बिल गेट्स से मोदी को मिलने वाले अवॉर्ड पर आपत्ति क्यों
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी को कई वैश्विक अवॉर्ड मिल चुके हैं. एक और अवॉर्ड मिलने जा रहा है और इस पर काफ़ी विवाद हो रहा है. बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पीएम मोदी को 'ग्लोबल गोलकीपर अवॉर्ड' देने की घोषणा की है. लेकिन इस घोषणा के बाद जाने-माने वकीलों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों ने बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की कड़ी आलोचना की है.
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी को कई वैश्विक अवॉर्ड मिल चुके हैं. एक और अवॉर्ड मिलने जा रहा है और इस पर काफ़ी विवाद हो रहा है.
बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पीएम मोदी को 'ग्लोबल गोलकीपर अवॉर्ड' देने की घोषणा की है. लेकिन इस घोषणा के बाद जाने-माने वकीलों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों ने बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की कड़ी आलोचना की है.
फाउंडेशन 24 सितंबर को चौथे वार्षिक गोलकीपर्स ग्लोबल गोल्स अवॉर्ड के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित करेगा.
यह अवॉर्ड प्रधानमंत्री मोदी के फ्लैगशिप कार्यक्रम स्वच्छ भारत अभियान को लेकर है.
सरकार का दावा है कि इस कार्यक्रम के ज़रिए देश भर में लाखों शौचालयों का निर्माण किया गया और स्वच्छता के प्रति लोगों में व्यापक जागरूकता आई.
Another award,another moment of pride for every Indian, as PM Modi's diligent and innovative initiatives bring laurels from across the world.
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) 2 September 2019
Sh @narendramodi to receive award from Bill & Melinda Gates Foundation for #SwachhBharatAbhiyaan during his visit to the United States. pic.twitter.com/QlsxOWS6jT
लेकिन मोदी को अवार्ड देने की घोषणा के बाद से गेट्स फाउंडेशन की आलोचना हो रही है.
1976 नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मेरिड मैग्वेइर ने गेट्स फाउंडेशन को लिखे अपने पत्र में लिखा, "हमें यह जान कर बहुत हैरानी हुई है कि बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन इस महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पुरस्कार देगा. नरेंद्र मोदी के राज में भारत ख़तरनाक और घातक अव्यवस्था की तरफ बढ़ा है जिसकी वजह से मानवाधिकार और लोकतंत्र लगातार कमज़ोर हुए हैं. यह हमें ख़ास तौर पर परेशान कर रहा है क्योंकि आपके फाउंडेशन का घोषित मिशन जीवन को संरक्षित करना और असमानता से लड़ना है."
इस पत्र में उन्होंने भारत में अल्पसंख्यकों (ख़ास कर मुसलमानों, ईसाइयों और दलितों) पर बढ़े हमले, असम और कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों के बारे में बताते हुए फाउंडेशन से प्रधानमंत्री मोदी को पुरस्कार दिए जाने पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया है.
इस सम्मान की घोषणा के समय को लेकर भी आलोचना हो रही है. इस वक़्त असम और जम्मू-कश्मीर मे मोदी सरकार ने विवादित फ़ैसले लिए हैं, जिसकी आलोचना हो रही है.
जम्मू-कश्मीर में पाँच अगस्त के बाद से हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं. कश्मीर में कई ज़रूरी सेवाएं आज भी बाधित हैं. कश्मीर में भारत सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लग रहे हैं.
नरेंद्र मोदी को दिया जाने वाला यह अवॉर्ड उन्हें दुनिया भर से मिले अवॉर्डों में सबसे नया है.
मंगलवार को समाज सेवा से जुड़े दक्षिण एशियाई अमरीकियों के एक समूह ने गेट्स फाउंडेशन को एक खुला पत्र लिखा है.
इस ख़त में कथित मानवाधिकार के उल्लंघन का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुरस्कार देने की आलोचना की गई है.
इस पत्र में लिखा गया, "बीते एक महीने से अधिक समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के 80 लाख लोगों को नज़रबंद कर रखा है. बाहरी दुनिया से वहां संचार सुविधाएं और मीडिया कवरेज बंद हैं. वहां बच्चों समेत हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया है."
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इसमें लिखा गया है, "भारतीय सुरक्षाकर्मियों के स्थानीय लोगों को पीटने, यातना और एक छोटे बच्चे की हत्या तक की रिपोर्ट्स भी सामने आ रही हैं."
"यह पुरस्कार भारत सरकार के मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरोध में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अनदेखी और चुप्पी साधने को दर्शाएगा."
जब से मोदी सत्ता में आए हैं उन्हें दुनिया के कई देशों से पुरस्कार मिले हैं.
मोदी को फिलिप कोटलर राष्ट्रपति पुरस्कार "लोकतंत्र और आर्थिक विकास को नया जीवन देने" के लिए, तो वहीं सोल शांति पुरस्कार "ग़रीब और अमीर के बीच सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को कम करने" के लिए दिया गया.
दक्षिण कोरिया यानी सोल के इस सम्मान की भी आलोचना हुई क्योंकि अर्थव्यवस्था के जानकार नोटबंदी समेत मोदी की कई आर्थिक नीतियों की आलोचना कर रहे हैं.
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बीते वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने मोदी को चैंपियंस ऑफ़ द अर्थ पुरस्कार से नवाजा था. तब भी इसकी यह कहते हुए आलोचना हुई थी कि जहां उनके ग्रीन लाइट प्रोजेक्ट से बड़े स्तर पर जंगलों की कटाई का ख़तरा है वहीं उन्होंने भारत की राजधानी नई दिल्ली को धरती का सबसे प्रदूषित शहर बनने दिया.
इतना ही नहीं मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की भी भारत में बहुत आलोचना हुई है.
मोदी सरकार कहती है कि इस योजना में अब तक 90 फ़ीसदी भारतीयों को स्वच्छ शौचालय मुहैया करवाया जा चुका है.
लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और इस योजना का गहन अध्ययन करने वाले एक पुस्तक "ह्वेयर इंडिया गोज़" के मुताबिक़ इस योजना के तहत बने कई शौचालयों का इस्तेमाल इसलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि पानी की उपलब्धता कम है.''
बिल गेट्स ने क्या कहा?
बिल गेट्स ने अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह पुरस्कार क्यों दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, "स्वच्छ भारत मिशन से पहले भारत में 50 करोड़ से अधिक लोगों के पास शौचालय नहीं थे और अब उनमें से अधिकांश इसके दायरे में आ गए हैं. अभी भी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन भारत में मोदी के स्वच्छता अभियान के प्रभाव दिख रहे हैं."
फाउंडेशन ने बयान में कहा, "स्वच्छ भारत मिशन दुनिया भर के अन्य देशों के लिए एक उदाहरण के तौर पर काम कर सकता है, जिन्हें दुनिया भर में ग़रीब लोगों के लिए स्वच्छता में सुधार करने की तत्काल ज़रूरत है."