इटली-अमेरिका के बाद कौन है कोरोना का अगला निशाना, वैज्ञानिकों ने जारी की भयानक तबाही की चेतावनी
इटली और अमेरिका के बाद अब कोरोना वायरस का अगला निशाना है ये महाद्वीप, मच सकती है भयानक तबाही...
नई दिल्ली। दुनिया के कई दिग्गज देश इन दिनों कोरोना वायरस की चपेट में हैं। अकेले अमेरिका में कोरोना वायरस करीब 50 हजार लोगों की जान ले चुका है। जबकि, 9 लाख लोग अभी भी इस वायरस की चपेट में हैं। अमेरिका से पहले इटली, ईरान, स्पेन और चीन कोरोना वायरस की महामारी झेल चुके हैं। इन देशों के बाद अब एक और महाद्वीप कोरोना वायरस के संकट में बुरी तरह घिरता हुआ नजर आ रहा है। इस महाद्वीप का नाम है अफ्रीका, जहां पिछले एक हफ्ते के दौरान ही कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों में 43 फीसदी की भयानक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
1.3 बिलियन की आबादी का महाद्वीप अगला निशाना
अफ्रीका में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी जारी की है कि 1.3 बिलियन की आबादी का ये महाद्वीप इस वैश्विक महामारी का अगला निशाना बन सकता है। अफ्रीका के 'रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र' के निदेशक जॉन नकेंगसॉन्ग ने अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में इस बात को स्वीकारा है कि अफ्रीका में बहुत ज्यादा सीमित और बहुत ही ज्यादा तनावपूर्ण टेस्टिग क्षमता है। वहीं, मेडिकल एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि इस महाद्वीप में कोरोना वायरस के संक्रमण में बढ़ोत्तरी का अभी निश्चित रूप से सही आंकडा़ सामने नहीं आया है और वास्तविकता में पॉजिटिव केस कहीं ज्यादा हो सकते हैं।
जा सकती है 3 लाख से ज्यादा लोगों की जान
विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट में अफ्रीका की एक बेहद गंभीर तस्वीर सामने आई है। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस अफ्रीका में 3 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले सकता है। वहीं, इस महामारी के चलते करीब 30 मिलियन लोग गरीबी के दलदल में धंस सकते हैं। अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में जॉन नकेंगसॉन्ग ने कहा कि अफ्रीका के पास अभी भी कोरोना वायरस के खतरे को टालने का समय है, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि लोगों की ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग हो और संक्रमित लोगों की पहचान की जाए।
'डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कोई भविष्यवाणी नहीं'
जॉन नकेंगसॉन्ग ने कहा, 'अफ्रीका में कोरोना वायरस की महामारी को रोकना इस बात पर निर्भर करता है कि हम लोग यहां किस बात की चर्चा कर रहे हैं? क्या उस चर्चा में ये बात शामिल है कि हम टेस्टिंग कर रहे हैं? क्या आप लोग पॉजिटिव केस का पता लगा पा रहे हैं? क्या आप संक्रमित मरीजों और उनके संपर्क के लोगों को आइसोलेट कर पा रहे हैं? डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कोई भविष्यवाणी नहीं है, कि जो उसमें लिखा है, वो होकर ही रहेगा। व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि इस समय पूरा अफ्रीका टेस्टिंग के मोर्चे पर संघर्ष ही करता हुआ नजर आ रहा है।'
एक लाख की आबादी पर महज 325 लोगों का ही टेस्ट
अपनी ब्रीफ्रिंग में जॉन नकेंगसॉन्ग ने टेस्टिंग पर जोर देते हुए कहा, 'पिछले दो महीनों में, जबसे अफ्रीका ने कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझना शुरू किया है, तब से 1 बिलियन से भी ज्यादा आबादी वाले इस महाद्वीप में 5 लाख से भी कम टेस्ट ही हो पाए हैं। इसका सीधा मतलब है कि हर एक लाख की आबादी पर महज 325 लोगों का ही टेस्ट अभी तक किया गया है। कोरोना वायरस से दुनिया के सबसे प्रभावित देशों में से एक इटली से अगर तुलना करें तो टेस्टिंग का ये आंकड़ा बेहद कम है। अगर आप टेस्ट नहीं करेंगे तो आपको कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस का पता नहीं चलेगा। और, अगर आप टेस्टिंग नहीं करेंगे तो आप अंधे बने रहेंगे। अगर आप टेस्ट नहीं करेंगे तो कभी इस महामारी से नहीं निकल पाएंगे।'
एक हफ्ते में बढ़े 10 हजार केस
आपको बता दें कि अफ्रीका में अभी तक कोरोना वायरस के कुल 26 हजार पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। मरीजों का यह आंकड़ा एक हफ्ते पहले महज 16 हजार था। इस महाद्वीप में कोरोना वायरस अभी तक 1200 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। वैश्विक तौर पर देखें तो संक्रमण का यह आंकड़ां तुलनात्मक रूप से काफी कम है, लेकिन जिस रफ्तार से यहां केस बढ़ रहे हैं, वो वाकई चिंता का विषय है। पिछले हफ्ते यहां कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों में 29 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई थी।