WHO ने चेताते हुए कहा, आदत डाल लीजिए, हो सकता है Covid-19 छोड़कर हमें कभी न जाए?
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन की बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हो सकता है कि कोरोनावायरस दुनिया को छोड़कर कभी न जाए और दुनिया को उसके साथ जीवन जीना पड़ सकता है। WHO के हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डॉ माइकल रयान ने आगे कहा कि अगर कोई कोरोनोवायरस महामारी के एक विशिष्ट अंत की खुशखबरी की तलाश में है तो बता दूं कि अभी तक इसकी ऐसी एक भी संभावना नहीं हैं।
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डॉ रयान ने कहा, पहली बार हमारी आबादी में एक नए वायरस ने प्रवेश किया है, इसलिए यह अनुमान लगाना बहुत कठिन है कि हम कब उस पर काबू पाएंगे और जैसा कि महामारी ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित किया है, तो भविष्य की एक और संभावित परिदृश्य की पेश करते हुए उन्होंने कहा कि वायरस कभी भी हमें पूरी तरह से नहीं छोड़ सकता है।
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उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा कि इसे स्वीकारना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वायरस हमारे समुदायों में अन्य स्थानिक वायरसों की तरह एक और स्थानिक वायरस बन सकता है, जो कभी दूर नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर वर्तमान कोरोनावायरस महामारी परिस्थिति के बारे में यथार्थवादी होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि कोई भी भविष्यवाणी कर सकता है कि यह बीमारी कब या कैसे दुनिया से गायब होगी।
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बड़ा सवाल यह है कि स्थानिक रोग क्या है और यह एक महामारी से कैसे अलग है? दरअसल, महामारी विज्ञान में किसी निर्दिष्ट आबादी में स्वास्थ्य से संबंधित घटनाओं के वितरण और निर्धारकों का अध्ययन किया जाता है, जहां रोग के विभिन्न स्तर होते हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार कितने लोग एक विशिष्ट बीमारी से बीमार हो गए हैं, और यह कितनी दूर तक फैल गया है, इस आधार पर रोग के स्तर को मापते हैं।
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वर्तमान में COVID-19 एक पैनेडिमिक है, जिसे पहली बार दिसंबर 2019 में पहचाना गया था, जो वर्तमान में 188 देशों और क्षेत्रों में फैल गया है और 4,400,000 से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है। नवीनतम प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीडीसी की एक एनडेमिक की परिभाषा और डॉ रयान की टिप्पणी के अनुसार COVID-19 दुनिया भर में या एक विशिष्ट भौगोलिक स्थिति या स्थानों में एक निरंतर उपस्थिति बना सकता है।
सबसे सामान्य शब्दों में एक एपेडिमक या पैनडेमिक और एक एनडेमिक वायरस के बीच एक बड़ा अंतर पूर्वानुमानशीलता है। द वर्ज, ग्राहम मेडले, पीएचडी के साथ एक साक्षात्कार में लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडसिन में सेंटर फॉर द मैथमेटिक मॉडलिंग ऑफ इंफेशियस डिजीज रोगों के निदेशक ने बताया कि वायरस के नये पन और अनिश्चितता के डर को अक्सर एपिडेमिक या पैनडेमिक के साथ देखा जाता है।
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उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह एनडेमिक वायरस हो। ज्यादातर लोगों के लिए एपिडेमिक और एनडेमिक रोगों के बीच अंतर यह है कि महामारी की बीमारी के लिए जोखिम अज्ञात हैं। उन्होंने कहा कि यह परिभाषा वास्तव में इस बात पर आधारित है कि जोखिम को व्यक्तियों और सरकारों द्वारा कैसे लिया जाता है।
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अंततः, जैसे कि COVID-19 का नयापन खत्म हो जाता है और यदि ऐसा हो रहा है, तो कोरोनोवायरस खत्म नहीं हो रहा है, क्योंकि यह एक और स्थानिक( एनडेमिक) वायरस रूप में समाप्त हो सकता है, जो लोगों में नियमित रूप से उजागर होते हैं। उन्होंने कहा, अगर COVID-19 एक स्थानिक विषाणु बन जाता है, तो अभी यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि यह सबसे अधिक कहां फैला होगा अथवा रोग का आधारभूत स्तर क्या होगा।
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छिटपुट (Sporadic):
जब कोई बीमारी अक्सर और अनियमित रूप से होती है
स्थानिक (Endemic)
एक भौगोलिक क्षेत्र के भीतर एक बीमारी या संक्रमण की निरंतर उपस्थिति और / या सामान्य प्रसार। (हाइपरएन्डेमिक एक ऐसी स्थिति है जिसमें लगातार उच्च स्तर की बीमारी होती है।)
महामारी (Epidemic):
एक बीमारी के मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि,जो उस क्षेत्र में आबादी के लिए आमतौर पर अपेक्षित से अधिक है। (इसी तरह, एक प्रकोप अधिक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में है)
वैश्विक महामारी (Pandemic):
एक महामारी जो कई देशों या महाद्वीपों में फैली हुई है, जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हैं। कोरोनावायरस से पहले स्पेनिश फ्लू और इबोला वायरस ऐसी ही वैश्विक महामारी की श्रेणी में गिने जाते हैं।