उत्तर कोरिया में क्यों आया ये नाटकीय बदलाव?
कल तक परमाणु हमले की बात करने वाला उ. कोरिया अपने पड़ोसी से सैन्य बातचीत के लिए राज़ी हो गया है.
बीते दो सालों में पहली बार हुई उच्चस्तरीय बैठक में उत्तर और दक्षिण कोरिया सीमा पर तनाव कम करने के मक़सद से सैन्य बातचीत करने पर सहमत हो गए हैं.
फ़रवरी महीने में दक्षिण कोरिया में आयोजित 2018 के विंटर ओलिंपिक खेल के लिए उत्तर कोरिया एक प्रतिनिधि मंडल भी भेजेगा.
दोनों देश सैन्य हॉटलाइन को फिर से बहाल करने पर भी सहमत हो गए हैं. इसे दो साल पहले रद्द कर दिया गया था. हालांकि दक्षिण कोरिया का कहना है कि उत्तर कोरिया का परमाणु निरस्त्रीकरण पर रुख़ नकारात्मक है.
दुनिया की सबसे 'ख़तरनाक जगह', जहां दोनों कोरिया मिले
बीबीसी विशेष: उत्तर कोरिया से बच भागे, लेकिन...
दोनों देशों के बीच बातचीत में हुआ क्या?
एक दिन की बातचीत के बाद दोनों देशों ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी किया है. इसी बयान में इन्होंने पुष्टि की है कि दोनों देश सीमा पर तनाव ख़त्म करने को लेकर सैन्य बातचीत के लिए राजी हो गए हैं.
इसके साथ ही उत्तर कोरिया एक राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति प्रतिनिधि मंडल, एथलीट्स, चीयरलीडर्स, आर्ट परफ़ॉर्मर्स, दर्शक, एक ताइक्वांडो टीम और मीडियाकर्मियों को भी दक्षिण कोरिया भेजने पर सहमत हो गया है. दूसरी तरफ़ दक्षिण कोरिया इन्हें ज़रूरी सुविधाएं मुहैया कराएगा.
दक्षिण कोरिया की समाचार एजेंसी योनहैप के अनुसार, दोनों देशों के बयानों में संबंधों को सुधारने के लिए अन्य उच्चस्तरीय बैठकों की बातें कही गई हैं.
दक्षिण कोरिया की सरकार ने कहा है कि उसने उत्तर कोरिया से किसी भी शत्रुतापूर्ण क़दम को ख़त्म करने के लिए कहा था ताकि तनाव कम किया जा सके. दक्षिण कोरियाई सरकार का कहना है कि उत्तर कोरिया सहमत हो गया है.
उत्तर और दक्षिण कोरिया: 70 साल की दुश्मनी की कहानी
69 साल का उत्तर कोरिया और 85 साल की सेना?
खिलाड़ियों के साथ मार्च करने का प्रस्ताव
दक्षिण कोरिया की सरकार का कहना है कि कोरियाई प्रायद्वीप में शांतिपूर्ण माहौल के लिए स्थायी समाधान की ज़रूरत है. यहां के अधिकारियों ने बैठक से जुड़ी अन्य विस्तृत जानकारी को भी जारी किया है.
दक्षिण कोरिया ने प्योंगचांग में विंटर ओलिंपिक के उद्घाटन समारोह में दोनों देशों के एथलीटों के एक साथ मार्च करने का प्रस्ताव रखा है. 2006 के विंटर ओलिंपिक में भी किया गया था.
दक्षिण कोरिया ने कोरियाई युद्ध में अलग हुए परिवारों को फिर से मिलाने को लेकर भी ज़ोर दिया है. यह मुद्दा दोनों देशों के लिए काफ़ी भावनात्मक है.
दक्षिण कोरिया ने कहा है कि वो कुछ प्रतिबंधों को अस्थायी रूप से हटाने पर भी विचार करेगा. उसने कहा कि वो ऐसा संयुक्त राष्ट्र के समन्वय से ही करेगा.
दक्षिण कोरिया के इन प्रस्तावों पर उत्तर कोरिया की प्रतिक्रिया अभी सार्वजनिक नहीं हो पाई है. उत्तर कोरियाई प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख रि सोन-ग्वोन तटस्थ दिख रहे थे.
उन्होंने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि बातचीत नए साल में हमारे लिए एक बढ़िया तोहफ़ा लेकर आएगी. उत्तर कोरिया इन प्रयासों को लेकर गंभीर है.''
बातचीत कहां हुई?
दोनों देशों के बीच बातचीत पन्मुंजोम पीस विलेज में हुई. यह गांव सीमा पर असैन्य क्षेत्र में है. इस उच्चस्तरीय बाचतीत में दोनों देशों के पांच-पांच वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे. दोनों देशों के नेताओं का कहना है कि उन्होंने बैठक को सीसीटीवी के ज़रिये देखा.
नए साल के संबोधन में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने कहा था कि वो ओलिंपिक में एक टीम भेजने पर विचार कर रहे हैं. दक्षिण कोरियाई ओलिंपिक प्रमुख ने पिछले साल कहा था कि उत्तर कोरियाई एथलीटों का स्वागत किया जाएगा.
किम जोंग-उन के संकेत के बाद दक्षिण कोरिया ने ओलिंपिक में भागीदारी के लिए उच्चस्तरीय बैठक का प्रस्ताव रखा. हालांकि इस मामले में उत्तर कोरिया तब राजी हुआ जब दक्षिण कोरिया और अमरीका संयुक्त सैन्याभ्यास में देरी पर सहमत हो गए.
उत्तर कोरिया को लग रहा था कि वार्षिक सैन्य अभ्यास युद्ध की रिहर्सल है. अमरीका में कुछ आलोचकों का मानना है कि उत्तर कोरिया का यह रुख़ दक्षिण कोरिया-अमरीकी गठबंधन में दरार डालने के लिए है.
नाटकीय बदलाव
सोल में बीबीसी के रुपर्ट विंगफील्ड-हायेस का विश्लेषण:
एक हफ़्ता पहले ही उत्तर कोरिया परमाणु युद्ध की धमकी दे रहा था और मंगलवार सुबह प्योंगयांग से एक प्रतिनिधिमंडल दोनों देशों को बांटने वाली सरहद पार कर बातचीत के लिए पहुंच गया. उत्तर कोरिया प्योंगचांग ओलंपिक में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने पर भी राजी हो गया.
महीनों से जारी तनाव के बीच यह अचानक और नाटकीय घटनाक्रम है. दक्षिण कोरिया में कुछ ही लोग इस बात को मान रहे हैं कि यह उत्तर कोरिया के रुख़ में सकारात्मक बदलाव है.
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन में अमरीकी हमले का डर तेज़ी से घर कर रहा है. ऐसे में उन्होंने तनाव कम करने के लिए यह क़दम उठाया है.
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून-ज्ये-इन उत्तर कोरिया से ठोस बातचीत के पक्षधर हैं और वो अमरीका के ख़ास सहयोगी के तौर पर भरोसे को भी कम नहीं करना चाहते हैं.
दोनों देशों के बीच आख़िरी बातचीत कब हुई थी?
दोनों देशों के बीच आख़िरी बातचीत 2015 में हुई थी. दक्षिण कोरिया ने एक संयुक्त आर्थिक परियोजना को रद्द कर दिया था. यह परियोजना काइसोंग इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स में शुरू होने वाली थी, लेकिन उत्तर कोरिया की ओर से रॉकेट और परमाणु परीक्षण के बाद इसे रद्द कर दिया गया था.
इसके बाद उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया से सभी तरह के संबंधों को ख़त्म कर दिया था. यहां तक कि सैन्य हॉटलाइन को भी बंद कर दिया गया.
हालात इतने बिगड़े कैसे?
उत्तर कोरिया ने परमाणु कार्यक्रम को चलाना जारी रखा. इससे अमरीका के साथ उसका राजनयिक संघर्ष बढ़ता गया. डोनल्ड ट्रंप के आने के बाद स्थिति और बदली. किम जोंग-उन और ट्रंप के बीच ज़ुबानी हमले बढ़ते गए.
उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल परीक्षण करता रहा. इससे उस पर अमरीकी और संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी और कड़ी होती गई. 28 नवंबर को उत्तर कोरिया ने एक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया. इसके बाद उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध और कड़े किए गए. उत्तर कोरिया में ऊर्जा की आपूर्ति रोकी गई और वहां के नागरिकों पर भी अमरीका ने पाबंदी लगा दी.
ट्रंप ने किम जोंग-उन को रॉकेट मैन कहा. नए साल में किम जोंग उन ने ट्रंप को चेताते हुए यहां तक कहा कि परमाणु बटन उनकी मेज़ पर ही लगा है. इस पर ट्रंप ने यह कहते हुए पलटवार किया कि उनकी डेस्क पर जो परमाणु बटन है वो ज़्यादा प्रभावी और विनाशक है.