मुंबई में स्टीफ़न हॉकिंग जब बॉलीवुड के गाने पर नाचे थे
दुनिया के जाने-माने वैज्ञानिक स्टीफ़न हॉकिंग का बुधवार को 76 साल की उम्र में निधन हो गया.
दुनियाभर में करोड़ों युवाओं को प्रेरित करने वाले हॉकिंग ने अपना 59वां जन्मदिन मुंबई में मनाया था. वो 2001 में 16 दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे.
उनके साथ आठ वैज्ञानिकों का एक प्रतिनिधि मंडल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने मुंबई आया था.
दुनिया के जाने-माने वैज्ञानिक स्टीफ़न हॉकिंग का बुधवार को 76 साल की उम्र में निधन हो गया.
दुनियाभर में करोड़ों युवाओं को प्रेरित करने वाले हॉकिंग ने अपना 59वां जन्मदिन मुंबई में मनाया था. वो 2001 में 16 दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे.
उनके साथ आठ वैज्ञानिकों का एक प्रतिनिधि मंडल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने मुंबई आया था.
यह उनकी दूसरी भारत यात्रा थी. इससे पहले वो 1959 में यहां आए थे.
उस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में समन्वयक रहे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च के प्रोफेसर सुनील मुखी ने बीबीसी को स्टीफ़न हॉकिंग की भारत यात्रा की यादों के बारे में बताया.
सुनील मुखी ने कहा, "स्टीफ़न हॉकिंग के बारे में काफी पढ़ने के बाद उस अद्भुत दिमाग वाले आदमी से करीब से मिलना अद्वितीय अनुभव था. उनकी मृत्यु अपूरणीय क्षति है."
मुखी कहते हैं कि सम्मेलन में हॉकिंग सबसे मनोरंजक और मज़ेदार व्यक्ति थे. वो वहां बॉलीवुड के गानों पर अपनी व्हीलचेयर को गोल-गोल घुमाने लगे थे.
हॉकिंग के सम्मान में ओबेरॉय टावर( अब ट्राइडेंट) में आयोजित रात्रिभोज में उन्होंने विकलांग होने के वाबजूद मनोरंजक कार्यक्रमों में भाग लिया था.
पत्रकार का सवाल और हॉकिंग का जवाब
मुखी कहते हैं, "दुर्भाग्य से उस पल को कैमरे में कैद नहीं कर पाया क्योंकि हमलोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं थे."
वो आगे बताते हैं कि हॉकिंग ओेबेरॉय होटल में ही रुके थे, जहां उनकी सुविधा के हिसाब से एक कमरा तैयार किया गया था.
मुखी उस समय आयोजित संवाददाता सम्मेलन को याद करते हुए बताते हैं कि जब कुछ पत्रकारों ने पूछा कि हॉलीवुड के कलाकार कुंभ मेले में शिकरत करने आते हैं, क्या आप भी जाएंगे, इस पर हॉकिंग ने कहा था- "मैं एक कलाकार नहीं, वैज्ञानिक हूं. मैं विज्ञान सम्मेलन में भाग लेने भारत आया हूं."
सुनील मुखी उस संवाददाता सम्मलेन में स्टीफ़न हॉकिंग के बगल में बैठे थे.
भगवान के अस्तित्व के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था, "मैं प्रकृति के नियमों के लिए भगवान शब्द का इस्तेमाल करता हूं."
भारत आते ही घूमने निकल गए
मुखी कहते हैं कि हॉकिंग की भारत यात्रा ने यहां के विकलांग समुदाय पर अमिट प्रभाव छोड़ा. द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट में विकलांगों के हक के लिए लड़ने वाले जावेद अबिदी ने कहा था कि वो 90 फीसदी से ज्यादा विकलांग वैज्ञानिकों के लिए सम्मलेन आयोजित करना चाहते थे पर समय की कमी की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए.
सुनील मुखी ने कहा कि भारत आने के बाद वो सबसे पहले एक विशेष वाहन में घूमने निकल गए. वो मुंबई के मशहूर हैंगिंग गार्डन गए, जहां उन्होंने जूता घर के पास फोटो भी खिंचवाई.
मुखी दावा करते हैं कि उन्हें हमेशा लोगों के बीच रहना ज्यादा पसंद था.
विशेष वाहन में करते थे सफर
सुनील ने बताया कि हॉकिंग तेजी से टाइप करते थे. किसी को उनसे बात करने के लिए उनके पीछे खड़े होना पड़ता था. वो अपने स्क्रीन पर अपनी बात टाइप करते थे.
भारत यात्रा के दौरान उन्होंने ब्लैक होल और ब्राह्मांड पर कई लेक्चर दिए थे. उनकी सुविधा के लिए महिंद्रा एंड महिंद्रा ने एक विशेष वाहन तैयार किया था जिसमें उनकी व्हीलचेयर आसानी से चली जाती थी.
उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन से भी मुलाकात की थी.
प्रोफ़ेसर हॉकिंग ने अपनी अंतिम यात्रा के बाद भारत में नाटकीय बदलाव महसूस किया था.
वो दिल्ली के जंतर-मंतर और कुतुब मीनार भी गए थे. द ट्रिब्यून अख़बार की एक रिपोर्ट में 72 मीटर ऊंचे कुतुब मीनार को इमली गेट से देखने के बाद हॉकिंग ने कहा था, "मैं दिल्ली देखना चाहता था. मैं इस मीनार के बारे में नहीं जानता था पर यह शानदार है."
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