स्टीव जॉब्स के तीन गुरु मंत्रों ने इंद्रा नूई को पहुंचाया सफलता की मंजिल तक
पेप्सिको की भारतीय मूल की सीईओ इंद्रा नूई ने मंगलवार को 12 वर्ष के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। साल 2006 में जब नूई ने यह पद संभाला था तो वह सीधे एप्पल के को-फाउंडर और टेक लीजेंड स्टीव जॉब्स के पास पहुंची थीं।
कैलिफोर्निया। पेप्सिको की भारतीय मूल की सीईओ इंद्रा नूई ने मंगलवार को 12 वर्ष के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। साल 2006 में जब नूई ने यह पद संभाला था तो वह सीधे एप्पल के को-फाउंडर और टेक लीजेंड स्टीव जॉब्स के पास पहुंची थीं। नूई जानना चाहती थीं कि कैसे जॉब्स एप्पल में इतना बड़ा बदलाव लेकर आए और वह कैसे इस कंपनी को चलाते हैं। नूई ने की मानें तो जॉब्स आसानी से उनके साथ कुछ समय बिताने के लिए तैयार हो गए और दोनों के बीच करीब तीन घंटे तक बातचीत हुई। हाल ही में एप्पल दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बनी है जिसने एक अरब का आंकड़ा छुई है। नूई ने जॉब्स के साथ अपनी मुलाकात को साल 2016 में स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ बिजनसे में एक पैनल डिस्कशन के दौरान याद की थी। नूई की मानें तो जॉब्स ने उन्हें तीन घंटों में जो गुरु मंत्र दिए उसे उन्होंने अपनी प्रोफेशनल लाइफ में पूरी तरह से अपनाया। तीन अक्टूबर को नूई को ऑफिस में आखिरी दिन होगा। नूई उन कुछ चुनिंदा महिलाओं में शामिल हैं जिनकी फॉर्च्यून 500 की लिस्ट में आने का मौका मिल सका। ये भी पढ़ें-तो इसलिए स्टीव जॉब्स के साथ लंच करने से कतराते थे इंप्लॉयी
1-अपने प्लान पर टिके रहो
नूई की मानें तो जॉब्स ने उन्हें यह सबसे अहम बात मुलाकात के दौरान कही थी। नूई ने बताया कि जो सबसे बड़ी शिक्षा उन्हें जॉब्स से मिली थी, वह थी अपने प्लान या योजना पर टिके रहना और उसके लिए हमेशा ईमानदार रहना। जॉब्स ने नूई से कहा था, 'जिस चीज पर उन्हें पूरी तरह से भरोसा है, उसे करें और उसे पूरे मन से करें।' जॉब्स ने उनसे कहा था कि कभी भी अपने नजरिए को इसलिए न बदलें क्योंकि बाहर की दुनिया ऐसा चाहती है। नूई को सोचने के तरीके ने नए तरह से सशक्त बनाया और उन्होंने अपनी नई सोच के साथ पेप्सिको को आगे बढ़ाया। वह कंपनी को अपनी कंपनी के तौर पर देखने लगी और फिर उन्होंने कई तरह के बदलाव कंपनी में लाए।
2-अपनी विरासत खुद संभाले
जॉब्स ने नूई से सबसे पहला सवाल पूछा था और वह इस तरह से था,' पेप्सिको में अपने निशाना वह कैसे छोड़कर जाना चाहती हैं।' नूई के लिए डिजाइन प्राथमिकता थी और जब उन्होंने जॉब्स को यह बात बताई तो जॉब्स ने कहा, 'अगर डिजाइन आपके लिए अहमियत रखती है तो फिर इसे आपको रिपोर्ट करना होगा क्योंकि यह एक नई स्किल होगी जिसे नूई को कंपनी के अंदर तैयार करना होगा।' जॉब्स ने उनसे कहा, 'अगर आप इस फंक्शन के लिए सीईओ के तौर पर सपोर्ट नहीं करेंगी तो फिर उन्हें यह सफर शुरू ही नहीं करना चाहिए।' नूई ने जॉब्स की यह सलाह भी मानी और फिर हर हफ्ते ग्रॉसरी का सामान लेने जाती। पेप्सिको के प्रॉडक्ट्स की फोटो लेतीं और फिर उसे डिजाइन और मार्केटिंग टीम के पास भेजतीं। उन्होंने अपनी टीम को निर्देश दिए थे कि वे हर उस चीज की फोटोग्राफ लें जो नई डिजाइन की प्रेरणा बन सकती हो। ऐसा करीब तीन माह तक हुआ था।
3-थोड़ा सा बुरे बनें
जॉब्स ने नूई को साफतौर पर कह दिया था, 'बहुत अच्छा बनने की कोई जरूरत नहीं है।' जॉब्स ने कहा, 'जब आपको वह नहीं मिलता है जो आपको चाहिए होता है और आपको लगता है कि यह कंपनी के लिए सही चीज है तो झल्लाहट दिखाने और चीजें फेंकने में कोई बुराई नहीं है।' जॉब्स के मुताबिक इस तरह के स्टंट करके उन्हें उन चीजों के लिए अटेंशन मिलता है जिनकी जॉब्स परवाह करते हैं। जॉब्स ने कहा कि लोग इस बारे में सोचेंगे और उन्हें पता लगेगा कि यह आपके लिए भी जरूरी है। नूई ने जब जॉब्स के कुछ पार्टनर्स से बात की तो उन्हें पता लगा कि जॉब्स का गुस्सा कोई नई बात नहीं है। अगर किसी प्रॉडक्ट के लिए जॉब्स को डिजाइन पसंद नहीं आती थी तो फिर वह पूरे कमरे में कागज फेंक देते थे और उनसे रात भर काम करवाते थे। नूई की मानें तो उन्होंने कागज फेंकने बंद कर दिए थे लेकिन टेबल पर गुस्सा निकालना जारी रहा था।