सऊदी क्राउन प्रिंस के टेक सिटी प्रोजेक्ट का विरोध क्यों कर रहे कबीले?
लंदन में रह रहीं एक सऊदी ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं. उनका मानना है कि उन्हें धमकी देने वाले लोग क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के समर्थक हैं. अल्या अबूताया अलवैती ने बीबीसी को बताया कि उन्हें फ़ोन और ट्विटर पर धमकियां मिल रही थीं. उन्होंने कहा कि सऊदी सरकार की योजना है कि
लंदन में रह रहीं एक सऊदी ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं. उनका मानना है कि उन्हें धमकी देने वाले लोग क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के समर्थक हैं.
अल्या अबूताया अलवैती ने बीबीसी को बताया कि उन्हें फ़ोन और ट्विटर पर धमकियां मिल रही थीं. उन्होंने कहा कि सऊदी सरकार की योजना है कि उनके कबीले के लोगों को हटाकर 21वीं सदी के एक हाई-टेक शहर को बसाने का रास्ता साफ़ किया जाए.
लाल सागर के किनारे इस शहर को बसाने की योजना है. वह बताती हैं कि इस बारे में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में जागरूकता फैलाने की कोशिश की और इसके बाद से ही उन्हें धमकियां मिलने लगीं.
सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी जैसा हाल करने की धमकी
अलवैती बताती हैं कि एक कॉल में उन्हें धमकी देते हुए कहा गया, 'हम तुम्हें लंदन में ढूंढ लेंगे. तुम्हें क्या लगता है कि तुम यहां सुरक्षित हो, लेकिन ऐसा नहीं है.'
अलवैती ने कहा कि उन्हें यह भी धमकी दी गई उन्हें 'उसी तरह के अंजाम के लिए तैयार रहना चाहिए जो सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी का हुआ.' उन्होंने इन धमकियों की जानकारी ब्रिटिश पुलिस को दे दी है.
पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी सऊदी मूल के पत्रकार थे. वह क्राउन प्रिंस सलमान के बड़े आलोचकों में से एक थे. 2018 में तुर्की के इस्तांबुल में सऊदी उच्चायोग में सऊदी एजेंट्स ने उनकी हत्या कर दी और उनके शव को टुकड़ों में काटकर उसे ठिकाने लगा दिया.
पश्चिमी ख़ुफ़िया एजेंसियों का मानना है कि पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या क्राउन प्रिंस के आदेश पर की गई थी. हालांकि, सऊदी सरकार ने इस तरह के आरोपों को ख़ारिज कर दिया था.
वीडियो सामने आने से मामले ने पकड़ा तूल
13 अप्रैल को अब्दुल रहीम अल-हुवैती ने एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया. इसमें दुनिया को अलर्ट करते हुए कहा गया कि सऊदी सुरक्षा बल उन्हें और उनके हुवैत कबीले के अन्य सदस्यों को उनके ऐतिहासिक मूल-स्थान से हटा रहे हैं ताकि नियोम नामक एक नए शहर को विकसित किया जा सके. यह इलाक़ा देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में मौजूद है.
अल्या अलवैती भी इसी कबीले से आती हैं. उन्होंने इस वीडियो को सर्कुलेट किया.
विरोध करने वाले अल-हुवैती की हुई हत्या
इस वीडियो में अब्दुल रहीम अल-हुवैती सरकार के उन्हें विस्थापित किए जाने के आदेश को मानने से इनकार कर रहे हैं. वह कह रहे हैं कि उन्हें लग रहा है कि अधिकारी उनके घर पर हथियार रख सकते हैं ताकि उन्हें अपराधी साबित किया जा सके.
बाद में सऊदी सुरक्षा बलों ने उनकी हत्या कर दी.
स्टेट सिक्योरिटी ने एक बयान जारी कर उनकी मौत की पुष्टि की. इस बयान में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सुरक्षा बलों पर फ़ायर किया जिसके बाद उन्हें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी.
अलवैती ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है. उन्होंने कहा है कि अब्दुल रहीम अल-हुवैती के पास कोई हथियार नहीं था.
बुधवार को उन्होंने अल-खुरैबा गांव के पास हुए फ्यूनरल कार्यक्रम के फ़ोटोग्राफ़्स और वीडियो फ़ुटेज पोस्ट किए. सऊदी सिक्योरिटी गार्ड्स की मौजूदगी के बावजूद इस कार्यक्रम में काफी लोग इकट्ठा हुए थे.
टीई लॉरेंस की आत्मकथा में कबीले का ज़िक्र
हुवैतात एक गर्वीला, प्राचीन और पारंपरिक रूप से घुमंतू बेदुइन कबीला है. इस कबीले के लोग सऊदी-जॉर्डन सीमा के दोनों तरफ़ सैकड़ों सालों से रह रहे हैं.
यह कबीला इतिहास में एक निर्भीक योद्धाओं के लिए जाना जाता है. ये लोग 1917 के अरब विद्रोह के वक्त टी ई लॉरेंस के साथ लड़ाई में शामिल हुए थे. लॉरेंस ने अपनी ऐतिहासिक आत्मकथा सेवन पिलर्स ऑफ़ विज़्डम में इनका जिक्र किया है.
अपनी आयु के 20वें दशक में मैंने उनके साथ रहते हुए कई हफ़्ते गुज़ारे. हम जॉर्डन के वादी रम के पूर्व में मौजूद रेगिस्तान में रहे. यह पारंपरिक तरीके से जीवन जीने की झलक देखने जैसा था जो कि तेजी से लुप्त होती जा रही है.
आज इस कबीले के ज्यादातर लोग रेगिस्तान की घुमंतू ज़िंदगी को छोड़ चुके हैं और अब ये घरों और गांवों में रहने लगे हैं.
अलवैती कहती हैं, 'ये नियोम बनाने के ख़िलाफ़ नहीं हैं. वे केवल उस जगह से ज़बरदस्ती विस्थापित नहीं होना चाहते हैं जहां पीढ़ियों से उनके परिवार रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि अपने घरों से हटाए जाने के आदेश का विरोध करने के चलते अब्दुल रहीम अल-हुवैती के आठ चचेरे भाइयों को गिरफ़्तार कर लिया गया था. लेकिन, पश्चिमी देशों के ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स के साथ उन्हें उम्मीद है कि वे सऊदी सरकार पर कानूनी दबाव बढ़ाने में कामयाब होंगे.
प्रिंस सलमान का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट
विरोध-प्रदर्शन करने वाले अब्दुल रहीम अल-हुवैती की हत्या क्राउन प्रिंस मुहम्मद सलमान के भविष्य का शहर बसाने की महत्वाकांक्षी योजना के रास्ते में आई कोई पहली समस्या नहीं है. प्रिंस सलमान सउदी अरब की तेल की कमाई पर निर्भरता को कम करना चाहते हैं.
जमाल ख़शोगी की हत्या से सऊदी अरब को लेकर अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा हिल गया था. साथ ही इससे प्रिंस को लेकर भी संदेह पैदा हो गया था जिन्हें देश का निर्विवाद रूप से अगला शासक माना जाता है.
ऑयल इकोनॉमी पर निर्भरता ख़त्म करना मकसद
कोरोना वायरस की महामारी ने ग्लोबल इकोनॉमी को बड़ी मुश्किल में डाल दिया है. साथ ही तेल की कीमतें अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गई हैं.
अगर अगले कुछ वक्त में इसमें बड़ी रिकवरी नहीं हुई तो रियाद के लिए इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग जुटाने में मुश्किलें आने लगेंगी. इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 500 अरब डॉलर है.
नियोम क्राउन प्रिंस के दूरगामी विजन 2030 का हिस्सा है. इसके जरिए वह सउदी अरब में ऑयल सेक्टर के बाहर दूसरे सेक्टरों में बड़ी नौकरियां पैदा करना चाहते हैं.
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— NEOM (@NEOM) December 4, 2019
आधिकारिक तौर पर यह प्रोजेक्ट अभी भी ट्रैक पर है. रविवार को जारी हुई एक प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, 'काम चल रहा है. प्रोजेक्ट शेड्यूल के हिसाब से आगे बढ़ रहा है और हम 2023 तक नियोम के पहले शहरों को बसाने की ओर आगे बढ़ रहे हैं.'
इसमें कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट्स दिए जा रहे हैं. इनमें तीन रेजिडेंशियल एरियाज हैं जिनमें 30,000 लोगों के रहने की जगह होगी.
एक सऊदी मंत्री ने कहा, 'यह हमारा बेहद महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. हमें इसे पूरा करना है.'
लेकिन, लोगों को उनके घरों से जबरदस्ती विस्थापित करना, एक विरोध प्रदर्शन करने वाले की हत्य और धमकियां शायद ही ऐसे किसी भी प्रोजेक्ट को लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत में भरोसा कायम कर पाएं. कुछ लोगों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर अब शायद एक गंभीर सवालिया निशान खड़ा हो गया है.