UNGA: रेड लाइट जलने पर भी बोलते रहे इमरान खान नियाजी, जानिए अलग-अलग लाइटों के ऑन होने का मतलब
न्यूयॉर्क। शुक्रवार को यूनाइटेड नेशंस जनरल एसेंबली (उंगा) में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान का पहला संबोधन था। इमरान ने अपने पहले ही संबोधन में तय समय से ज्यादा टाइम लिया और बोलते रहे। उनके पास में रखे बोर्ड पर रेड लाइट बार-बार जल रही थी, मगर इमरान बोलते जा रहे थे। इमरान का भाषण 50 मिनट का था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण 17 मिनट का था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उंगा में किसी भी संबोधन के समय स्पीकर के सामने रखे बोर्ड पर लाल, हरे और पीले रंग की लाइट क्यों होती है? आइए आपको बताते हैं कि उंगा में पोर्डियम पर इन तीनों रंगों की लाइट का क्या मतलब है?
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15 मिनट का समय तय
जनरल कमेटी के प्रस्तावों के बाद यूएनजीए में संबोधन का समय तय किया गया था। आदर्श तौर पर किसी भी स्पीकर को बोलने के लिए 15 मिनट का समय दिया जाता है। सामने पोर्डियम पर तीन रंगों की लाइट ग्रीन, येलो और रेड का एक सेट भी होता है। इन लाइट्स की मदद से मंच पर किसी भी स्पीकर को अलर्ट कर दिया जाता है अगर उसके संबोधन का समय ज्यादा हो रहा होता है। अगर लाइट हरे रंग से पीले रंग में होती है तो इसका मतलब होता है कि 14 मिनट हो चुके हैं। 15 मिनट पूरे होते ही पीले रंग की लाइट की जगह लाल रंग की लाइट जलने लगती है।
सबसे लंबे भाषण का रिकॉर्ड
इमरान के भाषण के 15 मिनट जैसे ही पूरे हुए, लाल रंग की लाइट ब्लिंक करने लगी। इसके बाद भी वह लगातार बोलते रहे। उंगा में सबसे ज्यादा देर तक भाषण देने का रिकॉर्ड क्यूबा के पूर्व शासक फिदाल कास्त्रो के पास था। उन्होंने सन् 1960 में 269 मिनट का भाषण दिया था। इसके अलावा सोवियत संघ के नेता निकिता कुरुशचेव ने भी इसी वर्ष 140 मिनट का भाषण दिया था। वहीं लीबिया के पूर्व शासक मुअम्मार गद्दाफी ने साल 2009 में 96 मिनट का भाषण दिया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने साल 2016 में 47 मिनट, 2015 में 43 मिनट और साल 2014 में 39 मिनट का संबोधन दिया।
50 मिनट तक भारत पर लगाते गए आरोप
पाक पीएम ने 50 मिनट के दौरान भारत पर कई तरह के आरोप लगाए। उन्होंने इस मंच से भारत को युद्ध की धमकी भी। इमरान ने कहा, 'यदि हम परमाणु जंग की ओर बढ़ते हैं तो संयुक्त राष्ट्र जिम्मेदार होगा इसीलिए साल 1945 में संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ था। आपको इसे रोकना होगा। यदि दोनों देशों के बीच परंपरागत जंग छिड़ती है तो कुछ भी हो सकता है। लेकिन, आप सोचें कि यदि कोई देश अपने पड़ोसी देश के मुकाबले सात गुना छोटा है तो फिर उसके सामने क्या विकल्प है। खुद को सरेंडर करना या फिर लड़ते हुए मरना। हम लड़ने का रास्ता अख्तियार करेंगे।'