कौन हैं उत्तर कोरिया की जेलों में बंद तीन अमरीकी?
उत्तरी कोरिया में क़ैद तीन अमरीकी नागरिकों को प्योंगयांग के एक होटल में शिफ्ट कर दिया गया है. ख़बरों के अनुसार अब उन्हें बढ़िया खाना और मेडिकल सुविधाएं मिल रही हैं.
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच मुलाक़ात से पहले इन तीनों को छोड़ा जा सकता है.
ट्रंप के कानूनी सलाहकार रूडी ग्यूलियानी ने कहा है
उत्तरी कोरिया में क़ैद तीन अमरीकी नागरिकों को प्योंगयांग के एक होटल में शिफ्ट कर दिया गया है. ख़बरों के अनुसार अब उन्हें बढ़िया खाना और मेडिकल सुविधाएं मिल रही हैं.
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच मुलाक़ात से पहले इन तीनों को छोड़ा जा सकता है.
ट्रंप के कानूनी सलाहकार रूडी ग्यूलियानी ने कहा है कि इन तीनों को आज ही यानि गुरुवार को रिहा किया जा सकता है.
राष्ट्रपति ट्रंप भी कह चुके हैं कि अमरीका अपने नागरिकों की आज़ादी के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.
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ट्रंप ने टवीट कर इस और इशारा भी किया था, "जैसा कि सभी को मालूम है कि पिछली सरकार ने इन बंदियों को उत्तर कोरिया के लेबर कैंप से छुड़ाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली."
ये अलग बात है कि इन तीन में से दो को साल 2017 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद गिरफ़्तार किया गया था.
लेकिन ग्यूलियानी के दावों के बावजूद अमरीकी विदेश मंत्रालय ने अब तक क़ैदियों को रिहा किए जाने की ख़बर की पुष्टि नहीं की है. विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि अमरीका उत्तर कोरिया में बंदी अपने नागरिकों की रिहाई के लिए काम कर रहा है.
लेकिन कौन हैं ये तीन लोग जिनकी रिहाई का अमरीका को इंतज़ार है?
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किम हाक-सोंग
किम हाक-सोंग प्योंगयांग युनिवर्सिटी के विज्ञान और टेक्नोलॉजी विज्ञान में काम करते थे. उन्हें शत्रुतापूर्ण कार्रवाई के शक़ में छह मई 2017 को गिरफ़्तार किया गया था. ख़बरों के मुताबिक उन्हें प्योंगयांग स्टेशन पर पकड़ा गया था.
प्योंगयांग युनिवर्सिटी में उत्तर कोरिया के उच्च वर्ग के लोगों के बच्चे पढ़ते हैं. इसकी स्थापना साल 2010 में कोरियाई अमरीकी ईसाई उद्यमी ने की थी. इसका अधिकतर ख़र्च दक्षिण कोरिया और अमरीकी ईसाई चैरिटी से आता है.
ऐसा लगता है कि यहां कई विदेशी अध्यापक पढ़ाते हैं.
रॉयटर के मुताबिक़ किम हाक-सोंग ख़ुद को ईसाई मिशनरी बताते रहे हैं जो प्योंगयांग में एक फ़ार्म खोलना चाहते थे.
बताया जाता है कि किम का जन्म चीन में हुआ था और वो 1990 के दशक में अमरीका चले गए थे. उसके बाद उन्होंने चीन में कृषि विज्ञान की पढ़ाई भी की थी. इसके बाद वो प्योंगयांग युनिवर्सिटी में काम करने लगे थे.
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किम सांग-डुक उर्फ़ टोनी किम
किम हाक-सोंग की गिरफ़्तारी से दो सप्ताह पहले किम सांग-डुक उर्फ़ टोनी किम को जासूसी के आरोप में हिरासत में लिया गया था.
वो प्योंगयांग युनिवर्सिटी में एक महीना बिताने के बाद उत्तर कोरिया छोड़ने वाले थे. दक्षिण कोरिया की मीडिया के मुताबिक़ टोनी किम की उम्र 55 साल है और वो उत्तर कोरिय में मानवीय कार्य में जुटे थे.
युनिवर्सिटी के चांसलर चान-मो पार्क ने रॉयटर्स को बताया कि, "युनिवर्सिटी के विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने मुझे बताया कि टोनी की गिरफ़्तारी का उनके हमारे यहां काम करने से कोई ताल्लुक नहीं है. वो यहां से बाहर कुछ काम करते थे, शायद किसी अनाथालय में."
उनके फ़ेसबुक पेज के मुताबिक़ टोनी किम ने दो अमरीकी विश्वविद्यालों में एकांउट्स की पढ़ाई की है और एक दशक तक अमरीका में एकांटेंट की नौकरी भी की है.
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किम डोंग-चुल
दक्षिण कोरिया में जन्मे अमरीकी नागरिक किम डोंग-चुल एक पादरी हैं. उन्हें साल 2015 में जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. उसके अगले साल उन्हें दस साल की क़ैद दे दी गई थी.
मुक़दमा चलने से पहले उत्तर कोरिया द्वारा की गई प्रेसवार्ता में किम डोंग-चुल ने माना था कि उन्होंने दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर उत्तर के सैन्य सीक्रेट चुनाए थे. उनके इस दावे को दक्षिण कोरिया से ख़ारिज कर दिया था.
जनवरी 2016 में सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में किम ने कहा था कि वो वर्जीनिया के फ़ेयरफ़ेक्स में रहते थे.
उन्होंने कहा था कि वो उत्तर कोरिया के एक स्पेशल इकोनोमिक ज़ोन में एक ट्रेडिंग कंपनी और होटल चलाते थे.
किम ने कहा था कि चीन में उनकी दो बेटियां और पत्नी रहती हैं लेकिन हिरासत में लिए जाने के बाद उनसे उनका कोई संपर्क नहीं हुआ है.
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