क्यों बेजांमिन नेतन्याहू ने इजरायल को घोषित किया 'यहूदी राष्ट्र'?
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येरूशलम। इजरायल को यहूदी लोगों का राष्ट्र घोषित किया जाए, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी पार्टी की बहुत पुरानी मांग थी, जो अब पूरी हो चुकी है। इजरायल की संसद सीनेट ने बुधवार शाम को एक विवादस्पद बिल पास कर इजरायल को 'यहूदी राष्ट्र' घोषित कर दिया। बेंजामिन की राइट विंग लिकुड पार्टी ने इस बिल के पास होने पर जश्न मनाया है, वहीं इजरायल की सेंट्रिस्ट और लेफ्टिस्ट पार्टियों ने इसे अलोकतांत्रिक और भेदभाव को बढ़ावा देने वाली हरकत बताया है। इजरायल की सरकार ने 1948 के उस संविधान को बदला है, जिसके डिक्लेरेशन में इजरायल की जनता को बिना किसी भेदभाव के सामाजिक और राजनीतिक समानता का अधिकार देता है।
यह नया बिल यहूदी समुदायों के विकास को बढ़ावा देता है। यह बिल संभवतः उन लोगों की सहायता करता है जो भेदभावपूर्ण भूमि-आवंटन नीतियों को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा। हालांकि, जब से इजरायल अस्तित्व में आया है, तभी से यहूदी राष्ट्र और डेमोक्रेटिक राष्ट्र को लेकर बहस होती रही है। इस बिल के बाद अब इजरायल में यहूदी ही सर्वोपरी और उनकी मांग ही सर्वोत्तम होगी। इजरायल में अल्पसंख्यकों के लिए यह बिल बहुत ही खतरनाक है, जिसकी कई यूरोपीय उदारवादी लोकतांत्रिक देशों ने आलोचना की है।
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इस बिल को लाकर बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल में कट्टर राष्ट्रवादियों के प्रदर्शनों का बढ़ावा देने का काम किया है। यूरोप और एशिया के कई देशों में इस प्रकार के कट्टर राष्ट्रवादी और लोकप्रीय आंदोलनों को यह इजरायल का यह बिल उकसाने का काम करेगा। विरोधी इजरायल के इस बिल को हंगरी की तरह एक संकुचित और अनुदार लोकतंत्र को गले लगाना मान रहे हैं।
नेतन्याहू
ने
क्यो
लाया
यह
बिल
इस
बिल
को
लाने
का
सबसे
बड़ा
कारण
इस
साल
होने
वाले
चुनाव
में
फायदा
उठाना
है।
बेंजामिन
नेतन्याहू
अपने
ऊपर
लगे
भ्रष्टाचार
के
आरोपों
से
दूर
होकर
चुनाव
में
एक
बार
फिर
अपनी
जीत
की
आस
लगाकर
बैठे
हैं।
यह
बिल
स्पष्ट
रूप
से
फिलिस्तीनी
नागरिकों
के
लिए
कठोर
और
भेदभाव
की
घोषणा
करता
है।
इस
बिल
के
पास
होने
के
बाद
इजरायल
के
प्रधानमंत्री
ने
कहा,
'इजरायल
यहूदी
लोगों
का
देश
है
और
सभी
लोगों
के
अधिकारों
का
सम्मान
करता
है।
'लोकतंत्र
के
लिए
जहर
की
दवा'
इस
बिल
के
पास
होने
के
बाद
सीनेट
मे
अरब
सासंदों
ने
इसका
विरोध
किया
और
बिल
की
कॉपियां
फाड़ी।
विपक्ष
ने
कहा
कि
भविष्य
में
यह
बिल
इजरायल
की
अस्तित्व
के
लिए
खतरा
बनेगा
और
देश
में
यहूदी
बहुसंख्यकों
और
अरब
अल्पसंख्यकों
के
बीच
तनाव
पैदा
होगा।
इजरायल
की
21
फिसदी
आबादी
अरब
अल्पसंख्यकों
की
है।
इजरायल
की
सीनेट
में
कुल
13
अरब
सासंद
हैं,
जो
पार्लियामेंट
की
तीसरी
सबसे
बड़ी
पार्टी
है।
इस
बिल
के
पास
होने
के
बाद
वरिष्ठ
अरब
नेता
अहमद
तिबी
ने
'लोकतंत्र
का
खात्मा'
बताया
है।
वहीं,
मध्यमार्गी
(सेंट्रिस्ट)
नेता
येश
अतिब
ने
इस
बिल
को
'लोकतंत्र
के
लिए
जहर
की
दवा'
कहा
है।
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