‘द ग्रेट गैम्बलर’ स्टेनली को चीन ने क्यों कहा देशभक्त? मकाउ कैसे बना जुआरियों का स्वर्ग?
जुआरियों का स्वर्ग है मकाउ। कसीनो कैपिटल है मकाउ। मकाऊ चीन का एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है। मकाउ के द ग्रेट गैम्बलर स्टेनली हो हूंग सून का हाल ही में निधन हुआ है। पूरे चीन में जुआ गैरकानूनी है। सिर्फ मकाउ में ही यह वैध है। जब स्टेनली हो का निधन हुआ तो चीन की सरकार ने उसे एक देशभक्त उद्यमी करार दिया। चीन की साम्यवादी सरकार मकाउ की पूंजीवादी व्यवस्था से मालामाल होती रही है। मकाउ के कुल राजस्व का 80 फीसदी हिस्सा जुआघरों से आता है। इस कसीनो कैपिटल में जुआ खेलने वाले दो तिहाई लोग चीन के ही होते हैं। चीनियों ने जुआ खेल कर खूब दौलत बनायी है। कोरोना संकट के समय जब मेनलैंड चाइना से मकाउ आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था तो इसके राजस्व में 97 फीसदी की गिरावट आ गयी थी। जुआ ही मकाउ की अर्थव्यवस्था की जान है। जुआ के बल पर ही यह दुनिया के सबसे धनी शहरों में एक है। मकाउ पर्ल नदी के डेल्टा के पश्चिम में है। मकाउ के उत्तर में चीन का ग्वांगडोंग प्रांत है। पूरब और दक्षिण में दक्षिण चीन सागर है। सामरिक रूप से इसकी भौगोलिक स्थिति चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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कौन है स्टेनली हो?
मकाउ पहले पुर्तगाल का उपनिवेश था। यहां का शासन पुर्तगाल से संचालित होता था। 1944 तक पुर्तगाल दूसरे विश्वयुद्ध में शामिल नहीं हुआ था इसलिए उस समय मकाउ एक तटस्थ क्षेत्र था। महायुद्ध के दौरान जब जापान ने हांगकांग पर हमला कर दिया तो वहां से कई लोग भाग कर मकाउ आ गये थे। तटस्थ होने के कारण जापान ने मकाउ पर हमला नहीं किया। स्टेनली हो भी उसी समय हांगकांग से भाग कर मकाउ आये थे। तब स्टेनली की उम्र 20 साल थी। स्टेनली ने अपने एक प्रभावशाली रिश्तेदार रॉबर्ट होतुंग की मदद से मकाउ में खुद को स्थापित किया। माकउ का सप्लाई चेन समुद्री मार्ग पर निर्भर था। अनाज, फल, सब्जी और जरूरत की दूसरी चीजों की आपूर्ति जहाजों से होती थी। लेकिन उस समय आसपास के समुद्री इलाकों पर जापान का कब्जा हो गयी था। मकाउ में फूड सप्लाई को जारी रखने के लिए पुर्तगाल और जापान के बीच एक कोऑपरेटिव कंपनी बनायी गयी। स्टेनली हो अपने रिश्तेदार के प्रभाव से इस कंपनी के बड़े मुलाजिम हो गये। युद्ध के समय यूरोप और एशिया में खाद्यान्न की बहुत मांग थी। इस स्थिति का स्टेनली ने बहुत फायदा उठाया। उसने मकाउ में खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करने के दौरान खूब पैसा बनाया।
स्टेनली ने मकाउ को बनाया कसीनो कैपिटल
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद स्टेनली ने मकाउ में एक किरासन तेल बनाने की फैक्ट्री डाल दी। तब तक उसके पुर्तगाली सरकार से बेहतर संबंध हो गये थे। 1961 में उसे जुआघर खोलने का एकाधिकार मिल गया। इसके बाद उसने मकाउ में जुआघरों का जाल बिछा दिया। उसने बीस कसीनो खोले जो मकाउ के 10 वर्गकिलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं। स्टेनली की बदौलत मकाउ में गैम्बलिंग को इंडरस्ट्री का दर्जा मिल गया। स्टेनली इतना वाकपटु था कि उसने सन 2000 में रहस्यमयी उत्तर कोरिया तक में कसीनो शुरू कर दिया था। 1999 में पुर्तगाल ने मकाउ को चीन को सौंप दिया। पुर्तगाल और चीन के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत 2049 तक मकाउ को एक स्वायत्त क्षेत्र बनाये रखना है। मकाउ की विदेश नीति और रक्षा की जिम्मेवारी चीन पर है। शासन व्यवस्था पर मकाउ का अपना अधिकार है। लेकिन चीन विशेष परिस्थियों में यहां के लिए अगर से कानून बना सकता है। 2001 में चीन ने एक कानून बना कर जुआघरों पर स्टेनली के एकाधिकार को खत्म कर दिया था। इसके बाद मकाउ में विदेशी निवेशकों के लिए द्वार खोल दिये थे। फिर तो जुआघर मकाउ की जान और पहचान बन गये।
जुए से मकाउ में पैसों की बरसात
अगर हम किसी देश के कुल धन को वहां जनसंख्या से भाग दें तो उसके हिसाब से मकाउ आज दुनिया का तीसरा सबसे धनी देश (अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र) है। अगर लोगों की खरीदारी क्षमता के हिसाब से बात करें तो मकाउ दुनिया का दूसरा सबसे धनी देश (अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र) है। मकाउ के जुआघर सालाना 24 बिलियन डॉलर का कारोबार करते हैं। चूंकि मकाउ में वीजा नियम बहुत उदार हैं इसलिए दुनिया भर के लोग यहां जुआ खेलने आते हैं। विदेशी जब मकाऊ पहुंचते हैं तब उन्हें वीजा का ऑफर दिया जाता है।। उन्हें भागदौड़ भी नहीं करनी पड़ती। कसीनो बढ़े तो यहां सेक्स टूरिज्म भी बढ़ा। इससे मकाउ का पर्यटन उद्योग भी बहुत विकसित हुआ है।
भारत और मकाउ
मकाउ ने भारतीय लोगों को वीजा की औपचारिकता से मुक्त कर दिया है। भारत के लोग यहां बिना वीजा के ही आ सकते हैं और 30 दिनों तक रुक सकते हैं। इस सुविधा की वजह से बड़ी संख्या में भारतीय जुआ खेलने के लिए मकाउ आते हैं। वैसे तो मकाउ में 35 कसीनो हैं लेकिन उनकी पसंदीदा जगह है वेनेशियन मकाओ । वैनिशियन मकाओ एक 40 मंजिला होटल और कसीनो रिसोर्ट का नाम है। यह इतना बड़ा है कि इसमें दस फुटबॉल मैदान समा सकते हैं। यह कसीनो अमेरिकी कंपनी का है। भारतीय धनकुबेर यहां जुआ खेलने और मौज मस्ती के लिए जाते हैं। 2010 मकाउ जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 1.69 लाख थी। 2009 में यहां इंटरनेशनल इंडियन फिल्म अवार्ड्स समारोह हुआ था। इसके बाद मकाउ भारतीय फिल्मी सितारों और धनपतियों के लिए पसंदीदा जगह बन गया है। भारत में केवल गोवा और सिक्किम में ही जुआ खेलना वैध है। यहां भी कसीनो हैं लेकिन इनकी तुलना मकाउ से नहीं की जा सकती। मकाउ, जुआ खेलने के लिए दुनिया में सबसे सुरक्षित जगह है। लेकिन कोरोना संकट और चीन के साथ तनाव के बाद भारतीयों का मकाउ जाना बंद हो गया है।