अमेरिका के अल्टीमेटम के बाद कोरोना वायरस पर स्वतंत्र जांच के लिए तैयार हुआ WHO
जेनेवा। स्विट्जरलैंड के देश जेनेवा में इस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की मीटिंग जारी है। इस मीटिंग में सदस्य देशों विशेषकर अमेरिका के बढ़ते प्रभाव के आगे यूनाइटेड नेशंस की संस्था डब्लूएचओ को झुकना पड़ा है। सोमवार को संगठन ने कोरोना वायरस को लेकर उसकी प्रतिक्रिया की जांच के लिए हामी भर दी है। अब तक इस महामारी से दुनियाभर में तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
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ट्रंप ने दिया 30 दिन का समय
अफ्रीका के तमाम देशों और यूरोपियन यूनियन देशों की तरफ से कोरोना वायरस महामारी को लेकर एक विस्तृत और गहन जांच की मांग की जा रही है। संगठन ने यह फैसला तब लिया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संगठन को चीन की कठपुतली बताते हुए इसे छोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया। अमेरिका का कहना है कि यह वायरस वायरस चीन की एक लैब से निकला है और उसके पास इस बात को साबित करने के लिए पूरी सुबूत हैं। ट्रंप ने दो टूक कह दिया था कि अगर 30 दिनों के अंदर कोई सुधार नहीं हुआ तो फिर अमेरिका हमेशा के लिए इससे बाहर हो जाएगा। ट्रंप पहले ही डब्लूएचओ को मिलने वाली आर्थिक मदद अस्थायी तौर पर बंद कर चुके हैं। डब्लूएचओ के हेड टेडरॉस एडहोनम गेब्रेसियस ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर सामने आई प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए वह एक स्वतंत्र जांच के पक्षधर हैं। यूनाइटेड नेशंस के मुखिया एंटोनियो गुटारेशे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा कि कई देशों ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों की अनदेखी की। उन्होंनेकहा, 'अलग-अलग देशों ने अलग-अलग, कई बार विरोधाभासी रणनीतियां अपनाईं और हम सब एक भारी कीमत चुका रहे हैं।'