कौन ख़रीदता है उत्तर कोरियाई उत्पाद और कैसे होता है कारोबार?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर और कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, क्या पड़ा है असर.
उत्तर कोरिया पर दशकों से प्रतिबंध लगे हैं लेकिन कभी-कभी यह देश अन्य देशों की तरह ही व्यापार करता दिखता है.
सितंबर में प्योंगयांग ऑटम इंटरनेशनल ट्रेड फ़ेयर के आयोजकों ने कहा था कि 250 से ज़्यादा घरेलू और विदेशी कंपनियां उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में उत्पादों का प्रदर्शन किया था.
सीरिया, चीन, क्यूबा, ईरान, इटली, इंडोनेशिया, विएतनाम और ताइवान जैसे देशों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया था. इसे मीडिया में सफल बताया गया था.
उत्तर कोरिया पर कारोबार को लेकर लगातार प्रतिबंध लगाए जाते रहे हैं. हाल ही में 23 दिसंबर को इन प्रतिबंधों को और कड़ा किया गया है.
इसमें उत्तर कोरिया से तेल क निर्यात और खाद्य सामग्री, मशीनरी व इलेक्ट्रिकल उपकरण के आयात पर रोक लगाई गई थी.
कई कंपनियों के लिए उत्तर कोरिया बहुत जोख़िम भरा है. लेकिन, डच आईटी कंसल्टेंसी के संस्थापक पॉल तिजया जो उत्तर कोरिया में ट्रेड मिशन चलाते हैं, वह ज़्यादा उत्साही हैं.
पॉल तिजया ने मई में प्योंगयांग में व्यापार और निवेश के अवसरों का पता लगाने के लिए एक यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था.
उन्होंने कहा, ''हर कोई अंतरराष्ट्रीय व्यापार करना चाहता है.''
तिजया का कहना है कि किम जोंग-उन की सरकार के साथ व्यापार करने को लेकर नैतिक चिंताओं को उत्तर कोरियाई अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करने से होने वाले फ़ायदे कहीं पीछे छोड़ देते हैं.
उत्तर कोरिया के फॉरन ट्रेड ऑफ़ डीपीआरके पब्लिकेशन के नए संस्करण में पाठकों के लिए कई उत्पाद दिए गए थे. इसमें मेडिकल उपकरण, आईपेड से लेकर साबुन तक दिए गए थे.
उत्तर कोरिया में बने उत्पादों के कारोबार में खुलपन और विदेशी क्लाइंट्स के साथ कॉन्टेक्ट बनाना, इस तरह यह देश दुनिया के साथ व्यापार करता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में उत्तर कोरियाई व्यापार के शोधकर्ता जस्टिन हैस्टिंग्स का कहना है, ''इस देश में जीने के लिए सभी को उद्यमी होना जरूरी है. उन्हें पैसे कमाने के लिए बहुत रचनात्मक तरीके ढूंढ़ने होंगे.''
ट्रेड मैगजीन और प्रेस रिपोट्स को देखकर लगता है कि उत्तर कोरिया में सबकुछ ठीक चल रहा है. लेकिन, क्या वाकई कोई उत्तर कोरिया के उत्पादों को ख़रीदता है?
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया सैन डिआगो में कोरिया-पेसिफिक स्टडीज के प्रोफेसर और उत्तर कोरियाई राजनीतिक अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ स्टीफन हैगार्ड कहते हैं, ''यह जानना बहुत मुश्किल है. हालांकि, निश्चित तौर पर यह उत्पाद सिर्फ़ दिखाने के लिए नहीं होते.''
प्रोफेसर हैगार्ड कहते हैं, ''ये ट्रेड फेयर्स प्रचार के मक़सद से नहीं होते, ये कारोबार के लिए हैं.''
चीन से 90 प्रतिशत कारोबार
उत्तर कोरिया अपना अधिकतर व्यापार चीन के साथ करता है जो संभावित तौर पर 90 प्रतिशत है. इसी कारण कई देशों को लगता है कि चीन ही उसके साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाकर उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को रोक सकता है.
अमरीकी राष्ट्रपति ने यूएन के प्रतिबंधों को लागू करने के लिए ख़ासतौर से चीन पर जोर दिया था. ये प्रतिबंध कोयला, सीफूड और टेक्सटाइल्स के निर्यात पर लगाए गए थे.
अमरीका ने कहा था कि अगर ये प्रतिबंध उत्तर कोरिया पर लागू हो जाते हैं तो विदेशी व्यापार का उसका एक तिहाई हिस्सा पूरी तरह खत्म हो जाएगा.
मजदूरों से आने वाली विदेशी मुद्रा
उत्तर कोरिया में विदेशी मुद्रा का एक और बड़ा स्रोत हैं दुनिया भर के 40 देशों में जहाजों और निर्माण स्थलों पर काम करने वाले मजदूर.
उत्तर कोरिया में कुछ विशेष कारोबारी कंपनियां हैं जो रूस, चीन और कुछ अफ्रीकी व यूरोपीय देशों में रोजगार के लिए विदेशी कंपनियों में नौकरी दिलाती हैं.
विदेशों में काम करने गए मजदूरों बयानों के आधार पर हुई शोध में पाया गया था कि अधिकतर मजदूरों का वेतन उत्तर कोरिया भेजा जाता है जो कम से कम दो तिहाई होता है.
साथ ही उत्तर कोरिया में मजदूरों के लिए मौजूद मुश्किल स्थितियों के चलते विदेश में काम करना उन्हें ज़्यादा आकर्षित भी करता है.
उत्तर कोरियाई सरकार मजदूरों की चुनाव प्रक्रिया के लिए बहुत प्रयास करती है और जिस देश में मजदूर जा रहे हैं वहां सख़्त निगरानी प्रणाली लागू करती है ताकि कोई मजदूर उसकी नजर से बच न जाए.
उत्तर कोरियाई मानवाधिकार के लिए बने डाटाबेस सेंटर में रिसर्चर तिओदोरा ग्यूप्शानोवा बताते हैं, ''विदेश में काम करने के इच्छुक मजदूरों को शासन के प्रति निष्ठा साबित करनी पड़ती है.''
''ऐसे मजदूरों के साथ किए गए इंटरव्यू से पता चला है कि वो ज़्यादातर शादीशुदा लोग हैं जिनके बच्चे भी हैं. इसका मतलब यह है कि मजदूर और उनका परिवार दोनों के लिए नियम तोड़ने पर सजा मिलने का ख़तरा होता है.''
हथियारों का कारोबार
उत्तर कोरिया का हथियारों का कारोबार तब सामने आया था जब साल 2013 में क्यूबा-सोवियत काल के हथियार 240 टन के हथियारों के साथ एक उत्तर कोरियाई जहाज़ में पाए गए थे.
क्यूबा का कहना था कि वह मरम्मत के लिए चीनी की बोरियों के अंदर हथियार छुपाकर उत्तर कोरिया भेज रहा था.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2016 में 30,000 रॉकेट संचालित ग्रेनेड सेज कनाल के लिए ले जा रहे थे.
इस रिपोर्ट के मुताबिक यह जहाज़ कंबोडियाई झंडे के तहत चल रहा था लेकिन उसे उत्तर कोरयाई क्रू संचालित कर रहा था.
उत्तर कोरियाई कारोबारियों पर हथियारों के चोरी-छुपे सौदे करने के लिए मुखौटा कंपनियां बनाने का आरोप लगता रहा है.
उत्तर कोरियाई ब्रांड कई लोगों को नापसंद हो सकते हैं लेकिन ये देश टूटा नहीं है क्योंकि उसने एक अछूत देश के तौर पर कारोबार करना सीख लिया है.