अरबपति वॉरेन बफे की विरासत संभालेंगे ओडिशा के अजित जैन, उनके बारे में जानिए
ओमाहा। अमेरिकी अरबपति वॉरेन बफे (Warren Buffett) ने शनिवार को इस तरफ इशारा कर दिया है कि आने वाले दिनों में उनकी बर्कशायर हैथवे (Berkshire Hathaway) के साथ उनकी विरासत कौन संभालेगा। हालांकि बफे ने खुलेतौर पर उस नाम का ऐलान तो नहीं किया लेकिन फिर भी इस रेस में भारतीय मूल के अजित जैन (Ajit jain) का नाम सबसे आगे चल रहा है। बफे जो दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं, उन्होंने कंपनी की एनुअल शेयरहोल्डर मीटिंग के दौरान इस तरफ इशारा किया है।
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जैन के अलावा एबल का नाम भी रेस में
88 वर्षीय बफे से मीडिया ने इस बारे में सवाल किया था। उन्होंने सवाल का खुशी-खुशी जवाब दिया लेकिन मीडिया को भी कन्फ्यूज कर दिया। बफे ने सीधा-सीधा जवाब देने के बजाय दो नाम लिए जिसमें से पहला नाम था 57 वर्षीय ग्रॉगरी एबल का और 67 वर्षीय भारतीय मूल के अजित जैन का। पिछले वर्ष दोनों को प्रमोशन दिया गया था और कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में उन्हें जगह मिली थी। विशेषज्ञ मान रहे हैं जैन के पास कंपनी की विरासत संभालने के अवसर ज्यादा हैं।
साल 1978 से अमेरिका में जैन
बफे ने इससे जुड़े सवाल के जवाब में कहा, 'आपके पास ग्रेग और अजित के अलावा दो बेहतर ऑपरेटिंग मैनेजर्स हो नहीं सकते हैं और यह काफी खुशी की बात है कि दोनों ही परिपूर्ण हैं।' 67 वर्षीय अजित जैन, ड्यूश बैंक के को-सीईओ रहे अंशू जैन के चचेरे भाई हैं। ओडिशा में जन्में जैन ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली है। कुछ दिनों तक उन्होंने देश में आईबीएम के सेल्समैन के तौर पर काम किया और कंपनी के डाटा प्रॉसेसिंग ऑपरेशंस को देखा। साल 1978 में वह अमेरिका चले गए।उन्होंने हार्वर्ड से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। कुछ दिनों तक मैकेंजी एंड को में काम करने के बाद उन्हें बफे के लिए काम करने का मौका मिला।
1986 में जुड़े बर्कशायर हैथवे से
सन् 1986 में जैन को मैकेंजी में उनके बॉस रहे माइकल गोल्डबर्ग ने इंश्योरेंस ऑपरेशंस के लिए बफे के साथ काम करने के लिए इनवाइट किया था। जनवरी 2018 में जैन को हैथवे का वाइस चेयरमैन बनाया गया। इंश्योरेंस ऑपरेशंस के साथ जुड़कर वह इसी समय बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी शामिल हो गए। साल 2017 में अपने एनुअल लेटर में बफे ने लिखा था, 'अजित ने बर्कशायर के शेयरहोल्डर्स के लिए अरबों डॉलर की कीमत वाली रकम का निर्माण किया है। अगर आपको कभी मुझे अजित के लिए हटाना भी पड़े तो जरा भी हिचकिचाएगा नहीं।'
क्या आपके पास एक और अजित जैन है?
वॉरेन बफे जैन के काम से इतने प्रभावित थे कि एक बार तो उन्होंने उनके माता-पिता को चिट्ठी तक लिखी डाली थी। इस चिट्ठी में बफे ने पूछा था कि क्या उनके पास एक और अजित जैन है। बफे ने अपनी चिट्ठी में इंश्योरेंस बिजनेस के लिए जैन के दिमाग की तारीफ की थी। साल 2005 में जैन ने एक एनजीओ जैन फाउंडेशन की शुरुआत की थी। यह एनजीओ सिएटल में हैं और इसका मकसद प्रोटीन की कमी से होने वाली मांसपेशियों से जुड़ी एक बीमारी का इलाज करना है। जैन के बेटे को यही बीमारी थी।