मालदीव में क्यों चलाया जा रहा भारत के ख़िलाफ़ 'इंडिया आउट' कैंपेन
पिछले कुछ हफ़्तों में मालदीव में #Indiaout के साथ ट्वीट किए गए. लेकिन सरकार का कहना है कि इस अभियान के पीछे विपक्षी पार्टी है.
इन दिनों मालदीव में सोशल मीडिया पर इंडिया आउट का कैंपेन चलाया जा रहा है.
मालदीव की संसद के स्पीकर और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद ने कहा है कि इंडिया आउट कैंपेन आईएसआईएस सेल का है. नाशीद ने कहा कि इस कैंपेन के तहत मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग की जा रही है.
मालदीव में इंडिया आउट कैंपेन हाल के हफ़्तों में ज़ोर पकड़ा रहा है और इसे वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी हवा दे रही है. मालदीव की मुख्य विपक्षी पार्टी का कहना है कि भारतीय सैनिकों की मौजूदगी संप्रभुता और स्वतंत्रता के ख़िलाफ़ है.
India Out ey kiyaa govanee Raajjeyga harakaiytherivaa ISIS ge cell thakun. Ekan mihaaru varah gina bainalaqwaami idhaaraa thakah saafu. PPM-PNC in mi shiyaaru beynun kuran edhenee nama, thiya baaru dhevenee ISIS in mi raajje hifumah
— Mohamed Nasheed (@MohamedNasheed) September 13, 2020
मालदीव में विपक्षी पार्टी की भारत-विरोधी बातों के जवाब में वहां के विदेश मंत्री अब्दुल्ला ने कहा है कि जो लोग मज़बूत होते द्विपक्षीय रिश्तों को "पचा नहीं पा रहे हैं", वो इस तरह की आलोचना का सहारा ले रहे हैं.
भारत समर्थित एक स्ट्रीट लाइटिंग योजना के उदघाटन के मौक़े पर विदेश मंत्री ने कहा, "ये दोनों देशों के बीच का संबंध है. ये दिलों से दिलों को जोड़ने वाला रिश्ता है. हम इसका आभार प्रकट करते हैं."
उनका ये बयान ऐसे वक़्त में आया है जब जेल में क़ैद पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के नेतृत्व वाली प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव्स-पीपल्स नेशनल कांग्रेस (पीपीएम-पीएनसी) "मालदीव की धरती पर विदेशी सेना की मौजदूगी" का विरोध कर रही है.
युवाओं के एक समूह की ओर से हाल में किए गए एक विरोध-प्रदर्शन के बाद पीपीएम-पीएनसी ने कहा कि वो "पुलिस की कार्रवाई से हैरान हैं और शांतिपूर्ण मोटरबाइक रैली में भेदभावपूर्ण रूप से बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुईं".
दरअसल, ऐसी अकटलें लगाई जा रही हैं कि हा ढालू द्वीप के हनीमाधू पर भारतीय सेना पहुंच सकती है. इसके अलावा इससे पहले ही मालदीव में अतिरिक्त भारतीय अफ़सर मौजूद हैं, जो भारतीय सेना की ओर से मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स को उपहार में दिए गए हेलिकॉप्टर ऑपरेट कर रहे हैं.
लेकिन डिफेंस फोर्स के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल ने ज़ोर देकर कहा है कि मालदीव में "कोई विदेशी सुरक्षाबल मौजूद नहीं हैं."
पिछले कुछ हफ़्तों में मालदीव के कुछ लोगों ने ट्वीटर पर #Indiaout के साथ ट्वीट किए और कुछ देर के लिए इस हैशटैग को ट्रेंड भी करवाया.
This is the way how Indians think of Maldives and it's people. As low lives who are poorer than them. And to top it all off, they want to increase the Indian diaspora in Maldives to get a foothold in our internal matters and ruin our cultural heritage.
This is why #IndiaOut pic.twitter.com/CyhNGctwZt
— Hassan Ali 🇲🇻 (@HassanuAyya) September 17, 2020
सत्तारूढ़ पार्टी ने राजनीतिक विपक्षी पर सोशल मीडिया अभियान चलवाने का आरोप लगाया. ये आरोप इस आधार पर भी लगाया है कि यामीन के कार्यकाल के वक़्त माले और नई दिल्ली के रिश्तों में खटास आई थी. साथ ही उनकी सरकार पर चीन की तरफ स्पष्ट झुकाव के आरोप भी लगे थे.
चीन एक यहां एक क़रीबी डिवेलपमेंट पार्टनर और लीडर रहा है. मालदीव चीन से लिए कर्ज़ के 1.4 अरब डॉलर के लिए फिर से मोलभाव भी कर रहा है.
दूसरी ओर राष्ट्रपति सोलेह के सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ ख़ासकर डिवलपमेंट पार्टनरशीप महत्वपूर्ण रूप से बढ़ी है.
India should try to tackle the #COVID19 situation and save the dwindling economy in #India instead of trying to expand the borders. Try to take care of what you already have instead of eyeing on what others have. Take India's military personnel out of the Maldives.#IndiaOut
— Jal'Earl (@EarlJal) September 17, 2020
पिछले महीने भारत ने 50 करोड़ डॉलर के पैकेज की घोषणा की, जिसमें 10 करोड़ डॉलर का अनुदान भी शामिल है. इससे पहले भारत ने 2018 में मालदीव के लिए 80 करोड़ डॉलर की घोषणा की थी.
हालांकि राष्ट्रपति सोलेह की सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें हाल में ख़ास तौर पर राजनीतिक प्रतिद्वंदी की ओर से की जा रही भारत-विरोधी बातें शामिल है, जिसका वो जवाब दे रहे हैं.
आर्थिक प्रभाव
दो साल के कार्यकाल वाला सोलेह प्रशासन बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पर्यटन पर काफ़ी हद तक निर्भर मालदीव की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी से बड़ा झटका लगा है.
मालदीव कोविड-19 से बिगड़े हालात को संभालने की कोशिश कर रहा है और भारत ने उनकी मदद के लिए 25 करोड़ डॉलर की विशेष आर्थिक सहायता की घोषणा की है.
यूएनडीपी के मुताबिक़, मालदीव एशिया क्षेत्र और संभावित रूप से दुनिया भर में कोविड-19 से सबसे ज़्यादा प्रभाव होने वाले देशों में शामिल है.
अपने ताज़ा अनुमान में एशियन डिवेलपमेंट बैंक ने कहा कि मालदीव का आउटपुट 2020 में एक चौथाई से ज़्यादा सिकुड़ सकता है.
जीडीपी आँकड़ों को लेकर ये सबसे चिंताजनक अनुमान है. मालदीव में अब तक 9,000 से ज़्यादा मामले और 33 मौतें दर्ज की गई हैं.
अंदरूनी तनाव
इस बीच कुछ लोगों को डर है कि सत्ताधारी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के भीतर भी तनाव पनप रहा है.
ये तनाव राष्ट्रपति सोलेह और स्पीकर और पूर्व राष्ट्रपति नशीद के बीच होने की बात कही जा रही है, जो एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है.
ख़ासकर जब स्पीकर नशीद ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कुछ मंत्रियों को हटाए जाने की मांग की है.
माले में मौजूद एक सरकार के सांसद ने द हिंदू अख़बार से पहचान छिपाने की शर्त पर बात की और कहा, "स्पीकर एक संसदीय व्यवस्था पर भी ज़ोर दे रहे हैं. सरकार के भीतर ऐसी चिंताएं है कि उनका ये कदम राष्ट्रपति को चुनौती दे सकता है, जो गठबंधन सरकार के साथ मिलकर काम करने की कोशिश कर रहे हैं."
सांसद ने ये भी कहा, "अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर हो या लोकतंत्र के मोर्चे पर, हमारी सरकार अब तक बहुत कुछ नहीं कर पाई है और महामारी ने इस स्थिति को और बदतर कर दिया है. इस हालात में अंदरूनी तनाव और नुक़सान करेगा."