बिटक्वाइन का भाव एक ही दिन में एक तिहाई क्यों गिरा?
बिटक्वाइन के निवेशकों में अफ़रातफ़री, क्या आगे भी जारी रहेगी गिरावट?
क्रिप्टोकरेंसी यानी वर्चुअल मुद्रा बिटक्वाइन में निवेश करने वालों के लिए बीता शुक्रवार काफ़ी सदमे वाला रहा.
20 हज़ार डॉलर (क़रीब 13 लाख रुपये) की रिकॉर्ड क़ीमत छूने के बाद शुक्रवार को इसकी क़ीमत एक तिहाई तक गिर गई.
क्वाइनडेस्क एक्सचेंज साइट के मुताबिक, हाल के दिनों में बड़ी तेज़ी से चढ़ने वाली बिटक्वाइन का भाव पूरे दिन 11 हज़ार डॉलर रहा, हालांकि बाद में इसमें कुछ सुधार दिखा .
बाज़ार में भाव गिरने की जैसे ही ख़बर फैली, बिटक्वाइन का लेन-देन रोक देना पड़ा. बिटक्वाइन एक्सचेंज की सबसे बड़ी कंपनी क्वाइनबेस को दिन में दो बार तकनीकी कारणों का हवाला देकर लेन-देन रोकना पड़ा.
इसके अलावा अमरीकी एक्सचेंज कंपनी सीएमई और सीबीओई का कामकाज भी कुछ कुछ देर के लिए ठप पड़ गया.
बिटक्वाइन के लिए पिछले 12 महीने बहुत उत्साहजनक रहे हैं, जिसकी इस साल की शुरुआत में क़ीमत 1,000 डॉलर थी.
इसके भाव चढ़ने की रफ़्तार ने नवंबर में आसमान छू लिया था और इस दौरान बिटक्वाइन की क़ीमत दोगुनी हो गई थी.
इसकी वजह से भारी तादाद में निवेशक आकर्षित हुए थे.
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लॉ अफ़ ग्रैविटी
लेकिन पिछले रविवार से बिटक्वाइन की क़ीमत में गिरावट दर्ज की जा रही है और इसके भाव दिसम्बर के शुरुआती दिनों की ओर लौट रहे हैं.
न्यूयॉर्क के डाटाट्रैक रिसर्च के सह संस्थापक निकोलस ने बीबीसी को बताया, "ठीक इसी तरह, इस मुद्रा का व्यवहार है और जबसे इसकी शुरुआत रही है, ये ऐसा ही रहा है. इसमें उतार चढ़ाव की काफ़ी संभावना है और ऐसा भविष्य में भी बना रहेगा."
लंदन कैपिटल ग्रुप के शोध निदेशक जास्पर लॉवलर ने गार्जियन अखब़ार को दिए साक्षात्कार में कहा है, "पिछले 24 घंटे में बिटक्वाइन के निवेशकों को लॉ ऑफ़ ग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण के नियम का पता चल गया होगा. पुराने निवेशक इस उतार चढ़ाव से परिचित हैं, लेकिन इससे नए निवेशक डर कर दूर जा सकते हैं."
हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बिटक्वाइन में तेज़ी से उछाल और फिर गिरावट का आना निवेशकों पर निर्भर करता है और कई निवेशक इसी पल का इंतज़ार कर रहे थे.
दरअसल, कुछ विशेषज्ञों का मानना तो ये है कि पूरे साल में क़ीमतों में बढ़ोत्तरी को निवेशक खोना नहीं चाहते थे और बिटक्वाइन के भाव में आई गिरावट, शायद निवेशकों के इस निर्णय के कारण भी हुआ हो.
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लॉवलर के अनुसार, "रातों रात बिटक्वाइन की क़ीमतों में आए उछाल को बनाए रखने के लिए नए निवेशकों की ज़रूरत थी. ये एक वित्तीय बुलबुला था जिसे फ़ूलिश थ्योरी कहा जाता है जिसका मतलब है कि जब भी एक मूर्ख किसी कबाड़ को ऊंची क़ीमत पर ख़रीदने को राज़ी हो, आप महंगी क़ीमत पर दांव लगा सकते हैं. "
बिटक्वाइन ब्रोकर निकोलस चिंतित हैं कि शायद क़ीमतों में आई भारी गिरावट का कारण क्रिप्टोकरेंसी का अंदरूनी ढांचा हो.
पिछले कुछ सप्ताहों में, बिटक्वाइन के अंदर हैकिंग और मुद्रा की अंदरूनी ख़रीद फ़रोख़्त की ख़बर से बाज़ारों में अफ़तरा तफ़री का माहौल पहले से ही था.
और अब वित्तीय नियामक संस्थाएं भी अपनी उन चेतावनियों को सही ठहरा रही हैं, जिसमें निवेशकों को इस ग़ैरक़ानूनी मुद्रा से बच कर रहने की सलाह दी गई थी.
सबसे कड़ी टिप्पणी डेनमार्क के केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष की ओर से आई थी जिसमें उन्होंने इसे एक 'ख़तरनाक जुआ' क़रार दिया था.
इसी महीने की शुरुआत में ब्रिटेन के एक अग्रणी वित्तीय नियामक ने चेतावनी दी थी कि "जिन लोगों ने बिट क्वाइन में निवेश किया है, वो अब गंवाने के लिए तैयार हो जाएं."
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