इमरान ख़ान के भतीजे की पुलिस को तलाश क्यों?
पाकिस्तान में पुलिस ने कहा है कि लाहौर के पंजाब इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्डियोलॉजी अस्पताल में हिंसा के मामले में उसे प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के भतीजे की तलाश है. इस घटना में तीन मरीज़ों की मौत हुई थी. लाहौर पुलिस ने हसन नियाज़ी के घर पर छापेमारी की लेकिन उनका कहना है कि वो कहीं छिपे हुए हैं. नियाज़ी उन सैकड़ों वकीलों में शामिल हैं जिन्होंने शहर
पाकिस्तान में पुलिस ने कहा है कि लाहौर के पंजाब इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्डियोलॉजी अस्पताल में हिंसा के मामले में उसे प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के भतीजे की तलाश है. इस घटना में तीन मरीज़ों की मौत हुई थी.
लाहौर पुलिस ने हसन नियाज़ी के घर पर छापेमारी की लेकिन उनका कहना है कि वो कहीं छिपे हुए हैं.
नियाज़ी उन सैकड़ों वकीलों में शामिल हैं जिन्होंने शहर के एक अस्पताल में डॉक्टरों से विवाद होने के बाद तोड़फोड़ की थी. इस मामले में शांति बहाली के लिए रॉयट पुलिस को बुलाना पड़ा था.
अस्पताल के स्टाफ़ को मारते और अस्पताल की संपत्ति को नुक़सान पहुंचाते सूट और टाई पहने वकीलों की तस्वीरें सामने आई थीं. इससे लोगों को धक्का लगा था और उन्होंने घटना की निंदा की थी.
लोग जब वकीलों की निंदा कर रहे थे तब हसन नियाज़ी की तस्वीरें और फ़ोटो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रहे थे.
नियाज़ी ने स्वीकार किया है कि उन्होंने लाहौर के पंजाब इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्डियोलॉजी में हुई हिंसा में भाग लिया था और ट्विटर पर इसके लिए उन्होंने बुधवार को खेद भी जताया था.
After watching this clip I feel ashamed of myself. This is murder!!!
— Hassaan Niazi (@HniaziISF) December 11, 2019
My support and protest was limited to initiation of legal action against the concerned doctors. I only stand for peaceful protests.
It’s sad day and I condemn my own self for supporting this protest now pic.twitter.com/Pc6FKaYypo
इमरान ख़ान के भतीजे वीडियो में हमला करते देखे जा सकते हैं और उन्होंने एक पुलिस वेन को आग के भी हवाले किया.
वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता नियाज़ी को पुलिस द्वारा पकड़े हुए दिखाया गया था और उन्हें उस क्षेत्र से बाहर निकलते देखा गया था.
लेकिन हिंसा के मामले में जो लोग कोर्ट की कार्रवाई का सामना करने वाले हैं उस पुलिस रिपोर्ट में नियाज़ी का नाम नहीं है.
दो बार हुई छापेमारी
प्रशासन ने अभी तक यह नहीं साफ़ किया है कि हिरासत के बाद क्या हुआ था लेकिन शहर के पुलिस प्रमुख के प्रवक्ता का कहना है कि नियाज़ी की वीडियो फ़ुटेज के ज़रिए पहचान की गई है और उनकी तलाश जारी है.
प्रवक्ता वसीम बट ने बीबीसी उर्दू संवाददाता शहज़ाद मलिक से कहा, "उन्हें गिरफ़्तार करने के लिए लाहौर में उनके घर पर पुलिस ने बीती रात और आज सुबह छापेमारी की लेकिन वो वहां नहीं मिले और हो सकता है कि वो कहीं छिप गए हों."
उनको लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. कुछ का मानना है कि वो इसलिए आज़ाद हैं क्योंकि प्रधानमंत्री से उनका संबंध है. विपक्षी नेता नियाज़ी को गिरफ़्तार करने की मांग कर रहे हैं.
अस्पताल पर हमले के मामले में 80 से अधिक वकीलों को गिरफ़्तार किया गया था और 46 की रिमांड ली गई है. वकीलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई से नाराज़ होकर शुक्रवार को वकीलों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल बुलाई गई थी.
क्यों हुई थी हिंसा?
इस्लामाबाद में बीबीसी के संवाददाता एम इलियास ख़ान कहते हैं, "20 नवंबर से युवा वकीलों के बीच ग़ुस्सा है, जब उनमें से आधा दर्जन अपने एक साथी की बीमार माँ के इलाज के लिए अस्पताल में उसके साथ गए थे. वहाँ उनमें और अस्पताल के कर्मचारियों और ड्यूटी पर एक डॉक्टर के साथ बहस हो गयी, जो हाथापाई में तब्दील हो गयी जिसमें वकीलों को अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा बाहर निकाल दिया गया. दोनों पक्षों ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ पुलिस शिकायतें दर्ज कीं लेकिन कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई."
अस्पताल स्टाफ़ द्वारा कथित तौर पर वकीलों के साथ दुर्व्यवहार करने के ख़िलाफ़ वकील प्रदर्शन कर रहे थे.
लेकिन यह मामला हिंसा में तब बदल गया जब एक डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर वकीलों का मज़ाक उड़ाते हुए एक वीडियो पोस्ट किया.
वीडियो में दिख रहा है कि अगले दिन वकीलों ने अस्पताल के वॉर्ड में तोड़फोड़ की, स्टाफ़ को पीटा और उपकरणों को तोड़ दिया. जैसे यह मामला बढ़ता गया, डॉक्टर और पैरामेडिक्स छिप गए जिसके कारण मरीज़ों का इलाज नहीं हो सका.
अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि इस हिंसा के दौरान एक महिला और दो पुरुषों की मौत हुई है क्योंकि डॉक्टर उन्हें देख नहीं पाए थे. ऐसा माना जा रहा है कि महिला की मौत आईसीयू में हुई.
अधिकारियों का कहना है कि रॉयट पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और शांति बहाली में दो घंटे से अधिक का समय लगा.