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अपने सैनिकों की शहादत को भारत की तरह सम्मान क्यों नहीं देता चीन?, उठने लगे सुर

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अपने सैनिकों की शहादत को भारत की तरह सम्मान क्यों नहीं देता चीन?, उठने लगे सुर

गलवान घाटी में चीन के कितने सैनिक मारे गये ? आज तक चीन ने मृत सैनिकों की संख्या क्यों नहीं बतायी ? इस मामले में चीन क्यों झूठ बोल रहा है ? दरअसल चीन में सैनिक हों या नागरिक, अगर उनकी मौत से सरकार की छवि पर आंच आती है तो उनके शवों के साथ कीड़े मकोड़ों जैसा सुलूक किया जाता है। चीन में कम्युनिस्ट सरकार की ऐसी तानाशाही है कि कोई इस अत्याचार और अपमान के खिलाफ जुबान नहीं खेल सकता। लेकिन गलवान मामले में जिनपिंग सरकार के खिलाफ लोग नाखुशी जाहिर करने लगे हैं। गलवान में तैनात चीनी सैनिकों के परिजन यह जानना चाहते हैं किन सैनिकों मौत हुई और किनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। चीनी नागरिकों में इस बात का रोष है कि जब भारत अपने शहीद सैनिकों को सम्मानित कर सकता है तो उनकी सरकार ऐसा क्यों नहीं कर रही? लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए अब चीनी सरकार का कहना है कि इस बात की जानकारी सही समय पर दी जाएगी। आखिर चीन मौत के आंकड़ों को क्यों छिपाता है ? चीन में शवों के साथ अपमानजनक आचरण क्यों किया जाता है ? चीन में सच बोलना अपराध क्यों हैं ?

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कितने चीनी मारे गये ?

कितने चीनी मारे गये ?

चीन ने गलवान में सैनिकों के मारे जाने की बात तो कुबूल की है लेकिन उनकी संख्या पर खामोशी ओढ़ ली है। चीन को डर है कि अगर उसने मृत सैनिकों की संख्या बतायी तो उसके शक्तिशाली होने की पोल खुल जाएगी। इससे चीन की सैनिक श्रेष्ठता का दावा खोखला साबित हो जाएगा। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा भी है, चीन नहीं चाहता है दोनों देशों के सौनिकों की मौत को लेकर कोई तुलना हो। चीन की इस खामोशी से खोजी पत्रकारों का काम बढ़ा दिया है। अलग-अलग सूत्रों से अलग अलग आंकड़े बताये जा रहे हैं। चीन की सरकार इन आंकड़ों गलत बताती रही है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक 15 जून की रात को गलवान में चीन के 35 सैनिक मृत या घायल हुए थे। एएनआइ के मुताबिक गलवान में चीन के 43 सैनिक हताहत हुए थे जिसमें मृतक और घायल दोनों शामिल हैं। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने ट्वीट कर बताया था कि उस दिन चीन के 30 सैनिक मारे गये थे। बाद में इस ट्वीट को हटा लिया लिया। आखिर क्यों ? ग्लोबल टाइम्स के ट्वीट हटाये जाने के बाद से यह कहा जा रहा है चीन अपने सैनिकों की मौत के संबंध में बहुत बड़ा झूठ बोल रहा है।

क्या अब तक 128 चीनी सैनिक मरे हैं ?

क्या अब तक 128 चीनी सैनिक मरे हैं ?

भारत की सोशल मीडिया में भी इस बात पर खूब चर्चा हो रही है। चीनी सैनिकों के मारे जाने की अलग-अलग संख्या बतायी जा रही है। चूंकि चीन मौत का कोई प्रमाणिक आंकड़ा बता नहीं रहा इसलिए लोग अलग-अलग स्रोतों इसकी जानकारी ट्वीट कर रहे हैं। ओलिव नाइफ ट्विटर हैंडल पर 128 चीनी सैनिकों के मरने की खबर है। सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा के मुताबिक 15 जून की रात भारत के सैनिकों ने चीन के करीब दो सौ सैनिकों को घायल किया था। कुछ की मौके पर मौत हुई थी और कुछ घायल हो गये थे जिनका सेना के अस्पताल में इलाज चल रहा है। इलाजरत कई सौनिकों की भी मौत हुई है जिससे यह आंकड़ा सौ के पार बताया जा रहा है। इतना तो तय है चीन मौत के आकंड़े छुपाता रहा है।

मौत के आंकड़े छिपाने में चीन उस्ताद

मौत के आंकड़े छिपाने में चीन उस्ताद

चीन की सरकार ने जब वुहान में कोरोना से मौत के आंकड़े को दोगुना किया था तब उसका झूठ पकड़ा गया था। इतना ही नहीं इंग्लैंड के अखबार डेली मेल की एक खोजी रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन में कोरोना से करीब एक लाख लोगों की मौत हुई है। मौत की संख्या को कम दिखाने के लिए कई शवों को आनन फानन में जला दिया गया था। बाद में जब चीनी की सरकार ने परिजनों के अस्थि कलश सौंपे थे तो उनकी संख्या करीब बीस हजार थी। जब कि उसने केवल 4634 लोगों के मरने की बात कबूल की थी। इसी तरह 1989 में चीनी सैनिकों ने थियानमेन स्कावयर पर प्रदर्शन कर रहे लोकतंत्र समर्थक छात्रों को टैंक से रौंदा दिया था। तब करीब 10 हजार लोगों की मौत हुई थी। चीन में ब्रिटेन के तत्कालीन राजदूत एलन डोनाल्ड ने अपनी सरकार को एक रिपोर्ट भेजी थी जिसमें दस हजार चीनियों के मारे जाने की बात कही गयी थी। लेकिन जब चीन की सरकार ने इस घटना पर आधिकारिक बयान दिया तो सिर्फ 200 लोगों के मरने की बात स्वीकार की। इससे समझा जा सकता है कि चीन अपने नागरिकों की मौत पर कितने अमानवीय तरीके से पेश आता है।

जबरन बनाये जाते हैं सैनिक

जबरन बनाये जाते हैं सैनिक

चीन में हर नौजवान के लिए दो साल की सैनिक सेवा अनिवार्य है। इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। इंकार करने पर कठिन दंड दिया जाता है। इस डर से वैसे युवा भी सैनिक बन जाते हैं जिनकी इसमें कोई रुचि नहीं होती। चीनी युवकों को जबरन सैनिक बनाये जाने से उनके परिजन भी डरे सहमे रहते हैं। जो युवक सैनिक सेवा में नाखुशी जाहिर करते हैं उनके साथ ट्रेनिंग कैंप में जानवरों जैसा सुलूक किया जाता है। सरकार की इस नीति से चीन के लोग नाखुश हैं लेकिन वे विरोध नहीं कर सकते। लेकिन गलवान की घटना ने चीनी लोगों के दबे गुस्से को बाहर निकाल दिया है। चीन में सरकार विरोधी किसी भी खबर पर कठोर सेंसरशिप लागू है इसलिए ये बाहर नहीं निकल पातीं। लेकिन सोशल मीडिया की पहुंच ने चीन की लौहदीवार में सेंध लगा दी है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें मृत चीनी सैनिकों के परिजन सम्मान नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। हालांकि चीन ऐसी किसी खबर से इंकार करता रहा है। चीन में सरकार की इज्जत के आगे इंसान की कीमत गाजर-मूली से अधिक नहीं।

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English summary
Why does China not honor the martyrdom of its soldiers like India?
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