया
बता दें कि, लिथुआनिया ने जिन सामानों पर बैन लगाया है, उनमें कोयला, मेटल, निर्माण के सामान और अत्याधुनिक तकनीक शामिल है। रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा, 'अगर भविष्य में कैलिनिनग्राड से रूस के बीच में सामानों की आवाजाही पूरी तरह से नहीं शुरू हुई तो रूस के पास अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने का अधिकार सुरक्षित है।'

हालात गंभीर हैं
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा था कि लिथुआनिया का फैसला 'अप्रत्याशित' और हर चीज का उल्लंघन है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने कहा, 'हालात गंभीर से भी ज्यादा है और कोई भी कदम उठाने या फैसले से पहले बहुत गहराई तक विश्लेषण की जरूरत है।' इस बीच लिथुआनिया के विदेश मंत्री गब्रिइलिअस ने अपने देश के इस कदम का बचाव किया। उन्होंने कहा कि हमारा देश केवल यूरोपीय संघ की ओर से लगाए प्रतिबंधों को क्रियान्वित कर रहा है। लिथुआनिया यूरोपीय संघ का सदस्य देश है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय आयोग से विचार के बाद यह कदम उठाया गया है।

निकोलाई पात्रुशेव का कैलिनिनग्राड का दौरा
कैलिनिनग्राड के गवर्नर एंटोन अलीखानोव ने कहा कि प्रतिबंध से क्षेत्र में लाई गई सभी वस्तुओं में से आधे तक प्रभावित होंगे, जिसमें सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री शामिल हैं। वहीं, रूस की सुरक्षा परिषद के शक्तिशाली सचिव और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी विश्वासपात्र निकोलाई पात्रुशेव ने स्थानीय अधिकारियों से मुलाकात के लिए मंगलवार को कैलिनिनग्राड का दौरा किया। उन्होंने प्रतिबंधों को "शत्रुतापूर्ण करार दिया और चेतावनी दी कि मास्को इसका उचित जवाब देगा जो "लिथुआनिया की आबादी पर इसका गहरा असर होगा।

लिथुआनिया रूस से ले रहा पंगा
लिथुआनिया ने रूस पर अपनी आर्थिक और ऊर्जा निर्भरता को काफी कम कर दिया है, हाल ही में रूसी गैस का उपयोग बंद करने वाला पहला यूरोपीय संघ देश बन गया है। यह अब रूसी तेल का आयात नहीं करता है और रूसी बिजली के आयात को निलंबित कर दिया है। लिथुआनियाई बंदरगाहों के माध्यम से अधिकांश रूसी पारगमन का परिवहन पहले से ही यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के तहत रोक दिया गया है। अब मास्को आगे क्या कार्रवाई करता है, यह निकोलाई पात्रुशेव की रिपोर्ट मिलने के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन फैसला करेंगे।