फ़्रांस के लोग अपराधियों को इतना पसंद क्यों करते हैं
फ़ैद ने हीट फ़िल्म डीवीडी पर 100 बार देखी थी और सीखा था कि हथियारबंद कैश वाली गाड़ी पर कैसे हमला किया जा सकता है.
ला मोंद अख़बार में उनकी साइकोलॉजिकल रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है, "डकैती ऐसे डाली गई मानो वो किसी फ़िल्म का असली सीन हो. वह अपने स्क्रीनप्ले के हिसाब से अभिनय कर रहे थे."
और फ्रांस के लोग तो वैसे भी अच्छी फ़िल्मों को पसंद करने के लिए जाने जाते हैं.
रेदुअन फ़ैद फ़्रांस के एक ऐसे अपराधी हैं जिन्हें एक नाक़ाम लूट की कोशिश में 25 साल की सज़ा मिली थी.
जब एक जुलाई को वो जेल से भागे तो फ़्रांस के लोग एक अपराधी के भागने का जश्न मनाते नज़र आए.
अभिनेत्री बिएट्रिस डेल ने तो अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा, "पूरा फ़्रांस आपके साथ है. मैं डांस करके घंटों तक इसका जश्न मनाऊंगी."
फ़्रांस के लोगों में गैंगस्टर्स को लेकर ख़ासा रोमांच रहता है. ख़ासकर उन्हें लेकर जो जेल से भाग निकलते हैं.
जिन गैंगस्टर्स के पास इस तरह के कई क़िस्से हों और वो उन कहानियों पर अपनी क़िताब लिख दें तो फिर कहना ही क्या. वो टीवी सेलेब्रिटी बन जाते हैं.
रेदुअन फ़ैद की जिंदगी में ये सारे रोमांच हैं. उनकी ज़िंदगी में अतिश्योक्ति भरी घटनाएं भी हैं और बदलाव के क़िस्से भी. यही कारण हैं फ़्रांस के लोग उनके लिए भावनाएं रखते हैं.
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आख़िर ये आकर्षण क्यों?
ऐसा नहीं है कि फ़्रांस के लोग ऐसे अपराधियों के लिए भावनाएं रखते हैं जिन पर हिंसा के मामले कम हों. मसलन फ़ैद ने एक लूट की वारदात को अंजाम दिया था तो उसमें एक शख़्स बुरी तरह जल गया था.
साल 2010 के लूट के मामले में भी एक पुलिसवाले की मौत हो गई थी. हालांकि, ये मौत फ़ैद के हाथों नहीं बल्कि उन्हीं के गैंग के एक दूसरे शख़्स के हाथों हुई थी.
फ़ैद अकेले नहीं है. जैक्यूज़ मसरिन, टेनी ज़ाम्पा और फ़्रांस्वा ले बेल्गे भी लोगों के बीच काफ़ी मशहूर रहे. ये लोग ना सिर्फ़ बैंक लुटेरे रहे बल्कि क़ातिल भी रहे.
इस आकर्षण की जड़ें शायद फ़्रांस की क्रांति से शुरू होती हैं. इस क्रांति ने अमीरों की जेब किसी भी तरीक़े से ख़ाली करने वाले कामों को स्वीकार्यता दी थी.
रेदुअन फ़ैद ऐसे पहले गैंगस्टर नहीं हैं जिन्होंने ख़ुद की छवि रॉबिनहुड जैसी बनाई है.
फ़ैद 'ना कोई ज़ख़्मी, ना कोई घायल' जैसे वाक्य को अपना आधार सूत्र बताते थे. अपने संस्मरण में वह लिखते हैं, ''अगर कोई ज़ख़्मी नहीं होता है तो समझिए आप अपना काम सही तरीक़े से कर रहे हैं.''
सिनेमा का असर
फ़ैद ने उन मनोवैज्ञानिक बातों का भी ज़िक्र किया है जो उन्हें ऐसे कामों को अंजाम देने के लिए प्रेरित करती थीं. फ्रांस के लोगों को इस तरह से आत्मविश्लेषण करना पसंद है.
उन्होंने लिखा है, "आप एड्रिनलिन के लिए बेताब रहते हैं. आपके शरीर को इसकी ड्रग की तरह ज़रूरत होती है. आप ऐसे काम पैसे के लिए नहीं कर रहे होते."
मगर इस आकर्षण के पीछे एक आसान सी वजह है और फ़ैद भी इससे परिचित हैं- सिनेमा के प्रति दीवानगी.
फ्रांस में गैंगस्टर वाली फ़िल्में बनाने की परंपरा रही है. कई सारी फ़िल्में हैं जो गैंगस्टर्स वाले प्लॉट पर बनी हैं या फिर असली गैंगस्टर्स की ज़िंदगी पर आधारित हैं.
इन फ़िल्मों के हीरो हिंसक तो होते हैं मगर वे रोमांटिक भी होते हैं और कुछ ऐसे कारणों से अपराध की दुनिया में चले जाते हैं जिन पर उनका वश नहीं होता.
रेदुअन फ़ैद पर हॉलिवुड का ज़्यादा असर रहा था और यह असर बेहद अहमियत रखता था. साल 1995 में पहली वारदात के दौरान उन्होंने और उनके गैंग के सदस्यों ने पूर्व प्रधानमंत्री रेमंड बार के चेहरे वाले मास्क पहने हुए थे
फ़ैद ने हीट फ़िल्म डीवीडी पर 100 बार देखी थी और सीखा था कि हथियारबंद कैश वाली गाड़ी पर कैसे हमला किया जा सकता है.
ला मोंद अख़बार में उनकी साइकोलॉजिकल रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है, "डकैती ऐसे डाली गई मानो वो किसी फ़िल्म का असली सीन हो. वह अपने स्क्रीनप्ले के हिसाब से अभिनय कर रहे थे."
और फ्रांस के लोग तो वैसे भी अच्छी फ़िल्मों को पसंद करने के लिए जाने जाते हैं.
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