इराक़ और अमरीका के संबंध इतने नाज़ुक क्यों हो गए?
इराक़ में अमरीकी दूतावास के बाहर से तनावपूर्ण गतिरोध के बाद प्रदर्शनकारी वापस चले गए हैं. मंगलवार को आक्रोशित भीड़ ने दूतावास पर हमला कर दिया था. अमरीकी हवाई हमले में शिया चरमपंथी संगठन के सदस्यों के मारे जाने से लोग ख़फ़ा थे और इसके विरोध में लोगों ने बग़दाद स्थित अमरीकी दूतावास पर हमला बोल दिया था.
इराक़ में अमरीकी दूतावास के बाहर से तनावपूर्ण गतिरोध के बाद प्रदर्शनकारी वापस चले गए हैं.
मंगलवार को आक्रोशित भीड़ ने दूतावास पर हमला कर दिया था. अमरीकी हवाई हमले में शिया चरमपंथी संगठन के सदस्यों के मारे जाने से लोग ख़फ़ा थे और इसके विरोध में लोगों ने बग़दाद स्थित अमरीकी दूतावास पर हमला बोल दिया था.
अमरीकी सेना को बचाव में आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़ने थे. हालांकि बुधवार को भी विरोध-प्रदर्शन जारी रहा.
अमरीकी दूतावास परिसर के बाहर से हटने के बाद प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने पास के ही एक होटेल के सामने कैंप लगा दिया है. इनका कहना है कि जब तक अमरीकी सेना इराक़ से बाहर नहीं चली जाती है तब तक वो अपना विरोध-प्रदर्शन जारी रखेंगे.
इराक़ी सरकार की अपील पर उग्रपंथी संगठन द पॉप्युलर मोबिलाइज़ेशन फ़ोर्सेज ने भीड़ को अमरीकी दूतावास के बाहर से हटने का निर्देश दिया था.
दूतावास पर हमले के बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इसके लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहराते हुए धमकी दी थी. राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था, ''अगर किसी की जान गई या कोई नुक़सान हुआ तो इसके लिए भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी. यह कोई चेतावनी नहीं है बल्कि धमकी है.''
ट्रंप की इस धमकी के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयतोल्लाह अली ख़मेनेई का बयान आया और उन्होंने कहा कि अमरीका ईरान को धिक्कार नहीं सकता है. ख़मेनेई ने कहा कि इराक़ में अमरीका विरोधी भावना बहुत प्रबल है. ईरान ने इस बात से इनकार किया है कि अमरीकी दूतावास पर हमले में उसकी कोई भूमिका है.
बग़दाद में अमरीकी दूतावास दुनिया भर में अमरीका का सबसे बड़ा राजनयिक मिशन है और इसकी सुरक्षा भी उतनी ही कड़ी है. अभी इराक़ में क़रीब पाँच हज़ार अमरीकी सैनिक हैं और ये इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ मिशन में लगे हुए हैं.
बीबीसी के डिफेंस संवाददाता मार्कस जोनाथन का विश्लेषण
इराक़ में अमरीका विरोधी तीखा प्रदर्शन दर्शाता है कि अमरीका और इराक़ के संबंध बहुत ही जटिल और नाज़ुक मोड़ पर हैं. ऐसे में यह सवाल बहुत ही प्रासंगिक है कि दोनों के रिश्ते कितने टिकाऊ हैं और कब तक रहेंगे?
इराक़ में इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ अमरीकी मिशन काफ़ी धुंधला हो चुका है और अब इस बात पर टिका है कि इसे लेकर इराक़ की सरकार का क्या रुख़ रहता है. अमरीकी सेना की मौजूदगी इराक़ी बलों को ट्रेनिंग देने पर भी टिकी है लेकिन इराक़ की शिया सरकार ईरान के बेहद क़रीब है.
इराक़ और अमरीका के रिश्ते में ईरान की मज़बूत मौजूदगी से अजीब त्रिकोणीय स्थिति बन गई है. अमरीका और ईरान एक दूसरे के मक़सद को बहुत ही संदिग्ध मानते हैं. दोनों इराक़ में एक दूसरे के प्रभाव को कम करने की मंशा रखते हैं. हाल के अमरीका विरोधी प्रदर्शन में इराक़ की सरकार की बेबसी सतह पर आ गई. इस पूरे मामले में ईरान का हस्तक्षेप भी अहम है.
इराक़ के शिया चरमपंथी समूहों से ईरान के अच्छे संबंध हैं. अमरीका को लगता है कि अमरीकी सैन्य ठिकानों और उसके दूतावास पर हमले के पीछे ईरान है और वो चाहता है कि इस मामले में इराक़ की सरकार खुलकर उसका साथ दे.
लेकिन ट्रंप प्रशासन इस इलाक़े में भविष्य में अपनी भूमिका को लेकर परस्पर विरोधी बातें कर रहा है. ट्रंप प्रशासन कभी सीमित संलिप्तता की बात करता है तो कभी ईरान के ख़िलाफ़ मज़बूती से खड़ा रहने का संकेत देता है. ऐसे में कन्फ़्यूजन का बादल गहराना स्वाभाविक है. इस तरह के कन्फ़्यूजन में इस बात की प्रबल आशंका है कि अमरीका और ईरान सीधे तौर पर आमने-सामने न आ जाएं.
मंगलवार को क्या हुआ था?
मंगलवार को इराक़ की राजधानी बग़दाद में स्थित अमरीकी दूतावास के परिसर में हमला हुआ था. अमरीकी सेना ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़े थे.
प्रदर्शनकारी दूतावास के परिसर की बाहरी दीवार कूदकर अंदर घूस गए थे. दूतावास के बाहर एक सुरक्षा चौकी में प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी थी.
पश्चिमी इराक़ और पूर्वी सीरिया में रविवार को अमरीका ने कताइब हिज़्बुल्लाह चरमपंथी संगठन के ठिकानों पर बमबारी की थी और इसमें कम से कम 25 लड़ाके मारे गए थे.
अमरीका ने कहा था कि शुक्रवार को इराक़ के किरकुक में उसके सैन्य ठिकाने पर हुए हमले के जवाब में उसने कार्रवाई की थी. अमरीकी सैन्य ठिकाने पर शुक्रवार को हुए हमले में एक अमरीकी कॉन्ट्रैक्टर की मौत हो गई थी.
इराक़ के प्रधानमंत्री अदेल अब्दुल महदी ने कहा था कि अमरीका का हवाई हमला उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है. दूसरी तरफ़ कताइब हिज़्बुल्लाह नेता अबु महदी अल-मुहांदिस ने चेतावनी दी है कि अमरीका को इस हमले का बुरा अंजाम भुगतना होगा.
बग़दाद में क्या हुआ?
मंगलवार को अमरीकी हमले में मारे गए चरमपंथी लड़ाकों की अंत्येष्टि के बाद इसके विरोध में लोग सड़क पर उतर गए थे. हज़ारों की संख्या में लोग बग़दाद के ग्रीन ज़ोन इलाक़े की तरफ़ बढ़ने लगे थे.
इसमें अबु महदी अल-मुहांदिस के अलावा हिज़्बुल्लाह के कई सीनियर सैन्य अधिकारी भी शामिल थे. बग़दाद का ग्रीन ज़ोन वो इलाक़ा है जहां इराक़ के कई अहम सरकारी दफ़्तर हैं और विदेशी दूतावास भी हैं.
इराक़ी सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को ग्रीन ज़ोन में आने की अनुमति दी थी. कुछ ही देर में सभी प्रदर्शनकारी अमरीकी दूतावास के बाहर जमा हो गए थे.
असाइब अह्ल अल-हक़ समूह के प्रमुख क़ाइस अल-ख़ज़ाली ने कहा था, "इस दूतावास ने साबित किया है कि यह इराक़ के ख़िलाफ़ काम कर रहा है. यह दूतावास इराक़ की जासूसी कर रहा है और यहां तोड़-फोड़ को बढ़ावा दे रहा है."
प्रदर्शनकारी कताइब हिज़्बुल्लाह और अन्य समूहों के झंडे लहराते हुए अमरीका विरोधी नारे लगा रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने अमरीकी दूतावास के परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था, सुरक्षा कैमरे तोड़ दिए थे और ख़ाली पड़ी सुरक्षा चौकियों में आग लगा दी थी. हालात तब और बिगड़ गए जब प्रदर्शनकारी दीवार फाँदकर दूतावास परिसर के अंदर जाने लगे.
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार एक गेट को तोड़ दर्ज़नों लोग परिसर के अंदर घुस गए थे. ये दूतावास की मुख्य इमारत की तरफ़ बढ़ने लगे थे. इसके बाद अमरीकी सेना ने आंसू गैस के गोले दागे ताकि भीड़ तितर-बितर हो सके. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार प्रदर्शनकारियों पर ग्रेनेड भी दागे गए थे.
कहा जा रहा है कि इराक़ी सैनिक और सुरक्षाबल बाद में यहाँ आए. ईरान समर्थित शिया सैन्य समूह द पॉप्युलर मोबिलाइज़ेशन के अनुसार 20 प्रदर्शनकारी ज़ख़्मी हुए थे.
किसका क्या है कहना?
विरोध प्रदर्शन शुरू होने के कुछ घंटे बाद इराक़ के प्रधानमंत्री अब्दुल महदी ने प्रदर्शनकारियों से अमरीकी दूतावास के आसपास से हटने के लिए कहा था. प्रधानमंत्री महदी ने कहा था, "यह चेतावनी है कि अगर दूतावासों पर किसी भी तरह का हमला हुआ और विदेशी प्रतिनिधियों का कोई नुक़सान पहुंचा तो ऐसा करने वालों को क़ानून के मुताबिक़ सज़ा मिलेगी."
कताइब हिज़्बुल्लाह अमरीका के निशाने पर क्यों है?
अमरीका का कहना है कि हिज़्बुल्लाह इराक़ में उसके सैन्य ठिकानों पर लगातार हमला करता रहा है. इराक़ में अमरीका के नेतृत्व में सहयोगी सुरक्षा बल अब भी इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ लड़ाई में लगे हुए हैं. हिज़्बुल्लाह के हमले की जवाबी कार्रवाई में ही रविवार को अमरीका ने उसके कई ठिकानों पर बमबारी की थी.
2009 से अमरीका ने कताइब हिज़्बुल्लाह को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. इसके साथ ही अबु महदी अल-मुहांदिस को वैश्विक आतंकवादी क़रार दिया है. अमरीका का कहना है कि यह संगठन इराक़ की स्थिरता और शांति के लिए ख़तरा है.
अमरीका के डिफेंस डिपार्टमेंट का कहना है कि कताइब हिज़्बुल्लाह का संबंध ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशन गार्ड कोर यानी आईआरजीसी के वैश्विक ऑपरेशन आर्म क़ुद्स फ़ोर्स से है और इसे ईरान से कई तरह की मदद मिलती है.