कोरोना काल में इस दवा के अधिक इस्तेमाल से होंगीं ज्यादा मौतें: WHO
नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से दुनियाभर में अब तक 64,41,282 लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि महामारी से कुल 3,81,859 लोगों की मौत हुई है। कोविड-19 वैक्सीन के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर रहे हैं लेकिन अभी तक किसी देश के हाथ सफलता नहीं लगी है। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी देते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का बढ़ता उपयोग खतरनाक हो सकता है, संगठन के मुताबिक इस वजह से मौत के आंकड़े तेजी से बढ़ सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ ने दी चेतावनी
गौरतलब है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए वर्तमान में सोशल डिस्टेंसिंग ही एक मात्र तरीका है। इस महामारी पर काबू पाने के लिए अभी तक कोई टीका विकसित नहीं किया जा सका है। कई देशों में कोविड-19 मरीजों को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जा रहा है जिसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने चिंता व्यक्त की है। डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान में कहा कि महामारी का मुकाबला करने में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से बैक्टीरिया प्रतिरोध को मजबूत किया जाएगा जो आगे और अधिक मौतों का कारण होगा।
दवाओं से बढ़ेगा मौत का आंकड़ा
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेरोस एडनॉम घेबायियस ने कहा, कोरोन महामारी वर्तमान में एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते उपयोग का कारण बना है। इस दवा का ज्यादा उपयोग अत में जीवाणु प्रतिरोध दर को बढ़ाने का कारण बनेगा जो जो महामारी और उससे आगे के दौरान बीमारी और मौतों के बोझ को प्रभावित करेगा। कई देश अब एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर निगरानी और रिपोर्टिंग कर रहे हैं, यह दवा प्रतिरोध के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक बड़ा कदम है लेकिन वह जो डेटा उपलब्ध कराते हैं, उससे पता चलता है कि बैक्टीरिया के संक्रमण की चिंता करने वाली दवाएं उनके इलाज के लिए दवाओं के प्रति तेजी से प्रतिरोधी हैं।
33 देशों की रिपोर्ट में सामने आई ये बात
एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर देशों द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के अनुसार, डब्ल्यूएचओ ने एंटीमाइक्रोबियल के बीच प्रतिरोध की एक उच्च दर देखी है जो सामान्य संक्रमण, जैसे मूत्राशय का संक्रमण या दस्त के कुछ रूपों में उपयोग की जाती हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा, उदाहरण के लिए सिप्रोफ्लोक्सासिन के इस्तेमाल की बात करें तो यह अक्सर मूत्राशय के संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके प्रतिरोध की दर एक रोगाणुरोधी में 8.4% से 92.9% तक भिन्न होता है, यह 33 देशों की रिपोर्ट में सामने आया है।
यह भी पढ़ें: CSIR-CMERI दुर्गापुर ने लॉन्च किया स्वदेशी रूप से विकसित मोटर वेंटिलेटर, कोरोना के इलाज में मिलेगी मदद