क्यों इराक के शियाओं को ईरान दे रहा है मिसाइलें?
बगदाद। ईराक में प्रॉक्सी वॉर लड़ने के लिए ईरान ने शियाओं को ना सिर्फ बैलिस्टिक मिसाइल दी है, बल्कि मिडिल ईस्ट और पश्चिम को अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने में जुटा है। ईरान और अमेरिका के बीच पहले से तनातनी का दौर जारी है, इस बीच अगर तेहरान इराक में अपनी किसी भी प्रकार के सैन्य हरकत करता है, दोनों देशों के बीच तनाव एक सीमा से ऊपर जा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसी साल 2015 में ईरान न्यूक्लियर डील को यह कहते हुए कैंसिल कर दिया था कि यह आतंकवाद को बढ़ावा देती है।
जरुरत पड़ी तो वहां मिसाइलों की संख्या बढ़ाई जा सकती...
ईरान के इस कदम से यूरोपीय देश ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ भी विवाद खड़ा हो सकता है, जो ट्रंप द्वारा रद्द की गई न्यूक्लियर मिसाइल डील को अभी तक सपोर्ट कर रहे हैं। ईरानी, इराकी और पश्चिमी अधिकारियों की मानें तो ईरान ने पिछले कुछ माह में शॉर्ट-रैंज की कई बैलिस्टिक मिसाइलें इराक में पहुंचायी है। ईरान के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इराक में ज्यादा संख्या में तो मिसाइलें तैनात नहीं की है, लेकिन अगर जरुरत पड़ी तो वहां मिसाइलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। ईरान ने कहा कि उन्होंने इराक में अटैक की आशंका को देखते हुए यह कदम उठाया है।
अमेरिका और पश्चिमी देश हैरान
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पश्चिमी सूत्रों की मानें तो कम से कम 10 मिसाइलें शियाओं को दी गई है। पश्चिमी सूत्रों के अनुसार, इराक में कई ठिकानों पर मिसाइलें बनाने का काम भी चल रहा है। इराकी सूत्रों ने कहा कि बाहरी हमलों से बचने और दुश्मनों पर अटैक करने के लिए ईरान की उपस्थिति देखने को मिल रही है। ईरान के इस कदम से फिलहाल इजरायल ने तो कई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों ने जरूर चिंता व्यक्त की है।
मिडिल ईस्ट में बढ़ेगा तनाव
सीरिया की तरह अब इराक में ईरान के सैन्य दखल से पूरे मिडिल ईस्ट में एक बार फिर तनाव खतरनाक स्तर पर पहुंचने की संभावना है। स्थानीय खुफिया सूत्रों की मानें तो इराक में लगातार ईरान अपने मिसाइलों की संख्या बढ़ाने में लगा है। इराक के एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि इराकी शियाओं का ईरान की मिसाइलों का मकसद इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की मदद करना है। इराक के खुफिया सूत्रों के मुताबिक, भविष्य में अगर बगदाद सिविल वॉर की तरफ बढ़ता है, तो वहां ईरान की दखल देखने को मिल सकती है। इराक में अमेरिकी सेनाओं ने कई सालों से अड्डा डाल रखा है, ऐसा में ईरान की सैन्य हरकतों से हालात बहुत गंभीर हो सकते हैं।
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