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मिलिए कश्‍मीर पर विवादित रिपोर्ट तैयार करने वाले UNHRC के कमिश्‍नर जैद अल राद हुसैन से

हाल ही में जम्‍मू कश्‍मीर पर आई यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स (यूएनएचआरसी) की रिपोर्ट ने हंगामा मचाकर रख दिया है। इस रिपोर्ट को तैयार किया यूएनएचआरसी के कमिश्‍नर जैद राद अल हुसैन ने और अब भारत ने इस रिपोर्ट पर उन्‍हें फटकार भी लगाई है।

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न्‍यूयॉर्क। हाल ही में जम्‍मू कश्‍मीर पर आई यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स (यूएनएचआरसी) की रिपोर्ट ने हंगामा मचाकर रख दिया है। इस रिपोर्ट को तैयार किया यूएनएचआरसी के कमिश्‍नर जैद राद अल हुसैन ने और अब भारत ने इस रिपोर्ट पर उन्‍हें फटकार भी लगाई है। सितंबर 2014 में हुसैन की यूएन के पूर्व मुखिया बान की मून ने यूएनएचआरसी क कमिश्‍नर नियुक्‍त किया था। लेकिन यह पहला मौका है जब उनका नाम इस कदर भारत में लोगों को सुनाई दे रहा है। जॉर्डन की रॉयल फैमिली से आने वाले हुसैन का कार्यकाल 31 अगस्‍त को खत्‍म हो रहा है और इससे पहले शायद उन्‍हें अपनी इस‍ रिपोर्ट में सुधार करने का एक मौका दिया जाए।

अलगाववादी नेताओं से मिलने वाले हुसैन

अलगाववादी नेताओं से मिलने वाले हुसैन

हुसैन के बारे में जानने से पहले आपको बताते हैं कि उन्‍होंने जेनेवा में हुर्रियत और कश्‍मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात की है। यह मुलाकात रिपोर्ट के आने के कुछ ही घंटों बाद हुई थी। यूएन ने लश्‍कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्‍मद को आतंकी संगठन माना गया है। लेकिन यूएनएचआरसी की रिपोर्ट में 38 बार इन संगठनों के लिए 'आर्म्‍ड ग्रुप' यानी 'हथियारों से लैस संगठन' इस शब्‍द का प्रयोग किया गया है। वहीं पीओके को रिपोर्ट में 26 बार 'आजाद जम्‍मू कश्‍मीर' के तौर पर बताया गया है। वहीं लश्‍कर और जैश के आतंकी सरगनाओं को रिपोर्ट में सिर्फ 'लीडर' कहकर संबोधित किया गया है। वहीं यूएनएचआरसी के मुखिया जैद राद अल हुसैन ने फिर से कश्‍मीर में हत्‍याओं की जांच की मांग दोहराई है। साथ ही उन्‍होंने पिछले हफ्ते आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए राइजिंग कश्‍मीर के एडीटर शुजात बुखारी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

जॉर्डन के शाही परिवार से आते हैं हुसैन

जॉर्डन के शाही परिवार से आते हैं हुसैन

जॉर्डन की राजधानी अम्‍मान में जन्‍मे और इंग्‍लैंड के सरे स्थित स्‍कूल से पढ़ाई करने वाले हुसैन ने अमेरिका की जॉन्‍स हॉपकिन्‍स यूनिवर्सिटी से कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। साल 1993 मे वह कैंब्रिज के क्राइस्‍ट कॉलेज पहुंचे जहां पर उन्‍होंने रिसर्च स्‍टूडेंट के तौर पर एडमिशन लिया। साल 1994 में हुसैन युगोस्‍लाविया में यूएन फोर्स की यूएनपीआरओफॉर के साथ दो वर्ष के लिए जुड़े और यहीं से उनके यूएन करियर की शुरुआत हुई। साल 2000 से 2007 तक वह यूएन में जॉर्डन के स्‍थायी प्रतिनिधि के तौर पर रहे। साल 2007 में उन्‍हें अमेरिका में जॉर्डन का राजदूत नियुक्‍त किया गया। साल 2010 में वह फिर से स्‍थायी प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्‍त होकर जॉर्डन पहुंचे।

पिछले वर्ष भी भारत पर लगाए थे आरोप

पिछले वर्ष भी भारत पर लगाए थे आरोप

पिछले वर्ष सितंबर में हुसैन ने यूएनएचआरसी के 36वें सेशन के दौरान रोहिंग्‍या मुसलमानों के मुद्दे पर भारत की आलोचना की थी। उन्‍होंने यहां तक कहा था कि भारत में धार्मिक असहिष्‍णुता बढ़ रही है और यहां पर एक्टिविस्‍ट्स की जान के लिए खतरा पैदा हो गया है। तब भारत ने उनके बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारत ने कहा था कि यह काफी हैरानी की बात है कि व्‍यक्तिगत घटनाओं को बॉर्डर पर हो रही घटनाओं से जोड़कर बताया जा रहा है।

 ट्रंप की निंदा करने वाले हुसैन

ट्रंप की निंदा करने वाले हुसैन

हुसैन ने कई बार अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और उनके प्रशासन की निंदा की है। जिस समय ट्रंप प्रशासन की ओर से मुसलमान देशों पर बैन लगाया गया था, उस समय हुसैन खुलकर ट्रंप के विरोध में आ गए थे। तब यूएन सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुतारेशे को उनसे अपील करनी पड़ी थी कि वह सार्वजनिक तौर पर ट्रंप की आलोचना से बचें नहीं तो अगर अमेरिका ने यूएन से समर्थन वापस ले लिया तो फिर यूएन पर खतरा बढ़ा जाएगा। हुसैन से यह बात एक ई-मेल के जरिए कही गई थी।

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English summary
Prince Zeid al-Hussein is the current United Nations High Commissioner for Human Rights and was appointed by former UN chief Ban Ki Moon in 2014.
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