कोरोना मरीजों के लिए वरदान बनी डेक्सामेथासोन दवा को लेकर WHO ने चेताया, कहा- कोई सबूत नहीं कि...
नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के इलाज के लिए अस्थमा, फेफड़े की बीमारी और त्वचा रोग की दवा डेक्सामेथासोन के इस्तेमाल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्येयूसस ने सोमवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, डब्ल्यूएचओ इस बात पर जोर देता है कि डेक्सामेथासोन दवा को केवल डॉक्टरों की निगरानी में सिर्फ कोरोना के गंभीर या बहुत नाजुक स्थिति में मरीजों को दिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के दुनिया में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है लेकिन अभी तक महामारी के इलाज के लिए किसी भी तरह कि वैक्सीन तैयार नहीं की जा सकी है।
महामारी के संकट में अस्थमा, फेफड़े की बीमारी और त्वचा रोग के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा डेक्सामेथासोन को लेकर वैज्ञानिकों दावा किया है कि यह कोरोना के गंभीर रूप से बीमार रोगियों पर बेहतर प्रभाव दिखा रहा है। डेक्सामेथासोन के क्लीनिकल परीक्षण के प्रारंभिक परिणामों का स्वागत किया है। हालांकि सोमवार को डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्येयूसस ने सावधान करते हुए कहा कि कोई सबूत नहीं कि डेक्सामेथासोन दवा कोरोना के हल्के लक्षण वाले रोगियों के इलाज के रूप में काम करती है, इसका नुकसान भी हो सकता है।
बता दें, हाल ही में किए गए रिसर्च में कहा गया है कि, महामारी की शुरुआत से ब्रिटेन में मरीजों के इलाज के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया गया होता तो 5,000 से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस वाले 20 में से 19 मरीज अस्पताल में भर्ती हुए बिना ठीक हो जाते हैं। जो लोग अस्पताल में भर्ती हैं, उनमें से भी अधिकांश ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ को ऑक्सीजन या मकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता हो सकती है। ये उच्च जोखिम वाले मरीज हैं, जिन्हें डेक्सामेथासोन की मदद से बचाया जा सकता है।
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