जेहादियों के लिए सुरक्षित जगह में तब्दील हो गया है ब्रसेल्स
ब्रसेल्स। मंगलवार को ब्रसेल्स में हुए आतंकी हमले इस बात का सुबूत हैं कि जो लोग आतंकी संगठन आईएसआईएस को कमजोर मानने लगे हैं, वे अब अपनी सोच को बदल लें।
13 नवंबर 2015 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुए आतंकी हमलेों की ही तरह ये हमले भी नींद से जगाने को काफी हैं। पेरिस आतंकी हमलों के बाद पूरा बेल्जियम हाई अलर्ट पर था क्योंकि पेरिस के गुनाहगार यहीं पर मौजूद थे।
अलर्ट्स के बाद भी लापरवाही
पेरिस में हुए आतंकी हमलों के बाद ब्रसेल्स में लगातार अलर्ट्स जारी किए गए लेकिन बेल्जियम की सरकार लापरवाह रही। मंगलवार को हुए हमले उसकी लापरवाही का नतीजा हैं।
बेल्जियम की सरकार और इसकी लापरवाही के चलते यूरोप का यह देश आज जेहादियों के लिए सुरक्षित स्थान में तब्दील हो गया है।
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ब्रसेल्स में हुए आतंकी हमले पेरिस आतंकी हमलों के मास्टर माइंड सालेह अब्देसलम की गिरफ्तारी के चार दिनों बाद हुए हैं।
अब्देसलम ने पुलिस को पूछताछ में बताया था कि उसने आईएसआईएस के आतंकी के साथ मिलकर एक स्पोर्ट्स स्टेडियम को उड़ाने की साजिश रची थी। लेकिन बाद में उसने अपना इरादा बदल लिया।
बेल्जियम में रची गई थी पेरिस की साजिश
पेरिस में हुए आतंकी हमलों की साजिश बेल्जियम में रची गई थी और आतंकियों से आतंकी हमलों की तैयारियों के संबंध में कई सवाल पूछे गए थे।
विशेषज्ञों की मानें जो बेल्जियम आतंकवाद पर काफी लचर रुख अपनाता आया है। इसी वजह से आज यह आतंकियों की फेवरिट डेस्टिनेशन बन गया है।
ब्रसेल्स में आतंकी हमलों से सहमा यूरोप
अल कायदा के नेटवर्क वाला पहला यूरोपीय देश
बेल्जियम में आतंकी गतिविधियां कोई नई बात नहीं है और यूरोप का यह देश अमेरिका में हुए 9/11 हमलों के बाद भी चर्चा में था। बेल्जियम में इन हमलों से पहले तालिबान के विरोधी अहमद मसूद को दो लोगों ने मार गिराया था।
इन दोनों लोगों के पास बेल्जियम का ही पासपोर्ट था। इसके बाद जब जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि अल कायदा ने यहां पर अपना एक मजबूत नेटवर्क स्थापित कर लिया था।
बेल्जियम यूरोप का पहला देश था जहां पर अल कायदा का मजबूत नेटवर्क होने के सुबूत मिले थे।
वहाबिज्म का प्रभाव
वहाबी संस्कृति के प्रसार और प्रचार को लेकर बेल्जियम को कई तरह की चेतावनियां दी गई थीं। लेकिन हर बार इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया गया।
आज बेल्जियम में वहाबी संस्कृति का बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वहाबी से जुड़े धार्मिक नेता स्थानीय नहीं है बल्कि 80 प्रतिशत धार्मिक नेताओं को बाहर के देशों से लाया गया है।
बेल्जियम के 250 नागरिक पहुंचे सीरिया
बताते हैं कि इन नेताओं को सऊदी अरब की ओर से समर्थन मिला और ब्रसेल्स की बड़ी मस्जिद में पनाह मिली।
इसके बाद देश में बड़े पैमाने पर चरमपंथ का फैलाव होने लगा। युवाओं का आतंकवाद के लिए आकर्षित करने के मकसद से जिस काम को शुरू किया गया उसकी वजह से बेल्जियम के 250 नागरिकों ने सीरिया और इराक जाकर आईएसआईएस को ज्वॉइन किया।
यूरोप की सड़कों पर तबाही को तैयार आईएसआईएस
आतंकियों को सबसे ज्यादा सैलरी
बेल्जियम, यूरोप का वह देश बना जहां पर आईएसआईएस लड़ाकों को सबसे ज्यादा सैलरी दी गई। इंटेलीजेंस एजेंसियां 1000 लोगों पर नजर रख रही हैं।
बेल्जियम का मुसलमान समुदाय एक ऐसा समुदाय बन गया है जिसे कभी भी जनगणना में शामिल नहीं किया गया है।ऐसे में सरकार इस समुदाय के नेताओं के साथ मिलकर काम करने में मुश्किलें महसूस करती है।
इसके अलावा बेल्जियम की सरकार की जटिल ढांचा भी पुलिस और इंटेलीजेंस एजेंसी के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान को मुश्किल बना दिया है।