कश्मीर पर चीन ने क्यों बदला अपना बयान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान चीन के दौरे पर हैं और चीन की तरफ़ से कश्मीर पर जो बयान आया है वो पाकिस्तान को ख़ुशी देने लायक नहीं है. चीन के विदेश मंत्रालय का कश्मीर पर बयान पहले के बिल्कुल उलट है. हाल ही में चीन ने कहा कि था कि कश्मीर समस्या का समाधान यूएन चार्टर और उसके प्रस्तावों के तहत होना चाहिए
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान चीन के दौरे पर हैं और चीन की तरफ़ से कश्मीर पर जो बयान आया है वो पाकिस्तान को ख़ुशी देने लायक नहीं है.
चीन के विदेश मंत्रालय का कश्मीर पर बयान पहले के बिल्कुल उलट है. हाल ही में चीन ने कहा कि था कि कश्मीर समस्या का समाधान यूएन चार्टर और उसके प्रस्तावों के तहत होना चाहिए लेकिन अब चीन ने कहा है कि कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय संवाद के ज़रिए समाधान की तलाश करें.
चीनी विदेश मंत्रालय से मंगलवार को पत्रकारों ने सवाल पूछा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का चीन दौरा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के ठीक पहले हुआ है. क्या इन दोनों का आपस में कोई ताल्लुक है? पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इस मुलाक़ात में कश्मीर का भी मुद्दाउठाएंगे. आप क्या कहते हैं?
चीनी विदेश मंत्रालय की नियमित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, "कश्मीर मुद्दे पर चीन के रुख़ में कोई परिवर्तन नहीं आया है. हमारा रुख़ बिल्कुल स्पष्ट है. हमारा भारत और पाकिस्तान से कहना है कि वो कश्मीर के साथ बाक़ी अन्य विवादों को द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिए सुलझाए. इससे दोनों देशों के बीच आपसी भरोसा बढ़ेगा और उनके रिश्ते सुधरेंगे. इससे भारत और पाकिस्तान दोनों की ही समस्याएं हल होंगी."
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 11 और 12 अक्टूबर को दो दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं. इससे पहले चीन ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी करने पर कहा था कि भारत जम्मू-कश्मीर की यथास्थिति से कोई छेड़छाड़ नहीं करे. पाकिस्तान इस मामले को संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में ले गया तो वहां भी चीन का समर्थन मिला था.
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इतना ही नहीं अभी कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान में चीन के राजदूत याओ जिंग ने कहा था कि कश्मीर विवाद पर चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा.
याओ जिंग ने ये भी कहा था कि 'हम कश्मीरियों को उनके मौलिक अधिकार और इंसाफ़ दिलाने की कोशिश कर रहे हैं." लेकिन चीन अब कह रहा है कि भारत और पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिए सुलझाएं.
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एक अन्य सवाल के गेंग शुआंग ने पाकिस्तान को चीन का 'अहम रणनीतिक सहयोगी' बताया और कहा है कि दोनों देशों के नेताओं में क़रीबी बातचीत की परंपरा रही है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ हमारा रणनीतिक और आपसी भरोसा मज़बूत और व्यावहारिक है. वहीं भारत को भी गेंग शुआंग ने चीन का महत्वपूर्ण पड़ोसी बताया.
उन्होंने कहा, "भारत और चीन दोनों विकासशील देश हैं. दोनों ही उभरते हुए बड़े बाज़ार हैं. पिछले साल वुहान में भारत और चीन के बीच शुरू हुई वार्ता से रिश्तों ने अच्छी लय पकड़ी है. दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग के साथ आगे बढ़ रहे हैं और मतभेदों को संवेदनशीलता के साथ संभाल रहे हैं."
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के दौरे के बारे में पूछे जाने पर गेंग शुआंग ने कहा, "प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का दौरा चीन के लिए बहुत मायने रखता है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री ली केचियांग और चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेता ले जांग शू इमरान ख़ान से बातचीत करेंगे. इस दौरान दोनों पक्षों में आपसी हितों के मुद्दों पर विस्तार से द्विपक्षीय बातचीत होगी.
गेंग शुआंग ने बताया, "भारत और चीन के संबंधित विभाग दोनों पक्षों के सहयोग के लिए ज़रूरी समझौतों पर हस्ताक्षर भी करेंगे."
चीनी विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक़ इमरान ख़ान इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर एग्ज़िबिशन के सपामन समारोह में भी हिस्सा लेंगे. इस बीच भारत में चीन के राजदूत सुन वेइडॉन्ग ने ट्वीट करके विजय दशमी की बधाई भी दी.
Greetings of #VijayaDashami! May all the obstacles get removed from your path and all your wishes come true!
— Sun Weidong (@China_Amb_India) 8 October 2019
एक अन्य ट्वीट में वेइडॉन्ग ने पंचशील सिद्धांत का ज़िक्र करते हुए लिखा, "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता के माहौल में भारत और चीन को अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर आपसी सहयोग मज़बूत करना चाहिए. ठीक उसी तरह जैसे हमने कभी एक साथ पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किया था. वही पंचशील सिद्धांत, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों की बुनियाद बन चुका है."
कश्मीर पर चीन की ओर से भारत को सबसे ज़्यादा असहज करने वाला बयान पाकिस्तान में चीन के राजदूत का ही रहा है. अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भारत ने इसे लेकर शनिवार को चीन के समक्ष कड़ी आपत्ति जताई थी.
With growing uncertainty in the international situation, China and India should strengthen cooperation on international and regional affairs, just as we once jointly advocated the Five Principles of Peaceful Coexistence, which have become basic norms of international relations.
— Sun Weidong (@China_Amb_India) 9 October 2019