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चीन की इस कंपनी से क्यों डर रहा है अमरीका

मेंग वांग्जो की गिरफ़्तारी पर चीनी सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि इसमें किसी तरह की राजनीतिक संलिप्तता नहीं है.

वहीं, द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, अमरीकी सरकार के व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइज़र ने कहा है कि मेंग वांग्ज़ो की गिरफ़्तारी पर कहा है कि ये एक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम है और उनके काम से बिलकुल जुदा है.

By BBC News हिन्दी
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ख्वावे
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स्मार्टफ़ोन बनाने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी ख्वावे से कोई भी देश ईर्ष्या कर सकता है. चीन की ये कंपनी सिर्फ़ स्मार्टफ़ोन ही नहीं बनाती है.

यह इंटरनेट राउटर्स और सर्वर जैसे वो तमाम उत्पाद बनाती है जिनकी मदद से इंटरनेट लोगों के घरों तक पहुंच पाता है.

अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे शक्तिशाली मुल्कों ने ख्वावे के इन उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

दूसरी ओर ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी जैसे देश ख्वावे के उत्पादों पर बैन लगाने पर विचार कर रहे हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर दुनिया के विकसित देश इस कंपनी के उत्पादों के ख़िलाफ़ क्यों हैं?



इन देशों की चिंता क्या है?

इंटरनेट की दुनिया 4G इंटरनेट से आगे बढ़कर 5G की दुनिया में प्रवेश कर रही है.

सरल शब्दों में कहें तो 5G इंटरनेट हमारी दुनिया को पूरी तरह बदल देगा. इंटरनेट की स्पीड मौजूदा स्पीड के मुक़ाबले कई गुना ज़्यादा होगी.

जब इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स का दौर शुरू होगा तब ऑटोमेटेड कारों से लेकर, सभी घरेलू उत्पाद और हमारे शहरों की निगरानी करने वाले ड्रोन आपस में एक दूसरे से जुड़े जाएंगे.

ऐसे में सूचनाओं का आदान-प्रदान जिन उत्पादों से होकर गुज़रेगा वो उत्पाद दुनिया की कुछ चुनिंदा कंपनियां बनाती हैं.

लेकिन ख्वावे को इस क्षेत्र में महारथ हासिल है.

ख्वावे ने मंगलवार को ऐलान किया है कि उसके पास दुनिया भर में 5G तकनीक से जुड़े 25 फ़ीसदी कॉन्ट्रेक्ट हैं.

ख्वावे
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ख्वावे को लेकर आशंकाएं जताई गई हैं कि चीनी सरकार इस कंपनी के उपकरणों की मदद से दूसरे देशों की ख़ुफ़िया जानकारी हासिल कर रही है.

फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में ख्वावे के डिप्टी चीफ़ केन हू के हवाले से लिखा गया है, "चीन की इस कंपनी ने मंगलवार को ऐलान किया है कि उसके पास दुनिया भर में 5G इंटरनेट के 25 फ़ीसदी कॉन्ट्रेक्ट्स हैं. हालांकि, कुछ बाज़ारों में ख्वावे के ख़िलाफ़ डर पैदा करने की कोशिश की गई और इंडस्ट्रियल ग्रोथ को प्रभावित करने के लिए राजनीति का सहारा लिया गया. लेकिन हम गर्व के साथ कह सकते हैं हमारे ग्राहक अभी भी हम पर विश्वास करते हैं. वहीं, हमारे उत्पादों से सुरक्षा को ख़तरा होने की बात की जाए तो ये बेहतर होगा कि तथ्यों पर ध्यान दिया जाए और तथ्य बताते हैं कि ख्वावे के उत्पाद पूरी तरह सुरक्षित हैं."

हालांकि, ख्वावे ने इन आशंकाओं के जवाब में कहा है कि वह एक स्वतंत्र कंपनी है और चीनी सरकार को कुछ नहीं देती है.

साल 2012 में अमरीकी संसद में एक रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसमें बताया गया कि ख्वावे चीनी सरकार के साथ अपने रिश्तों को जगज़ाहिर करने में सहज नहीं है.

रिपोर्ट बताती है, "जांच समिति को पता चला है कि ख्वावे ने इस जांच के दौरान सहयोग नहीं किया और कंपनी चीनी सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अपने रिश्तों को जगज़ाहिर नहीं करना चाहती है. ऐसे सबूत भी सामने आए हैं जो कि बताते हैं ये कंपनी अमरीकी क़ानूनों का पालन नहीं करती है."

इसके बाद अमरीकी सरकार ने अपने सहयोगी देशों, जिन्हें 'फाइव आई ग्रुप' कहा जाता है, में भी इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगवाने की कोशिश की.

ख्वावे और जेडटीई पर सबसे हालिया प्रतिबंध जापान की ओर से लगाया गया है.



लेकिन भारत में शुरू हुए ट्रायल

भारत सरकार ने शुरुआत में 5G ट्रायल के लिए चीनी कंपनियों ख्वावे और जेडटीई को आमंत्रित नहीं किया था. लेकिन ख्वावे की प्रतिक्रिया के बाद भारत सरकार ने इस कंपनी को 5G ट्रायल में शामिल होने की अनुमति दे दी है.

तकनीकी मामलों के जानकार प्रशांतो रॉय ख्वावे कंपनी के उत्पादों को शंका की नज़र से देखे जाने के लिए इस कंपनी के चीनी सरकार से संबंध को ज़िम्मेदार मानते हैं.

रॉय बताते हैं, "भारत सरकार की एजेंसियां टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर में चीनी उपकरण इस्तेमाल करने को लेकर काफ़ी सशंकित रहती हैं. ख्वावे के एक चीनी कंपनी है. ऐसे में अगर इस कंपनी का टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नियंत्रण होगा तो ये संभव है उनका यूज़र डेटा पर भी नियंत्रण होगा और वे इस डेटा को रिडायरेक्ट भी कर सकते हैं."



लेकिन ये जासूसी संभव कैसे होगी?

एक सवाल ये है कि अगर ये चीनी कंपनी अपनी तकनीक के ज़रिए डेटा हासिल भी कर लेती है तो किसी भी देश की सुरक्षा के लिए इसके क्या मायने होंगे.

प्रशांतो रॉय इस सवाल के जवाब में बताते हैं, "मान लीजिए कि दिल्ली के वीवीआईपी इलाक़े में दो टॉवरों के बीच 24 घंटों में से किसी एक समय डेटा का आदान-प्रदान बहुत ज़्यादा होता है, तो इस पैटर्न के आधार पर डेटा को इंटरसेप्ट किया जा सकता है जो कि किसी संवेदनशील सरकारी प्रतिष्ठान के लिए बेहद जोख़िमभरा हो सकता है."



चीन और अमरीका क्यों हैं आमने सामने?

1987 में शुरू होने वाली ख्वावे मात्र 31 सालों में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी बन चुकी है.

चीनी सेना के अधिकारी रेन ज़ेन्फ़ेई ने चीन के बदहाल टेलिकॉम क्षेत्र की दशा बदलने के लिए इस कंपनी को शुरू किया था.

लेकिन अब चीन में ख्वावे को राष्ट्रीय गौरव की तरह देखा जाता है.

ख्वावे
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ख्वावे

क्योंकि इंटरनेट प्रसारित करने के लिए जिन उत्पादों की ज़रूरत होती है उन उत्पादों को ये कंपनी बनाती है.

रेन ज़ेन्फ़ेई अभी भी ख्वावे के चेयरमैन हैं. उनकी बेटी मेंग वांग्ज़ो को बीती एक दिसंबर को कनाडा में गिरफ़्तार किया गया था.

कनाडा की कोर्ट में ये बात रखी गई कि मेंग ने ख्वावे की उप-कंपनी स्काईकॉम की मदद से साल 2009 से लेकर 2014 तक अमरीकी प्रतिबंधों को चकमा दिया.

मेंग वांग्ज़ों पर ये भी आरोप है कि उन्होंने अमरीकी बैंकों के सामने स्काईकॉम और ख्वावे को अलग-अलग कंपनियां बताया जबकि दोनों कंपनियां एक ही हैं.

अमरीकी अख़बार द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक़, अमरीकी प्रांत न्यूयॉर्क की एक अदालत ने 22 अगस्त को मेंग वांग्जो को गिरफ़्तार करने किए जाने के लिए वॉरंट जारी किया था.

कनाडा और अमरीका में प्रत्यर्पण संधि होने की वजह से मेंग को गिरफ़्तार करने के बाद कनाडा सरकार ने उन्हें अमरीका को प्रत्यर्पित करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं.

मेंग वांग्ज़ो
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मेंग वांग्ज़ो

मेंग वांग्जो के अमरीका पहुंचने पर उनके ख़िलाफ़ कई आर्थिक संस्थाओं के साथ घोटाला करने की साज़िश रचने जैसे अपराध के तहत मुक़दमा चलाया जा सकता है. इन मुक़दमों में दोषी सिद्ध होने पर उन्हें 30 साल तक की सज़ा हो सकती है.

मेंग वांग्जो की गिरफ़्तारी पर चीन में एक पूर्व डिप्लोमेट को हिरासत में लिए जाने की बात सामने आई थी.

वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, "चीन ने माइकल कोवरिग और माइकल स्पोवर नाम के दो कनाडाई नागरिकों को हिरासत में लिया है और उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा ख़तरे में डालने का आरोप लगाया गया है."

यही नहीं, कनाडा में चीनी दूत लू शाये ने द ग्लोब एंड मिल में अपने ओपिनियन में लिखा है, "जो लोग चीन पर मेंग की गिरफ़्तारी के बदले में किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें कनाडा के कदम की ओर देखना चाहिए."

फ़िलहाल, कनाडा की अदालत ने मेंग वांग्जो को जमानत पर रिहा कर दिया है और आगामी 6 फ़रवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.



अब आगे क्या होगा?

मेंग वांग्जो की गिरफ़्तारी पर चीनी सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि इसमें किसी तरह की राजनीतिक संलिप्तता नहीं है.

वहीं, द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, अमरीकी सरकार के व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइज़र ने कहा है कि मेंग वांग्ज़ो की गिरफ़्तारी पर कहा है कि ये एक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम है और उनके काम से बिलकुल जुदा है.

जी 20 सम्मेलन के दौरान चीन-अमरीका ट्रेड वॉर को 90 दिनों के लिए रोकने वाले द्विपक्षीय करार में रॉबर्ट लाइटहाइज़र ने अहम भूमिका निभाई थी.

ऐसे में ये तो समय ही बताएगा कि मेंग वांग्ज़ो को रिहा कराने के लिए चीन आगे क्या कदम उठाएगा.

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English summary
Why is this country afraid of China
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