'दुश्मन' का स्वागत क्यों करने जा रहा दक्षिण कोरिया?
दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच की दशकों की शत्रुता शीतकालीन ओलंपिक के बहाने ही कम होती दिख रही है.
एक उत्तर कोरियाई जनरल किम योंग-चोल को दक्षिण कोरिया के ख़िलाफ़ हमले की योजना बनाने के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है. इसके बावजूद रविवार को किम योंग का दक्षिण कोरिया में स्वागत किया जाएगा.
दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच की दशकों की शत्रुता शीतकालीन ओलंपिक के बहाने ही कम होती दिख रही है.
एक उत्तर कोरियाई जनरल किम योंग-चोल को दक्षिण कोरिया के ख़िलाफ़ हमले की योजना बनाने के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है. इसके बावजूद रविवार को किम योंग का दक्षिण कोरिया में स्वागत किया जाएगा.
किम योंग दक्षिण कोरिया में शीतकालीन ओलंपिक के समापन समारोह में उत्तर कोरियाई प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के तौर पर पहुंचने वाले हैं.
किम योंग उत्तर कोरिया में सबसे ऊंची रैंक वाले सेना अधिकारियों में से एक हैं. वो लेबर पार्टी की केंद्रीय समिति में उपाध्यक्ष के पद पर हैं. साथ ही वो देश की ख़ुफ़िया सेवाओं के प्रमुख रह चुके हैं.
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उनका प्रतिनिधिमंडल दक्षिण कोरिया में तीन दिनों के लिए रहेगा और उनके दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन से मिलने की संभावना भी है. इससे दोनों देशों के बीच तनाव कुछ कम करने में मदद मिल सकती है.
रिश्तों में सुधार की उम्मीद
हालांकि, किम योंग के अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप से मिलने के कोई संकेत नहीं हैं. इवांका अमरीकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं.
शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने हिस्सा लिया था.
ओलंपिक में उत्तर कोरिया के शामिल होने और किम यो जोंग के दक्षिण कोरिया जाने को दोनों के रिश्ते में सुधार के तौर पर देखा जा रहा है. इसमें कई मौकों पर किम योंग-चोल ने प्रमुख भूमिका निभाई है.
सन् 1945 में जन्मे जनरल किम योंग ने अपने करियर की शुरुआत एक पुलिस यूनिट में असैन्य क्षेत्र से की थी. असैन्य क्षेत्र के बावजूद यह दुनिया की सबसे तनावपूर्ण सीमा मानी जाती है.
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अपने करियर के दौरान किम योंग ने उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों से जुड़े कई पदों पर काम किया. उन्होंने वर्ष 1990 और 2000 में दोनों देशो के प्रतिनिधिमंडलों के बीच हुई कई बैठकों में हिस्सा लिया.
किम योंग उत्तर कोरियाई सेना और कूटनीतिक संबंधों के क्षेत्र के जानेमाने चेहरों में से एक हैं. इसके कुछ ख़ास कारण हैं जो काफ़ी विवादित भी रहे हैं.
जासूसी और हमले
20 से ज़्यादा सालों तक किम योंग उत्तर कोरियाई ख़ुफ़िया सेवाओं का हिस्सा रहे हैं. 1990 के दशक में वह रक्षा मंत्रालय के जासूसी कार्यालय के पहले उप निदेशक थे.
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इसके बाद साल 2009 में उन्हें जनरल रेकिग्निशन ब्यूरो (आरजीबी) का निदेशक बनाया गया. यह अमरीका की सेंट्रल इंटेलिजेंसी एजेंसी (सीआईए) के समान है.
इसी साल की शुरुआत में उत्तर कोरिया ने अपनी कई ख़ुफ़िया एजेंसियों को आरजीबी में मिला दिया.
साल 2010 में किम योंग के नेतृत्व में आरजीबी पर दक्षिण कोरिया में लगातार कई हमले करने का आरोप लगाया गया था. इसमें जहाज च्वानान कोरवेट का डूबना भी शामिल है. 26 मार्च को हुई इस घटना में दक्षिण कोरिया के 46 नाविक मारे गए थे.
उसी समय पर उत्तर कोरिया से भागे एक ऊंची रैंक वाले व्यक्ति की हत्या के लिए कथित तौर पर दो उत्तर कोरियाई एजेंट्स को दक्षिण कोरिया भेजा गया था. उन एजेंट्स ने बताया था कि उन्हें आरजीबी ने भेजा है और किम योंग ने निजी तौर पर उन्हें ये काम सौंपा है.
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सत्ता से क़रीबी
जनरल किम योंग को एक और बात ख़ास बनाती है और वो है उत्तर कोरिया में सत्ताधारियों से उनकी नजदीकी.
उत्तर कोरिया लीडरशिप वॉच के अनुसार किम योंग उत्तर कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम जोंग-इल के बॉडीगार्ड थे. इल किम जोंग उन के पिता थे.
साल 2010 में लेबर पार्टी (पीटी) की तीसरी कॉन्फ़्रेंस के दौरान किम योंग उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की आंटी और पीटी सेक्रेटरी किम क्योंग हुई और उप रक्षा मंत्री के साथ बैठे थे.
इसी तरह, साल 2012 में उन्हें किम जोंग उन के साथ सीमा पर तैनात सैन्य बलों के दौरे और निरीक्षण के दौरान कई बार देखा गया है.