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क्रिकेट से नफरत- लश्कर ने कहा बल्ला नहीं तलवार उठाओ

By Ajay Mohan
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एक तरफ एडिलेड में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच और दूसरी तरफ सरहद पर पाकिस्तानी सेना की ओर से गोलीबारी। इसे आप भड़ास कह सकते हैं, लेकिन गुस्सा या क्रिकेट से नफरत किसे कहते हैं, यह आप जिहादियों के कैम्पों में आसानी से देख सकते हैं। जी हां खुद को इस्लाम का संरक्षक कहने वाले जिहादी क्रिकेट से नफरत करते हैं, पर क्यों? यही हम आपको आगे बताने जा रहे हैं।

क्या सोचता है लश्कर-ए-तैयबा

लश्कर-ए-तैयबा ने अपनी एक पत्रिका जराब-ए-तैयबा में लिखा है कि क्रिकेट के लिये लोग अपना पूरा दिन बर्बाद कर देते हैं। जबकि जिहादियों के लिये उनकी जिंदगी का एक-एक पल कीमती होता है। यह खेल इस्लाम के विरुद्ध है। हमारे लिये धर्म सबसे बड़ा है, क्रिकेट नहीं।

बल्ला छोड़ों तलवार उठाओ

जिहादी पत्रिका में छपे एक लेख में लोगों से गुजारिश की गई कि वो बल्ला छोड़ें और तलवार उठायें और धर्म की जंग में कूद पड़ें। यह जिहादी फरमान उन पाकिस्तानियों के लिये है जो क्रिकेट को धर्म की तरह मानते हैं।

क्रिकेट के लिये आत्महत्या

पाकिस्तान में क्रिकेट के लिये आत्महत्या करने के मामलों पर लश्कर ने कहा कि आप क्रिकेट के लिये जान दे सकते हैं, लेकिन वो लोग जो कश्मीर को पाने के लिये लड़ रहे हैं, क्या आप उनके लिये जान दे सकते हैं।

आगे लश्कर ने क्रिकेट को जहर करार दिया और कहा कि जो लोग छुट्टी लेकर क्रिकेट मैच देखते हैं, उनसे अपील है कि वो छुट्टी लेकर हमारे साथ जुड़ें और धर्म की रक्षा के लिये जंग लड़ें।

English summary
The world cup frenzy is sure catching up in all cricket playing nations. But so called Jihadi groups hate cricket.
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