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NATO के मुकाबले कहां खड़ा है रूस, यह यूक्रेन युद्ध में कूदा तो जीतेगा कौन ? सबकुछ जानिए

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नई दिल्ली, 27 फरवरी: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अंदाजा पूरी तरह से सटीक नहीं बैठ रहा है। रूसी सेना को यूक्रेन को नियंत्रण में लेने में जरूरत से ज्यादा वक्त लग रहा है। इस लड़ाई में रूस रोजाना करीब 20 अरब डॉलर गंवा रहा है, ऊपर से पूरी दुनिया उसपर थू-थू कर रही है। दूसरी तरफ अमेरिका और उसके सहयोगियों के सैन्य संगठन नाटो की साख पर भी बट्टा लग रहा है। क्योंकि, यूक्रेन अभी तक रूस की ओर से थोपी गई लड़ाई में अकेला ही डटा हुआ है। हालांकि,अब नाटो की भी सक्रियता बढ़ने लगी है। वह इंतजार में है कि पुतिन एक मौका दें और फिर वह भी इस जंग में कूद पड़े। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुतिन की सेना नाटो का सामना करने में सक्षम होगी ?

रूस-यूक्रेन युद्ध किस स्थिति में है ?

रूस-यूक्रेन युद्ध किस स्थिति में है ?

रूसी सेना यूक्रेन के उत्तर-पूर्व में स्थित इसके दूसरे सबसे बड़े शहर खारकिव में दाखिल हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस की सेना लगातार चारों ओर से यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर बढ़ रही है। रूसी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इसके सैनिकों से कहा गया है कि वह सभी दिशाओं से अपने हमले तेज कर दें। दरअसल, रूस के अनुमान से उसके इस सैन्य अभियान में कहीं ज्यादा वक्त लग रहा है, जिससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर भी दबाव बढ़ रहा है। उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने खुद कीव छोड़ने से इनकार करते हुए अपने नागरिकों से कहा है कि वह राष्ट्र की सुरक्षा करने के लिए आगे आएं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) किन परिस्थियों में रूस के खिलाफ जंग में शामिल हो सकता है और अगर यदि ऐसा हुआ तो रूस उस बदली हुई परिस्थिति में जंग के दौरान कहां पर खड़ा होगा।

रूस-यूक्रेन युद्ध में नाटो की चर्चा क्यों है?

रूस-यूक्रेन युद्ध में नाटो की चर्चा क्यों है?

30 देशों का संगठन नाटो लगातार यूक्रेन से रूस को अपनी सेना वापस करने को लगातार कह रहा है। लेकिन, इस बीच नाटो ने पहली बार पूर्वी यूरोप के अपने फ्रंटलाइन देशों में मिलिट्री रेस्पॉन्स फोर्स को भी सक्रिय कर दिया है। यूक्रेन पर रूस की ओर से किए गए हमले के बाद चौथे दिन तक रूसी सेना लगातार यूक्रेन पर भारी पड़ रही है और उसे जानमाल की भयानक तबाही झेलनी पड़ रही है। दुनियाभर में इस जंग को तत्काल रोकने की मांग हो रही है और कई बार जब रूस बातचीत पर लौटने की बात कहता है तो लगता है कि वह भी दबाव में आ रहा है।

नाटो और रूस में कौन पड़ेगा भारी?

नाटो और रूस में कौन पड़ेगा भारी?

नाटो की सेना में अमेरिका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम समेत इसके 30 सदस्य देशों की सेना शामिल है। रूस की सेना में करीब 15 लाख सैनिक हैं। यह संख्या यूक्रेन के 3,11,000 सैनिकों के मुकाबले 5 गुना ज्यादा है। लेकिन, नाटो की सेना में लगभग 33 लाख सैनिक हैं। जो रूस की सेना के मुकाबले दो गुना से भी ज्यादा है।

नाटो में किस देश का दबदबा है ?

नाटो में किस देश का दबदबा है ?

2021 के अनुमानों के मुताबिक नाटो की सेना में अमेरिका के सबसे ज्यादा 14 लाख सैनिक हैं। यह नाटो की सेना का करीब 41% है। बाकी 59% सैनिक दूसरे 29 सदस्य देशों के हैं। अमेरिका के बाद तुर्की के सबसे ज्यादा सैनिक नाटो में हैं जिनकी संख्या 4,45,509 है। फिर फ्रांस के 2,08,000 और यूनाइटेड किंगडम के 1,56,200 सैनिक हैं। यानि रूस के पास जितने सैनिक हैं, लगभग अमेरिका के ही उतने सैनिक नाटो में हैं।

नाटो के सदस्य देश कौन हैं ?

नाटो के सदस्य देश कौन हैं ?

नाटो के सदस्य देशों में बेल्जियम, कनाडा,डेनमार्क,फ्रांस, आइसलैंड,इटली, लक्जमबर्ग,नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन,चेक रिपब्लिक, हंगरी, पोलैंड, बुल्गेरिया,एस्टोनिया, लातविया,लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, अल्बानिया, क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और नॉर्थ मेसेडोनिया शामिल हैं।

इसे भी पढ़ें- युद्ध में हर दिन 20 अरब डॉलर का खर्च, फिर भी यूक्रेन पर कब्जा नहीं, सेना पर भड़के राष्ट्रपति पुतिनइसे भी पढ़ें- युद्ध में हर दिन 20 अरब डॉलर का खर्च, फिर भी यूक्रेन पर कब्जा नहीं, सेना पर भड़के राष्ट्रपति पुतिन

किस स्थिति में जंग में कूद सकता है नाटो ?

किस स्थिति में जंग में कूद सकता है नाटो ?

नाटो गठबंधन का मूलभूत सिद्धांत है कि अगर किसी सदस्य राष्ट्र पर कोई तीसरा देश हमला करता है तो सभी सदस्य देश मिलकर उसकी रक्षा करेंगे। यूक्रेन नाटो का सदस्य राष्ट्र नहीं है। इसलिए नाटो की सेना रूस से लड़ने में यूक्रेन की सीधे मदद नहीं करेगी। ऐसे में वह आसपास के सदस्य राष्ट्रों की बेस पर अपनी तैनाती मजबूत कर रहा है; और अगर पुतिन ने किसी नाटो राष्ट्र को निशाना बनाने की कोशिश की तो यह युद्ध में कूद सकता है। बड़ी बात ये है कि यूक्रेन पर हमला करने का पुतिन का मुख्य मकसद ही यही है कि वह नाटो में शामिल ना हो जाए।

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English summary
NATO has more than twice as many soldiers as Russia, so if it enters the Ukraine war, then this war can be disastrous for Putin
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