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पाकिस्तान के सोढ़ा राजपूत क्यों है भारत पर निर्भर?

पाकिस्तान के उमरकोट और थारपारकर में सोढ़ा राजपूतों के हज़ारों परिवार रहते हैं. पर सिंध के कुछ इलाक़ों में काफ़ी प्रभावशाली ये समुदाय अपने अस्तित्व के लिए भारत पर क्यों निर्भर है?

By BBC News हिन्दी
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सोढ़ा राजपूत
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सोढ़ा राजपूत

"मैं मजबूर था. जब अंतिम वीडियो मेरे सामने आया तो मैं उस वक़्त ख़ूब रोया था. सिर्फ एक हफ़्ते का ही वीज़ा मिल जाता, तो भी कम से कम जाकर अपनी मां को देख लेता, लेकिन मैं नहीं जा सका."

ये उमरकोट के गनपत सिंह सोढ़ा के शब्द हैं, जो कैंसर से बीमार अपनी मां की मौत से पहले के हालात का जिक्र करते हुए फूट-फूट कर रो पड़े.

गनपत सिंह का लगभग पूरा परिवार भारत के राजस्थान में रहता है, जबकि उनको विरासत में मिली ज़मीन पाकिस्तान के उमरकोट इलाक़े में है. वो हिंदू राजपूतों की जनजाति सोढ़ा से ताल्लुक रखते हैं.

पाकिस्तान में भारतीय सीमा से लगते उमरकोट, थारपारकर और सांघार इलाक़ों में सोढ़ा हिंदू राजपूतों के हज़ारों परिवार रहते हैं. यह समुदाय अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के चलते अपने ही क़बीले के दूसरे हिंदुओं से शादी नहीं कर सकता.

यही वजह है कि भारत विभाजन के बाद से इस समुदाय के लोग अपने बच्चों के लिए रिश्ते की तलाश में भारत की दूसरे राजपूत समूहों के पास जाते हैं.

गनपत ने भारत में राजस्थान के जोधपुर जिले में शादी की, जहां उनकी बीवी और पांच बच्चे रहते हैं. उनकी मां और एक भाई भी कई साल पहले भारत में बस गए थे. गनपत अपने परिवार के इकलौते सदस्य हैं, जिन्होंने उमरकोट में अपनी पुश्तैनी जमीन की जिम्मदारी संभालने के चलते पाकिस्तान नहीं छोड़ा.

गनपत
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गनपत

वो आख़िरी बार 2017 में अपने परिवार से मिलने भारत आए थे. इस दौरान वह अपने एक दिवंगत भाई के बच्चों के लिए रिश्ते भी तलाश रहे थे. इस काम में वक़्त लगा तो उन्होंने जोधपुर में फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) से अपने वीज़ा की अवधि बढ़वा ली.

बाद में पाकिस्तान लौटने के बाद जब उन्होंने फिर से वीज़ा के लिए आवेदन किया, तो इसे खारिज़ कर दिया गया. गनपत के मुताबिक़, जानकारी हासिल करने पर बताया गया कि तय समय से ज्यादा रुकने की वजह से उनका नाम 'ब्लैकलिस्ट' में डाल दिया गया.

पिछले साल उनकी कैंसर से पीड़ित मां ने भारतीय अधिकारियों से मानवीय आधार पर उनके बेटे को वीज़ा देने के लिए कई वीडियो अपील की, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. फिर उनकी मां की मौत हो गई और गनपत उनसे नहीं मिल सके.

शक्ति सिंह सोढ़ा की परेशानी

उमरकोट के ही रहने वाले डॉ. शक्ति सिंह सोढ़ा चार बहनों के इकलौते भाई हैं. उनकी चार बहनों की शादी राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में हुई है, जिनसे वह और उनके मां-बाप चार साल पहले आख़िरी बार मिले थे.

उस वक़्त उन्हें भी विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) से कुछ महीने का विस्तार मिला था. पिछले कुछ सालों में उन्होंने फिर वीज़ा के लिए आवेदन किया, लेकिन भारतीय दूतावास ने उन्हें वीज़ा देने से इनकार कर दिया है. वजह बताई गई कि वह अपनी पिछली यात्रा के दौरान वीज़ा अवधि से ज्यादा रुके थे.

वो कहते हैं, "भारतीय दूतावास ने बहुत से लोगों को ब्लैकलिस्ट किया है. ब्लैकलिस्ट करने की वजह तय अवधि से ज्यादा रुकना है. अब वही 'ओवरस्टे' कह रहे हैं जिन्होंने ख़ुद छह महीने का विस्तार दिया था. आख़िर कोई बिना वीज़ा के तो नहीं रुका होगा."

शक्ति की मां भी शादी के बाद भारत से पाकिस्तान आई थीं. वो शक्ति की शादी को लेकर काफ़ी फ़िक्रमंद नज़र आ रही थीं. उनका कहना था कि अगर वीज़ा मिलने में कुछ साल और लग गए, तो शक्ति के लिए दुल्हन नहीं मिलेगी.

सोढ़ा राजपूत
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सोढ़ा राजपूत

हालांकि शक्ति को मां की इस चिंता से ज़्यादा अपनी चार बहनों की याद सताती है. वो मुझे अपनी बहनों के साथ बिताए अपने बचपन के क़िस्से सुनाते रहे.

शक्ति ने भावुक होकर कहा, "देखिए, कई सीमाएं खुल रही हैं. करतारपुर है, लाहौर है. जो करतापुर घूमने आता है वह धार्मिक श्रद्धा से आता है. हमारे तो वहां ख़ून के रिश्ते हैं. इसलिए हमें आसानी से वीज़ा मिल जाना चाहिए.''

सोढ़ा राजपूत को ब्लैक लिस्ट क्यों किया गया?

सोढ़ा हिंदू राजपूतों का कहना है कि भारत के किसी ख़ास शहर के लिए 30-40 दिन का वीज़ा उनके लिए काफ़ी नहीं है, क्योंकि उन्हें सही जोड़ियां तलाशने और शादी के लिए ज़्यादा वक़्त चाहिए होता है.

यही वजह है कि राजस्थान के पूर्व राज्यपाल एसके सिंह ने 2007 में सोढ़ा राजपूतों को छह महीने के लिए वीज़ा विस्तार की इजाज़त दी थी. 10 साल तक यानी वर्ष 2017 तक यह विस्तार दिल्ली के बजाय विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) से हासिल किया जा सकता था.

गनपत सिंह और शक्ति सिंह उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने वीज़ा की अवधि ख़त्म होने से कुछ समय पहले ही विस्तार हासिल किया था.

भारत में भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 2017 में पाकिस्तानी सोढ़ा राजपूतों को मिली यह सुविधा ख़त्म कर दी गई.

उसी साल भारत की अपनी अंतिम यात्रा करने वाले पाकिस्तानी सोढ़ा राजपूतों का दावा है कि विस्तार मिलने के बाद उनके भारत में ठहरने के बावजूद इसे ग़ैरक़ानूनी क़रार देकर उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया.

उमरकोट में पाकिस्तानी सोढ़ा राजपूतों के 'राजा' राणा हमीर सिंह के मुताबिक़, 'अब तक क़रीब 900 पाकिस्तानी सोढ़ा परिवारों को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है. राणा हमीर सिंह का ख़ुद अपना परिवार भी भारत और पाकिस्तान में बंटा हुआ है.

वो बताते हैं, हुआ ये कि बीजेपी की सरकार आते ही इन ज़िलों (राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर आदि के सीमावर्ती इलाक़ों) में जाने की इजाज़त दी गई.

वो कहते हैं, "जिन लोगों का दिल्ली में वीज़ा नहीं बढ़ाया गया और इन राज्यों के भीतर वीज़ा दिया गया. जब गृह मंत्रालय ने देखा कि ऐसा हो रहा है, तो उन सभी पर पाबंदी लगा दी गई और उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया."

सरिता कुमार सोढ़ा
Sarita Kumari Sodha
सरिता कुमार सोढ़ा

'भारत का वीज़ा रोकना मानवीय समस्या है'

पाकिस्तान इंडिया पीपुल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी के अनीस हारून के मुताबिक़, आम सोढ़ा राजपूतों के लिए भारतीय वीज़ा को रोकना एक मानवीय समस्या है जिस पर फौरन ध्यान देने की ज़रूरत है.

वो कहते हैं, "असल लड़ाई सरकारों के बीच है, लोगों के बीच नहीं. और मुझे लगता है कि संयुक्त राष्ट्र को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि यह एक मानवीय मुद्दा है."

उनके अनुसार, "आप उन पर पाबंदी नहीं लगा सकते. आप एक ऐसी संस्था बना सकते हैं, जो सामान्य पूछताछ कर ले. ऐसी व्यवस्था की जा सकती है. सत्यापन के बाद उन्हें आने-जाने की इजाज़त दी जाए. मुझे नहीं लगता कि इस पर किसी को एतराज़ होगा."

पाकिस्तान में रहने वाले सैकड़ों सोढ़ा राजपूत परिवार बार-बार इनकार करने के बावजूद भारतीय उच्चायोग से इस उम्मीद में संपर्क कर रहे हैं कि उनकी बात सुनी जाए.

बीबीसी ने इस मामले पर इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग और दिल्ली में विदेश मंत्रालय से भी संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

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English summary
Why are Sodha Rajputs of Pakistan dependent on India?
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