कौन था ज़हर पीने वाला जनरल प्रालियेक?
जनरल प्रालियेक पर हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत में युद्ध अपराध का मुक़दमा चल रहा था.
बोस्निया के गृहयुद्ध के युद्ध अपराधी पूर्व कमांडर स्लोबोदान प्रालियेक ने हेग में चल रही सुनवाई के दौरान ज़हर पी लिया, जिससे बाद में उनकी मौत हो गई.
स्लोबोदान बोस्निया क्रोएशिया के उन छह राजनीतिक और सैन्य नेताओं में से थे, जिनकी सुनवाई हेग में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICTY) में चल रही थी.
बोस्निया क्रोएशिया की सेना (एचवीओ) के पूर्व कमांडर स्लोबोदान को मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के जुर्म में सज़ा मिली थी.
जैसे ही स्लोबोदान को पता चला कि ट्राइब्यूनल ने उनकी सज़ा को बरक़रार रखा है, उन्होंने कहा, ''मैंने ज़हर पी लिया है.''
बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
बोस्निया के 'युद्ध अपराधी' की अदालत में ज़हर पीने से मौत
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क्या है पूरा मामला?
स्लोबोदान को मोस्टार शहर में किए गए युद्ध अपराधों के लिए 2013 में 20 साल की सज़ा सुनाई गई थी. यह सुनवाई उस सज़ा के ख़िलाफ़ की गई आख़िरी अपील पर हो रही थी.
संयुक्त राष्ट्र युद्ध अपराध के जजों ने कहा कि स्लोबोदान ने 1993 में युद्ध के दौरान यह सूचना मिलने पर कि सैनिक प्रोज़ोर में मुसलमानों को घेर रहे हैं, उन्हें (सैनिकों को) रोकने का ठोस प्रयास करने में विफल रहे.
प्रालियेक उन सभी सूचनाओं पर कोई भी कार्रवाई करने में नाकाम रहे जिसमें मुसलमानों की हत्याओं के साथ ही अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्यों पर हमले और शहर के ऐतिहासिक पुराने पुल और मस्जिदों को तबाह करने की योजना बनायी जा रही है.
युद्ध की शुरुआत में, बोस्नियाई सर्ब के ख़िलाफ़ युद्ध में बोस्नियाई क्रोएट बोस्नियाई मुसलमानों के साथ थे लेकिन 1993 और 1994 के बीच 11 महीनों के लिए, मोस्टार शहर में क्रोएट्स और मुस्लिम आपस में भिड़ गए.
मुस्लिम पूर्वी बोस्निया में तो प्रालियेक की सेना का राजधानी के पश्चिम पर नियंत्रण था.
अदालत के मुताबिक प्रालियेक और उनके साथ पांच अन्य दोषियों का मुख्य लक्ष्य मुसलमानों को बल पूर्वक हटाकर पूरे इलाके पर नियंत्रण हासिल करना था.
जुलाई 1995 में बोस्निया सर्ब सेना ने पूर्वी बोस्निया में करीब 8000 मुसलमानों को मार डाला. जिनमें बच्चे भी शामिल थे. इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप की सबसे बड़ा अत्याचार माना जाता है.
इसे बोस्निया के खूनी युग की सबसे बुरी घटना के रूप में याद किया जाता है. 1992-95 के बीच हुए बोस्निया युद्ध के दौरान एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई थी तो 22 लाख के करीब लोग बेघर हो गए थे.
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चलिए जानते हैं, 72 साल की उम्र में मौत को गले लगाने वाले स्लोबोदान प्रालियेक के बारे में.
1945: स्लोबोदान प्रालियेक का जन्म कैप्लिजिना, आज के बोस्निया-हर्ज़ेगोविना में हुआ था.
1970-72: इंजीनियरिंग, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र और नाटक में डिप्लोमा के साथ ही राजधानी ज़गरेब में स्नातक.
1970-80: बोस्नियाई युद्ध से पहले प्रालियेक कई सालों तक अध्यापन के क्षेत्र में रहे. दर्शन और समाजशास्त्र को पढ़ाया, थियेटर निर्देशक के रूप में काम किया, टीवी फिल्में और डॉक्युमेंट्री बनाई.
1989: क्रोएशियाई सेना में शामिल होने से पहले उन्होंने एक फ़िल्म "द रिटर्न ऑफ़ कैटेरिना कोज़ुल" का निर्देशन किया.
1991: युगोस्लाविया में युद्ध शुरू होने पर क्रोएशिया की सेना में शामिल हुए, मेजर जनरल रैंक पर पदोन्नत किए गए.
1993: बोस्नियाई क्रोएट डिफ़ेंस फ़ोर्स (एचवीओ) के कमांडर बने. और उन्हें हथियार के वितरण में अहम भूमिका अदा की.
1994: मार्च के महीने में वाशिंगटन (अमरीका) में क्रोएशियाई और मुस्लिम सेना के नेताओं के बीच एक युद्धविराम समझौता हुआ.
युद्ध के बादः बिज़नेस में गए. राजधानी ज़गरेब में होटल, ऑफ़िस बिल्डिंग और एक रेस्टोरेंट में निवेश किया.
2004: अपने ऊपर लगे आरोपों पर खुद को निर्दोष बताने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पहुंचे, अस्थायी रूप से रिहा किए गए. इसी साल मोस्टार के उस पुराने पुल का पुनर्निर्माण किया गया.
2012: हेग के सैन्य कारागार में लौटने का आदेश दिया गया.
2013: 20 साल जेल की सज़ा सुनायी गई.
29 नवंबर 2017: जेल की सज़ा के बाद अदालत में ज़हर पीने से मौत.
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