किम जोंग उन ने नकली पासपोर्ट क्यों बनवाया?
उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन और उनके पिता किम जोंग-इल ने 1990 में ब्राज़ील के फ़र्जी पासपोर्ट हासिल किए थे, इसके सबूत मिले हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को उन दस्तावेज़ों की फ़ोटोकॉपी मिली है जिसमें किम जोंग-उन को जोसेफ पाग दिखाया गया है, जबकि पिता का नाम रिकार्डो और मां का नाम मार्सेला लिखा गया है.
उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन और उनके पिता किम जोंग-इल ने 1990 में ब्राज़ील के फ़र्जी पासपोर्ट हासिल किए थे, इसके सबूत मिले हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को उन दस्तावेज़ों की फ़ोटोकॉपी मिली है जिसमें किम जोंग-उन को जोसेफ पाग दिखाया गया है, जबकि पिता का नाम रिकार्डो और मां का नाम मार्सेला लिखा गया है.
किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल के पासपोर्ट में उनका नाम आईजोंग तकोई बताया गया है.
ब्राज़ील की एक सुरक्षा एजेंसी ने रॉयटर्स को बताया कि 1996 में चेक रिपब्लिक की राजधानी प्राग स्थित ब्राज़ील के दूतावास से जारी किए गए ये दस्तावेज़ देखने में बिल्कुल असली लगते हैं.
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सुरक्षा एजेंसी के एक अन्य सूत्र ने बताया कि इन दस्तावेज़ों का इस्तेमाल पश्चिमी देशों का वीज़ा हासिल करने के लिए किया गया था, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है कि क्या वीज़ा जारी किया गया या इसका उपयोग किया गया था.
लेकिन उत्तर कोरिया के सत्तारूढ़ परिवार को फ़र्जी दस्तावेज़ों की ज़रूरत क्यों पड़ी? और इसके लिए ब्राज़ील ही क्यों?
क्या ये सच में हुआ था?
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब ब्राज़ील के पासपोर्ट के साथ किम जोंग-उन के परिवार का नाम जुड़ा हो.
2011 में जापानी मीडिया ने अधिकारियों के हवाले से कहा कि, किम जोंग-उन अपने भाई जोंग-चुल के साथ ब्राज़ील के दस्तावेज़ों पर टोक्यो स्थित डिज़्नीलैंड गए थे.
जोंग-उन के सौतेले बड़े भाई जोंग-नम 2001 में फ़र्जी डोमिनिकन पासपोर्ट पर जापान में घुसते हुए पकड़े गए थे.
किम के लिए पासपोर्ट धोखे से पाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं होती. लेकिन उन्हें ऐसे पासपोर्ट की जरूरत ही क्यों पड़ी होगी?
किम जोंग के भाई की हत्या की क्या है कहानी
90 के दशक में उत्तर कोरिया को संरक्षण देने वाले सोवियत संघ का विघटन हो चुका था.
देश आंतरिक रूप से अकाल और तंगी से बेहाल था. अरबों डॉलर के विदेशी कर्ज में डूबा यह देश तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ चुका था.
पूरी दुनिया में शीत युद्ध के बाद की कूटनीति में उत्तर कोरिया के मित्रों की संख्या में लगातार कमी हो रही थी, इससे यहां के पासपोर्ट का सीमित उपयोग ही रह गया था.
इन सब के बावजूद ब्रिटिश सिक्योरिटी थिंक टैंक चैथम हाउस के उत्तर कोरिया विशेषज्ञ जॉन निल्सन राइट को अपने शासन के केवल दूसरे साल में किम जोंग-इल के फर्जी पासपोर्ट पर विदेश जाने के विचार पर हैरानी होती है.
डॉक्टर निल्सन राइट ने बीबीसी के न्यूज़रआवर कार्यक्रम में कहा, "वो ऐसा क्यों करना चाहेंगे? किम जुंग-इल को जोखिम उठाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, हम जानते हैं कि उन्होंने कई अवसरों पर मॉस्को और बीजिंग का दौरा किया था, लेकिन बहुत संभव है कि उसके लिए उन्हें पासपोर्ट की ज़रूरत नहीं पड़ी होगी."
वो कहते हैं, "इससे यह लगता है कि शायद यह उनके और उनके बेटे के उत्तर कोरिया से संभावित रूप से बच कर निकलने का रास्ता बनाने का प्रयास होगा. यह बहुत ही आश्चर्यजनक होगा."
लेकिन ब्राज़ील के पासपोर्ट ही क्यों- क्या यह सच है कि यह दगाबाज़ों की पसंदीदा जगह है.
उन्होंने कहा, "वहां को लेकर एक स्थिति यह थी कि हम वहां अधिक सुरक्षित रहेंगे."
ब्राज़ील ही क्यों?
ब्राज़ील के एक अधिकारी ने 2011 में अल-जज़ीरा के एक पत्रकार को कहा था, "ब्राज़ील की असमान आबादी की वजह से यह एक आम धारणा है कि इस धरती पर कोई भी उचित तौर पर ब्राज़ील से होने का दावा कर सकता है और यही कारण है कि यहां के पासपोर्ट की बड़ी मांग है."
हालांकि, यह दावा आज भी सही है, इसकी पुष्टि के लिए बहुत अधिक डेटा उपलब्ध नहीं हैं. 2015 में वोकैतिव के 'बहुत महंगे और इसलिए अत्यधिक पसंदीदा' के सर्वे में ब्राज़ील को जगह नहीं मिली. डार्क वेब पर जाली पासपोर्ट मौजूद हैं.
1990 के दशक में, हालांकि कहानी अलग थी.
ब्राज़ील की सरकार खुद यह मानती है कि 2006 में बड़े पैमाने पर सुरक्षा फीचर्स के लाए जाने से पहले ब्राज़ील के जाली पासपोर्ट बनाना बहुत आसान था.
किम आसानी से इसे पाने में सफल भी हो गए होंगे क्योंकि ब्राज़ील में बड़ी संख्या में पूर्वी एशियाई मूल के लोग रहते हैं.
यह भी दिलचस्प है कि पासपोर्ट चेक रिपब्लिक में ब्राज़ील दूतावास में जारी किया गया था.
1950-53 के विनाशकारी कोरियाई युद्ध के बाद उत्तर कोरिया में तेज़ विकास और पुनर्निमाण के दौर में उत्तर कोरिया और चेकोस्लोवाकिया के बीच आर्थिक और सहकारी संबंध विकसित हुए थे.
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